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DR. SANJU TRIPATHI
ऋषि दुर्वासा ने कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर उनको वरदान दिया। वरदान की परीक्षा लेने के लिए सूर्य देव का कुंती ने आह्वान किया। सूर्यदेव ने वर के परिणाम स्वरूप पुत्र कर्ण को गोद में डाल दिया। गोद में पुत्र को देखकर कुंती को अपनी अज्ञानता का ज्ञान हुआ। बिन ब्याही मां बनने का कलंक न सह पाएगी इसका भान हुआ। विवशता वश कवच कुंडल वाले सूर्यपुत्र को गंगा जी में बहा दिया। सूर्यपुत्र को अपनाकर राधा व अधिरथ ने बचाकर पालन पोषण किया। सूत पुत्र हो जाने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य नहीं बनाया। दुर्योधन ने मित्र बनाया अंगदेश का राज्य देकर अंगराज कर्ण बनाया। महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ देकर अपना मित्र धर्म निभाया। युद्ध में कर्ण को कौरवों के साथ जानकर कुंती ने उसको सत्य बताया। पांच पुत्र रहेंगे जीवित कर्ण ने अपनी मां कुंती को आश्वासन दिलाया। इंद्र ने धोखे से दान में कवच कुंडल मांगकर युद्ध में अर्जुन को जिताया। अर्जुन के हाथों युद्ध में मरणासन्न हुआ तब कुंती ने सबको सत्य बताया। सत्य जानकर सभी पांडव बहुत रोए और स्वयं को अपराधी बताया। तब कृष्ण ने अधर्म पर धर्म की विजय के लिए उचित है सबको समझाया। कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया युद्ध को अधर्म पर धर्म की जीत बताया। शूरवीर कर्ण महादानी और मित्रता निभाने के लिए महान कहलाया। -"Ek Soch" #kuntikarna #good #writer #yqbaba #yqquotes #myquote #topic Time limit till 10:00pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
कुंती ने अपनी ईश्वरीय शक्ति अपनाकर, भगवान भास्कर को प्रसन्न किया, भगवान भास्कर ने प्रसन्न होकर, दान स्वरुप पुत्र के रूप में कर्ण को दिया। अविवाहित होने के कारण कुंती कर्ण को, टोकरी में रख गंगा में बहा दिया, उस कर्ण को सूत देवी राधा और अधीरथ ने पाया अपने सीने से लगा लिया। पूर्व जन्म का असुर दंभोद्भावा सूर्य भक्त, इस जन्म में कर्ण रूप में आया, सूर्य की महिमा से ही जन्म लिया, जन्म से ही कवच और कुंडल पाया। कर्ण को अर्जुन हरा सके, इसलिए इन्द्र ने भेष बदलकर यह स्वांग किया, दानवीर कर्ण से छल करके दान में, जन्मजात कवच और कुंडल मांग लिया। दानवीर कर्ण ने अपनी माता कुंती को, दान में दिया हुआ वचन निभाया था, अपने मित्र दुर्योधन का अंत तक, साथ देकर अधर्म का साथ निभाया था। पैदा नहीं हुआ था वीर उस समय कोई, जो रण में अंगराज को हरा सके, अपने ही गुरु परशुराम के श्राप के कारण, अंत समय विद्या याद ना कर सके। महाभारत के प्रसंग में कर्ण सा वीर, दानी, मित्र, योद्धा ना आज तक हुए, अंत समय में कर्ण के आगे भगवान कृष्ण भी, श्रद्धा से नतमस्तक हुए। #kuntikarna #good #writer #yqbaba #yqquotes #myquote #topic #collab Time limit till 10:00pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...
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