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Bharat Bhushan pathak
मनुज क्लांत यहाँ जब हो सुनो। 111 211 211 212 मुदित अंतस हो धुन वो चुनो।। 111 211 211 212 भजन कीर्तन स्तुति चलो करो। 111 211 211 212 जगत पीर अभी तुम जी हरो।। 111 211 211 212 ©Bharat Bhushan pathak #worldmusicday#drutvilambitchhand#chhandgyaan#द्रुतविलम्बितछंद#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#ripudamanjhapinaki#vijaybesharm द्रुतविलम्बित छंद विधान:-यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इस छंद के प्रत्येक चरण या पद में बारह वर्ण क्रमशः नगण,भगण-भगण एवं रगण के क्रम में होते हैं। नगण+भगण+भगण+रगण नगण=III भगण=SII भगण=SII रगण=SIS
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आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है। निश दिन इनका जब,क्यों दिन बाँटा है।। ©Bharat Bhushan pathak #FathersDay #छंदज्ञान#chhandgyaan#योगीछंद#newchhand#nojotohindi आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है।
#FathersDay #छंदज्ञान#chhandgyaan#योगीछंद#newchhand#nojotohindi आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है।
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हलमुखी छंद(वर्णिक) विधान-प्रति पंक्ति 9 वर्ण।3,6 पर यति गणावली-राजभा नसल सलगा मापनी-212 111 1 12 चार चरण,दो-दो समतुकांत। व्यर्थ ना, अब पल करो। सीख लो फिर पग धरो। कर्म ये, अतिशय बड़ा। न कोई, क्षणभर लड़ा। ©Bharat Bhushan pathak #आत्मशुद्धि #nojotohindi#nojotohindipoetry #छंदज्ञान #chhandgyaan #nojotoapp #letslearnchhand
Bharat Bhushan pathak
प्रदीप_छंद (एक चरण चौपाई +दोहे का विषम चरण ) 16,13 पर यति कुल 29 मात्राएं. (यह मात्रिक छंद है ) मित्र वही होता है अच्छा,तोड़े ना जो विश्वास। बुरे समय जो हरदम रहता,दूर नहीं केवल पास।। चोट अगर एक मित्र खाए,दूजे को मिलता दर्द। साथ ना जो कभी भी छोड़े,गर्म हवा हो या सर्द।। भला मित्र का हरदम सोचे, बुराई नहीं भी स्वप्न। सफल यदि जो मित्र ही होता,उसमें ही रहता मग्न।। श्रेष्ठ उदाहरण मित्रगणों का,युगों से सुदामा कृष्ण। लोभ मोह जिसको ना छूते,दिखे न जिसमें भी तृष्ण।। ©Bharat Bhushan pathak #worldbestfriendday प्रदीप_छंद (एक चरण चौपाई +दोहे का विषम चरण ) 16,13 पर यति कुल 29 मात्राएं. (यह मात्रिक छंद है ) मित्र वही होता है अच्छा,तोड़े ना जो विश्वास। बुरे समय जो हरदम रहता,दूर नहीं केवल पास।। चोट अगर एक मित्र खाए,दूजे को मिलता दर्द। साथ ना जो कभी भी छोड़े,गर्म हवा हो या सर्द।।
#worldbestfriendday प्रदीप_छंद (एक चरण चौपाई +दोहे का विषम चरण ) 16,13 पर यति कुल 29 मात्राएं. (यह मात्रिक छंद है ) मित्र वही होता है अच्छा,तोड़े ना जो विश्वास। बुरे समय जो हरदम रहता,दूर नहीं केवल पास।। चोट अगर एक मित्र खाए,दूजे को मिलता दर्द। साथ ना जो कभी भी छोड़े,गर्म हवा हो या सर्द।।
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नेट नहीं चलने का, हाथ अजी मलने का, पोस्ट नहीं दिखने से, आपका फायदा है। दिया ही अगर गाली, कह दिया साला-साली, पिटाई भी नहीं होगी, अपना वायदा है। भूल अभी रहे रिश्ते, जानते नहीं नमस्ते, नेट गया मिलाएगी, सुन्दर कायदा है। नेट जब ना चलेगा, मन ये नहीं छलेगा, कायदा में वो आएगा, जो भी बेकायदा है। नेट हमें लुटवाए, घर-द्वार बँटवाए, न यह समझे कोई , बना हुआ प्यादा है। नेट नहीं यदि रहे, आँख नहीं कष्ट सहे, पापकर्म भी खतम, फायदा जायदा है। नेट की यह महिमा, अपनी भूले गरिमा, नेट के यहाँ कारण, गौण भी मर्यादा है। नेट ने किया पागल, पुरुषार्थ भी घायल, काम-काज भूले सब, रोग यह पैदा है। ़ ©Bharat Bhushan pathak #network #chhandgyaan #Comment #nojatohindi #nojoto
