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Rajnish Shrivastava
जाने कितनी दास्तां छुपाए है अपने अंदर ये आलीशान महल की दीवारे वीरानी बता रहीं हैं कभी कितनी शानदार महफिले सजा करती थीं ।। ©Rajnish Shrivastava #वीरानी
GALIB fan
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल दिल -ऐ -ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया कोई वीरानी सी वीरानी है दश्त को देख के घर याद आया ishq
Dr. Subhash Chouhan (Subh2026)
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Poonam Aggarwal'मीता'
वीरानी मेरे घर की भागी तुम्हे देखकर आहट पर जो लगा जैसे तुम आये। #NojotoQuote #वीरानी#पोएट्री
✍️✍️रंजीत कुमार '
मैं हूँ अब भी सूखा तालाब तेरा, जिसमें बस तेरी बीती यादों का पानी है,,, (Read more in caption) 🖋️रंजीत कुमार #NojotoQuote ना जाने क्या कमी थी मुझमें, जो तू मेरी जिन्दगी से हो गई रवानी है। अरसा बीत गया तुझसे बात किए, बिन तेरी बातों के जिंदगी सुनसानी है। मैं हूँ अब भी सूखा तालाब तेरा, जिसमें बस तेरी बीती यादों का पानी है। तू ना करे अब बात मुझसे, ये सब तेरी मनमानी है।
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल दिल -ऐ -ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया कोई वीरानी सी वीरानी है . दश्त को देख के घर याद आया ग़ालिब #NojotoQuote Ghalib Hindi shayari ग़ालिब हिंदी शायरी प्रसिद्ध लेखक द्वारा एक खूबसूरत रचना हर रोज अपने पसंदीदा लेखकों की रचनाएँ पढ़ें #nojotohindi #hindipoetry #Poetry #hindi #ghalib #Shayari
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल दिल -ऐ -ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया कोई वीरानी सी वीरानी है . दश्त को देख के घर याद आया मिर्ज़ा ग़ालिब #NojotoQuote Ghalib Hindi Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी प्रसिद्ध लेखक द्वारा एक खूबसूरत रचना हर रोज अपने पसंदीदा लेखकों की रचनाएँ पढ़ें #nojotohindi #hindipoetry #Poetry #मिर्ज़ाग़ालिब #ग़ालिब
Shiprika Saxena Acharya
ये जगमगाहट ज़माने को दिखाने के लिए एक झूटी कहानी है घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है घर की चौखट पर इसलिए हुँ कि तुम अँधेरा देख बाहर से ही न लौट जाओ आने से पहले ही फिर अगले साल आने का वादा न कर पाओ आज फिर तुम्हारे इंतज़ार में सारा दिन रसोई में लगकर वो सा पकवान बनाएं जो तुम्हारे बचपन की निशानी है घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है आ जाओ की तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर चलना सीखाने वाली हड्डियां अब बूढ़ा चुकीं है जिन आँखों ने ये दुनिया तुम्हें दिखाई वो नज़रें अब धुंधला चुकीं हैं मेरे नातिन पोतों से ये बात कहने में देर न हो जाये चलो इस बार चलें जहाँ रहती तुम्हारी दादी या नानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है छोटा सा ही ख़्वाब था कि बहुत काबिल बनो पर तुम तो मेरे हाथों कि पहुंच से निकल कर काफी बड़े हो गएँ तुम्हारा ओहदा, तुम्हारी पहचान, तुम्हारी मसरूफ़ियत जैसे मेरे और तुम्हारे बीच दीवार बनकर खड़े हो गए खुद अपनों से ही इतना दूर हो जाओ आखिर क्यों इतना ऊँचा उड़ने कि ठानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है गाजर के हलवे में भी अब तुम बिन कहाँ वो स्वाद रहा हैं जो पतझड़ में भी खिला रहता था वो शज़र अब हर सावन में बर्बाद रहा हैं कुछ पल तो ठहरो मेरे पास यु ही समझ लो तुम्हारे वक़्त पे हक़ जाताना मेरी ढलती उम्र कि नादानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है पडोसी कहते हैं अक्सर बंटी की मम्मी, बंटी इस साल भी नहीं आया खैर हमारी कुछ ज़रूरत हो तो बताना जी करता हैं उनसे की कहके देख लूँ बंटी की चाहत हैं, ज़रा उसे ही लाकर दिखाना सुनो, अमृत तो नहीं पिया, अमर तो नहीं हूँ मैं कहाँ तुम्हें हमेशा के लिए पकड़ कर बैठने वाली मेरी ज़िंदगानी हैं शम्स-ऐ-ज़िन्दगी ढल जाये, उससे पहले ही आ जाओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी हैं #Diwali #memories #lasthope
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