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श्री आदि नारायण।। #vishnubhagwan #नारायण #विष्णु #विष्णुप्रिया #शिव #mahadev Aap sabhi ko happy Holi 🥳💐🙏🏼vineetapanchal Kshitija KK क्षत्राणी heartlessrj1297 Saloni Khanna M. Acharya #hunarbaaz

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Vishnu Bhagwan नारायण सब कुछ देख रहे।
इंसान तेरे कर्मों का लेखा जोखा।
वो कहते हैं सब कुछ मैं हूं।
अपनी लीला में खुद लीन है महेश्वर।
जिनके हृदय में शिव हैं विराजे।
ध्यान शिव का ही करते हैं।
शिव के जो आराध्या हैं।
कहलाते वो नारायण ।।
कैसी है ये लीला, कैसा ये प्रेम हैं।
कभी बन जाते मोहिनी,
कभी धरती का भार उठाते हैं।
कोटि-कोटि नमन है हे लीला धर।
हम सब तेरे ही गुड़ गाते हैं।

©0 श्री आदि नारायण।।  #vishnubhagwan #नारायण #विष्णु #विष्णुप्रिया #शिव #mahadev #Nojoto 
Aap sabhi ko happy Holi 🥳💐🙏🏼vineetapanchal Kshitija KK क्षत्राणी heartlessrj1297 Saloni Khanna M. Acharya

विष्णुप्रिया

ओढ़ तारकों से जड़ी,
चूनर रम्य अनूप ।
ठुमक चले है यामिनी,
रुचिर लगे है रूप ॥ Image credit - printerest

#yqdidi #विष्णुप्रिया #शुभरात्रि

विष्णुप्रिया

सुप्रभात #yqdidi #विष्णुप्रिया

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शुभ सवेरा 🌿 

स्वर्णिम आभा अर्क की,
बिखर गई चहुं ओर ।
कलरव विहागों का करे,
आनंदित शुभ भोर ॥ सुप्रभात
#yqdidi #विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया

Image credit pinterest चमक उठे फिर व्योम में, नखत इंदु के संग । आभा रजनी की खिली, देखें दृग हो दंग ॥ शुभ रात्रि 🪷🙏 #yqdidi #दोहा #हिंदी_कविता #विष्णुप्रिया

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चमक उठे फिर व्योम में,
नखत इंदु के संग ।
आभा रजनी की खिली,
देखें दृग हो दंग ॥ Image credit pinterest

चमक उठे फिर व्योम में,
नखत इंदु के संग ।
आभा रजनी की खिली,
देखें दृग हो दंग ॥

शुभ रात्रि 🪷🙏

विष्णुप्रिया

बिंदी मां के माथ की,
देती यह संदेश ।
त्याग प्रेम का गर्भ है,
ममता का परिवेश ॥


बिंदी मंडन ही नहीं,
अपितु तीसरा अक्ष ।
दीप्त करे मम भाल को,
अंबर के समकक्ष ॥ Image credit google
#yqdidi #हिंदी #दोहा  #विष्णुप्रिया*

विष्णुप्रिया

भावार्थ - रात होते ही चंद्रमा की स्वेत चांदनी, संपूर्ण संसार में बिखर जाती है, और टिमटिमाते तारों से सारा आकाश चमक उठता है । रात्रि की तो बात ही अनोखी है, स्याह अंधकार में लिपटी हुई रात भी अपने आंचल में समेटे ढ़ेरों तारों के प्रकाश का (सुंदरता ) सुख लुटती है, जिससे मन हर्षित होता है । #रात्रि #दोहे #शुभरात्रि #yqdidi #विष्णुप्रिया

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धवल ज्योति शुभ चंद्र की,
छिटक गई चहुं ओर ।
नक्षत्रों से दीप्त हुई,
सकल व्योम की कोर ॥

अद्भुत है यह यामिनी,
अंधकार की गोद ।
भर अंचल में लुटा रही,
तारक ज्योति प्रमोद ॥ भावार्थ - रात होते ही चंद्रमा की स्वेत चांदनी, संपूर्ण संसार में बिखर जाती है, और टिमटिमाते तारों से सारा आकाश चमक उठता है ।
रात्रि की तो बात ही अनोखी है, स्याह अंधकार में लिपटी हुई रात भी अपने आंचल में समेटे ढ़ेरों तारों के प्रकाश का (सुंदरता ) सुख लुटती है, जिससे मन हर्षित होता है ।
#रात्रि #दोहे #शुभरात्रि #yqdidi #विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया

चित्र pinterest #yqdidi #hindipoetry #विष्णुप्रिया

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बैठे हैं कदम डाल, शोभित है वनमाल
मोहन मधुर रूप, नयन विशाल हैं ॥
मुकुट मयूर धारे, पीत परिधान डारे
पग पैजनिया बांधे, नाचें नंदलाल हैं ॥ 

बांसुरी लिए हैं हाथ, गोपियों के साथ नाथ
यमुना के तीर प्रभु, गाते अठताल हैं ॥
देखता जगत सारा, मोहन को मनहारा
खोए चुके सुध बुध, बाजे करताल हैं ॥ चित्र pinterest
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विष्णुप्रिया

पूरब से लाली खिली,
उदित हुई शुभ भोर ।
ज्योतिर्मय हर श्वास हो,
जागृत हो हर कोर ॥ Image google 
#yqdidi #सुप्रभात #दोहे #विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया

दृश्य जो ये देखते नित
दृग कलश उर बांधते,
मात्र स्वप्नों की छटा हैं
स्वप्न में ही झांकते.... 

सत्य अथ कुछ भी नहीं है
मिथ्य ही जग सार है, 
मिथ्य ही विस्तार सारा
मिथ्य भव संसार है ॥ #आध्यात्मिक #yqdidi #हिंदी_कविता #विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया


रज्जु माया की फँसा कर
भौतिकी अभिघात करती
अर्थ के पदार्थ से
भवसिन्धु में हैं नित डूबोती
अद्य इस सिंधु से, मैं
पार पाना चाहती हूँ
राग से वैराग लेकर
मुक्त होना चाहती हूँ #yqdidi #आध्यात्मिक #विष्णुप्रिया
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