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साथ रहे बस हाथ रहे जग में जबतक यह जीवन यारा। प्रेम डगर के हम मुसाफि़र कस्ती बैठे ढूँढे किनारा।। हमदम संग में हरदम रहना जबतक न ये बीते उमरी। ना कुछ हम हैं यहाँ अकेले साथ मिले ना जबतक तुमरी।। ©Bharat Bhushan pathak साथ रहे बस हाथ रहे जग में जबतक यह जीवन यारा। प्रेम डगर के हम मुसाफि़र कस्ती बैठे ढूँढे किनारा।। हमदम संग में हरदम रहना जबतक न ये बीते उमरी। ना कुछ हम हैं यहाँ अकेले साथ मिले ना जबतक तुमरी।। #woaurmain #हमतुम#लवडोज#प्रेम#नोजोटो#nojotohindi#nojotopoety#nojototalks#chhandgyaan#chhand
साथ रहे बस हाथ रहे जग में जबतक यह जीवन यारा। प्रेम डगर के हम मुसाफि़र कस्ती बैठे ढूँढे किनारा।। हमदम संग में हरदम रहना जबतक न ये बीते उमरी। ना कुछ हम हैं यहाँ अकेले साथ मिले ना जबतक तुमरी।। #woaurmain #हमतुम#लवडोज#प्रेम#नोजोटो#nojotohindi#nojotopoety#nojototalks#chhandgyaan#chhand
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ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। ©Bharat Bhushan pathak ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। #मत्तगयंदसवैयाछंद#छंदज्ञान#सनातनीछंद#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020
ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। #मत्तगयंदसवैयाछंद#छंदज्ञान#सनातनीछंद#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020
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अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे। मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।। सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे । नाश रहे घर-द्वार सभी अब जाय जहाँ खग-वृंदन चाहे।। दंभ दिखावन को अपना सब मार रहे जल पावन आशा। दानव लालच घेर रहा जल संकट कारण घोर निराशा।। ©Bharat Bhushan pathak अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे। मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।। सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे । नाश रहे घर-द्वार सभी अब जाय जहाँ खग-वृंदन चाहे।। दंभ दिखावन को अपना सब मार रहे जल पावन आशा। दानव लालच घेर रहा जल संकट कारण घोर निराशा।। #nojotohindi#nojotohindi2020 #nojotopoetry#मत्तगयंदसवैयाछंद#nojotopoetry2021 #chhandgyaan#andaazebayaan#nojotoquotes#nojotodilse#deforestation
अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे। मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।। सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे । नाश रहे घर-द्वार सभी अब जाय जहाँ खग-वृंदन चाहे।। दंभ दिखावन को अपना सब मार रहे जल पावन आशा। दानव लालच घेर रहा जल संकट कारण घोर निराशा।। #nojotohindi#nojotohindi2020 #nojotopoetry#मत्तगयंदसवैयाछंद#nojotopoetry2021 #chhandgyaanandaazebayaans#nojotoDilSe#deforestation
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मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य। भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं मैं, जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें। व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद, नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं। धन्य सम्पदा गेह,क्या काम आते हैं, करें सभी से नेह,बस यही जाते हैं। मोह-माया प्रसार,बने यही संसार, वैर भाव को मार,सब विनय करते हैं। जीवन रसरी अल्प,व्यर्थ करो ना कल्प। प्रसिद्ध यह है गल्प,श्रम सब वरते हैं। ©Bharat Bhushan pathak #Qala मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य। भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं में, जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें। व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद, नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं।
#Qala मंगलमाया छंद विधान-कुल २२ मात्राएं,११-११ पर यति,यति के पूर्व पश्चात त्रिकल और अंत में वाचिक गा अनिवार्य। भटक रहा क्यों मनुज,पड़े तू तू मैं में, जब होंगे सब अनुज,न तब होगी टें टें। व्यर्थ युद्ध के तान,करें प्रीत का नाद, नश्वर जब यह जान,फिर क्या भला ये मैं।
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