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Poonam Suyal
लक्ष्य तय है (अनुशीर्षक में पढ़ें) गद्यांश 1 ललक्ष्य तय है लक्ष्य तय है मेरा नहीं है किसी बात का डर चल चुकी हूँ मैं मंज़िल की ओर परिणाम की मुझको नहीं है फ़िकर
Insprational Qoute
काव्यसंरचना गद्यांश:-२ शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण ******************************** सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है, मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े😊 काव्यसंरचना गद्यांश:-२ शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण ******************************** सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है, मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है,
तेरे बिन अधूरा सा हूं...!!❤️
"लक्ष्य" ______ राह मिलेगी चलने को साथी तुमको अनेक लेकिन लक्ष्य बनाओ,सफलता पाने को एक। बिना लक्ष्य के जीवन तुम्हारा व्यर्थ है लक्ष्य बिना जिंदगी तुम्हारी अस्त-व्यस्त है। गिरो गर कई बार तुम,बार-बार उठना सीखो सफलता मिलेगी एक दिन तुमको मन में दृढ़ संकल्प बना कर रखो। सफलता-असफलता जिंदगी का उसूल है लक्ष्य बनाकर न चलना जिंदगी की बड़ी भूल है। जिसका लक्ष्य बनाओ तुम,स्वप्न में भी वो आए तुमको रात भर जगाए लक्ष्य का याद दिलाए। || गद्यांश १ || #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #rzकाव्यसंरचना
Dr Upama Singh
रचना नंबर –5 लक्ष्य (काव्य सरंचना) एक लक्ष्य सही दिशा में होना चाहिए नहीं तो मानव जीवन जीना है व्यर्थ दिशाविहीन लक्ष्य किसी काम ना आता जीवन को बस गुमराह है करता चिंता नहीं होनी चाहिए फल की लक्ष्य के साथ मेहनत अपना काम जब तक ना मिल जाए सफलता जीवन में चलते रहना थकना नहीं रुकना नहीं मिले चाहें असफलता या हों सफल गाँधी और विवेकानंद ने यही ज्ञान बतलाया जिसने रखा लक्ष्य सही दिशा में वो कामयाब हो पाया #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #rzकाव्यसंरचना #collabwithrestzone #similethoughts #yqrz #yqdidi #rzhindi
Rashmi Hule
संदर्भ:- गद्यांश १ जीवन की राहें कठीन सही तुझे लक्ष को पाना हैं गढ़ नजर अपने लक्ष पर तुझे चलते रहना हैं माना कठीन राह हैं ऊंचाईयों की चाह हैं गीर जायेगा सौ बार उठकर फिर चढ़ना हैं कट जायेंगे कभी पर तेरे सपने होंगे ओझल तेरे भर पंखो में बल हिम्मत से काले बादलों को पार करना हैं एक बार तू लक्ष को पायेगा जिवन सुखद हो जायेगा खुशियों के मेले होंगे हजार होगी चारों तरफ तेरी जयजयकार संदर्भ :- ||गद्यांश १|| जीवन की राहें कठीन सही तुझे लक्ष को पाना हैं गढ़ नजर अपने लक्ष पर तुझे चलते रहना हैं
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