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Swarima Tewari
Caption पूरे 3 साल बाद हुई थी हमारी मुलाक़ात, तुम कुछ उलझे से थे, इधर उधर की बातें बस, पुरानी बातों का कोई सिरा पकड़ में ही नहीं आ रहा था। अजीब सन्नाटा पसरा था माहौल में... अचानक अख़बार से सिर उठा, मुझे चाय बनाते देखते हुए बोले "ये वही स्वेटर है ना जो कॉलेज में अक्सर पहनती थी, कुछ ढीला सा हो गया है, सेहत का ध्यान रखो अपनी" धक् से कलेजा जी को आ गया! हाँ अभी बचा है कुछ, जैसे ओज़ोन परत का पूरी तरह ह्यस नहीं हुआ, जैसे अब भी पृथ्वी को जलने से बचा सकती हूँ। हाँ रिश्ता जला नहीं था अभी पूरा..आज भी बाक़ी था एक
पूरे 3 साल बाद हुई थी हमारी मुलाक़ात, तुम कुछ उलझे से थे, इधर उधर की बातें बस, पुरानी बातों का कोई सिरा पकड़ में ही नहीं आ रहा था। अजीब सन्नाटा पसरा था माहौल में... अचानक अख़बार से सिर उठा, मुझे चाय बनाते देखते हुए बोले "ये वही स्वेटर है ना जो कॉलेज में अक्सर पहनती थी, कुछ ढीला सा हो गया है, सेहत का ध्यान रखो अपनी" धक् से कलेजा जी को आ गया! हाँ अभी बचा है कुछ, जैसे ओज़ोन परत का पूरी तरह ह्यस नहीं हुआ, जैसे अब भी पृथ्वी को जलने से बचा सकती हूँ। हाँ रिश्ता जला नहीं था अभी पूरा..आज भी बाक़ी था एक
read morePrashant Shakun "कातिब"
चाय बनाते समय अक्सर मैं सोचता हूँ कि मैं इतनी यातना देता हूं इसे बनाते समय इसे आग में झोंकता हूँ इसमें जाने क्या क्या मिला देता हूँ, फिर भी ये मुझे स्वाद देती है, मेरी सारी थकान मिटा देती है फिर माँ की आवाज़ आती है "चाय बनी के नहीं, तेरी चाय है या बीरबल की खिचड़ी" अकस्मात ही दो आँसू मुस्कान के साथ गालों को थपथपाते हैं, मुझे मेरे सवालों के जवाब मिल जाते हैं और माँ के साथ चाय मेरी भी प्रिय हो जाती है #माँ_और_चाय ©Prashant Shakun "कातिब" चाय बनाते समय फिर आया एक ख़याल किचन में...☺️ "चाय और माँ" चाय बनाते समय अक्सर मैं सोचता हूँ कि मैं इतनी यातना देता हूं इसे बनाते समय इसे आग में झोंकता हूँ इसमें जाने क्या क्या मिला देता हूँ, फिर भी ये
चाय बनाते समय फिर आया एक ख़याल किचन में...☺️ "चाय और माँ" चाय बनाते समय अक्सर मैं सोचता हूँ कि मैं इतनी यातना देता हूं इसे बनाते समय इसे आग में झोंकता हूँ इसमें जाने क्या क्या मिला देता हूँ, फिर भी ये
read moreYASHVARDHAN
"YASH मुझे नोजी आ रही है.." (उनके लहज़े में एक बच्चा छुपा हुआ था) मैं आगे बढ़कर अपना बायां कंधा उनके आगे कर दिया और हल्के से उन्होंने नाक को मेरे स्वेटर पर छू भर दिया। जनवरी की सर्दी, स्वेटर और नाक के बीच का प्रेम अपने चरम पर था। मैंने दूर से आती हल्की रोशनी में उनकी आँखों में देखने की कोशिश की। चश्में के फ्रेम के अंदर मुझे एक प्यारी सी दुनिया झाँकती दिखी। जिसे लोग अक्सर आँख कह देते हैं...... ©YASHVARDHAN . ©YASHVARDHAN #लप्रेक 💞
#लप्रेक 💞
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Hello! क्या हुआ .? (मैंने Call उठाते ही पूछा) कहाँ हो.? मैंने कहा, अरे थोड़ा बाहर आ गया था। Ok, तो मेरे लिए एक कॉफ़ी का पैकेट लेते आना और हिसाब हम बाद में कर लेंगे। (Hostel के बाहर पहुँचकर) हाँ जी! बाहर आ जाइये, आपकी कॉफ़ी आ चुकी है और साथ में मैं भी। वो बाहर किसी क़यामत की तरह आईं और कॉफ़ी को देखते ही बोलीं की अरे मैंने छोटा पैकेट बोला था। इतना कौन पिएगा और जल्दी खत्म कैसे होगा.? मैंने बोला , अरे कोई नहीं कौन सा एक दिन में सब पीकर खत्म करना है। मैंने बोला आपको ठंड नहीं लग रही है.? हाँ यार! थोड़ा हाथ छूना मेरा देखो कितना ठंडा है। मैंने हल्के से उनके हथेलियों को महसूस भर किया। ऐसा लगा जैसे सारी दुनिया की नरमी उनके हाथों में समा गई हो… ©YASHVARDHAN #लप्रेक 💞 #holdinghands
Parikshit Jaiswal
"गाओ ना" रुको कहाँ जा रहे हो ? मन करता है रख लूँ तुम्हे उस बच्चे की तरह ... रूक क्यों गए ? तुम्हारे लफ्ज़ जो किसी की यादों को बयाँ करते हैं , गाओ ना गाते जाओ । कभी भी अकेला नहीं छोड़ते तुम मुझे , चाय भी पीता हूँ तो तुम्हारे नाम से मीठी लगती है । इसलिए कह रहा हूं गाओ ना ... #लप्रेक ©परीक्षित #Yaari