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Divyanshu Pathak
कोरोना और जीवन सरकार का पहला क़दम बहुत शानदार था।जब मोदी जी ने पूरे देश को संबोधित करते हुए कहा कि जो जहाँ है वहीं रुके। लोगों ने उनकी बात को माना भी। यही वो दौर था जब हमने कोरोना को थाम दिया था। कोरोना केवल देश में बाहर से आए लोगों तक ही सीमित था। सब कुछ कंट्रोल में था और नहीं था तो बस मीडिया। अब शुरू हुआ टीआरपी का खेल और लोगों को डराने का धंधा आग लगा दी गई मौत का ख़ौफ़ लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर करने लगा। अब लोगों को मौत छोटी चीज़ लगने लगी और वह एक साथ सड़कों पर निकल बैठे। सोशल मीडिया में फैले वाइरल वीडियो आग में घी का काम कर गए। नतीजा सबके सामने है। जब किसी परिवार अथवा देश का मुखिया अपने सहयोगियों की अक्षम्य लापरवाही के लिए देश/परिवार से क्षमा मांगे, इससे बड़ी शर्म की बात और हो भी क्या सकती है। शर्म तो इस बात पर भी आती है कि प्रधानमंत्री ने लापरवाही पर 22 मार्च को भी नाराजगी प्रकट की थी। नोएडा में जाम लगा था। दिल्ली तथा चार राज्यों में तो कर्फ्यू लगाना पड़ गया था। राज्यों को सख्ती से निपटने के आदेश भी जारी किए थे। : प्रश्न यह है कि फिर भी अधिकारी हिले नहीं। राजस्थान में तो कार-बाइक तक पर रोक लगा दी गई। तब से आज तक कोरोना की गंभीरता तथा कामग
जब किसी परिवार अथवा देश का मुखिया अपने सहयोगियों की अक्षम्य लापरवाही के लिए देश/परिवार से क्षमा मांगे, इससे बड़ी शर्म की बात और हो भी क्या सकती है। शर्म तो इस बात पर भी आती है कि प्रधानमंत्री ने लापरवाही पर 22 मार्च को भी नाराजगी प्रकट की थी। नोएडा में जाम लगा था। दिल्ली तथा चार राज्यों में तो कर्फ्यू लगाना पड़ गया था। राज्यों को सख्ती से निपटने के आदेश भी जारी किए थे। : प्रश्न यह है कि फिर भी अधिकारी हिले नहीं। राजस्थान में तो कार-बाइक तक पर रोक लगा दी गई। तब से आज तक कोरोना की गंभीरता तथा कामग
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आज टेक्नोलॉजी ने यह संभव कर दिया है कि सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में बहुत से काम कर्मचारी घर बैठे-बैठे भी कर सकते हैं। उनके आकलन, नियंत्रण, समीक्षा के भी तरीके टेक्नोलॉजी में उपलब्ध हैं। टेक्नॉलोजी के माध्यम से होने वाले कार्यों में पारदर्शिता भी पूरी रहती है और ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ की तो स्वत: पालना हो जाती है। जरा सोच कर देखिये (वर्क फ्रॉम होम) के कारण कितनी बड़ी संख्या में सरकारी भवन खाली हो सकते हैं। #विज्ञान_का_ताण्डव सब देख ही रहे है इसी के साथ #1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है और 3 मई की घोषणा के साथ पूरा भारत इसी दौरान #पाठकपुराण के माध्यम से मैं #गुलाब_कोठारी जी के विचारों से आपको अबगत कराता हूँ। जो कि #राजस्थान_पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। #क्रमशः_-_02 : इन भवनों का उपयोग अस्पताल, स्कूल और अन्य जनसुविधाओं के लिए किया जा सकता है। दफ्तर आना जाना कम हो जाएगा तो सडक़ों पर वाहनों की संख्या भी आधी से कम रह जाएगी जिसका सीधा लाभ प्रदूषण मुक्ति के रूप में मिलेगा। बिजली, ईंधन, जल जैसे
#विज्ञान_का_ताण्डव सब देख ही रहे है इसी के साथ #1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है और 3 मई की घोषणा के साथ पूरा भारत इसी दौरान #पाठकपुराण के माध्यम से मैं #गुलाब_कोठारी जी के विचारों से आपको अबगत कराता हूँ। जो कि #राजस्थान_पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। #क्रमशः_-_02 : इन भवनों का उपयोग अस्पताल, स्कूल और अन्य जनसुविधाओं के लिए किया जा सकता है। दफ्तर आना जाना कम हो जाएगा तो सडक़ों पर वाहनों की संख्या भी आधी से कम रह जाएगी जिसका सीधा लाभ प्रदूषण मुक्ति के रूप में मिलेगा। बिजली, ईंधन, जल जैसे
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भारत का संघर्ष ‘गरीबी में आटा गीला’ जैसी स्थिति से जूझने जैसा है। हमारे सामने अधिकांश पश्चिमी देश विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं। भारत विकसित नहीं है। #सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ। : आर्थिक हालात कागजों में कुछ भी हों, हम विकासशील ही हैं। कोरोना ने हमको व्यावहारिक दृष्टि से और भी पीछे धकेल दिया है। आने वाले समय में तो ‘नंगा क्या धोए, क्या निचोड़े’ जैसे दिन काटने पड़ेंगे। : देश को नए सिरे से खड़ा होना पड़ेगा। आजादी की जंग का जज्बा कुछ और ही था। स्वतंत्रता के नाम पर जो स्वच्छन्दता का, भ्रष्टाचार का, अंग्रेजियत का और राजनीतिक अराजकता का वातावरण बन
#सुप्रभातम #विज्ञान_का_ताण्डव के साथ #पाठकपुराण के साथ एक विचार जो #गुलाब_कोठारी जी ने दिया मैं उनके विचार से आपको अबगत कराता हूँ। : आर्थिक हालात कागजों में कुछ भी हों, हम विकासशील ही हैं। कोरोना ने हमको व्यावहारिक दृष्टि से और भी पीछे धकेल दिया है। आने वाले समय में तो ‘नंगा क्या धोए, क्या निचोड़े’ जैसे दिन काटने पड़ेंगे। : देश को नए सिरे से खड़ा होना पड़ेगा। आजादी की जंग का जज्बा कुछ और ही था। स्वतंत्रता के नाम पर जो स्वच्छन्दता का, भ्रष्टाचार का, अंग्रेजियत का और राजनीतिक अराजकता का वातावरण बन
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