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Sunita Sharma
मेरे प्यारे फ्रेंडस आप के लिए ©Sunita Sharma #खुद #बिछड़े #आसमान #तारे #टिमटिमाते #जगमगाते
Aniket Sen
मेरी इन दो आँखों में आँसू कईं सारे हैं, ताकता चाँद को हुँ, दिखते टीम टिमाते कई तारे हैं। कभी आँखों मे आँसू लिए रात में आसमान की ओर देखा है ? #आँखोंमें #आँसू #चाँद #टिमटिमाते #तारे #smilingwithtears #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow
Aniket Sen
मेरी इन दो आँखों में आँसू कईं सारे हैं, ताकता चाँद को हुँ, दिखते टीम टिमाते कई तारे हैं। कभी आँखों मे आँसू लिए रात में आसमान की ओर देखा है ? #आँखोंमें #आँसू #चाँद #टिमटिमाते #तारे #smilingwithtears #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow
writer_shukla
#SolarEclipse2019 अरे हम तो हैं टिमटिमाते जुगनू से नहीं छुप सकते हैं अंधेरों में धोखा दिया हमें हमारे अपनों ने वर्ना हम तो छा गए थे गैरों में खिला था मैं भी फूल गुलाब सा पर अपनों ने ही तोड़ दिया हो जाते हम मशहूर भी औरों में पर अपनों ने ही हाथ छोड़ दिया अरे हम तो हैं #टिमटिमाते #जुगनू से नहीं छुप सकते हैं #अंधेरों में #धोखा दिया हमें हमारे #अपनों ने वर्ना हम तो छा गए थे #गैरों में खिला था मैं भी #फूल #गुलाब सा पर अपनों ने ही तोड़ दिया हो जाते हम #मशहूर भी औरों में पर अपनों ने ही हाथ छोड़दिया
Rupam Rajbhar
जुगनू और तारें उस काले और भयानक आसमान को देख के डर जाते है। खुशियां तब अंगड़ाई लेती हैं,जब जुगनू तारो के साथ टिमटिमाता है। (ये बात मेरे बचपन की है) #टिमटिमाते
गिरीश पाटीदार
मध्य रात्रि, धिमी सी पवन चल रही , वहीं टिमटिमाते एक चिराग ने लगता है पवन से दोस्ती कर ली हो । पवन चल रही ओर चिराग भी जल रहा । उसी पवन मै तोड़ी हुई मरोड़ी हुई एक खोई सी सुगंध, शायद तेरे जिस्म से वो फिसल गई थी । वहीं खुसबू मेरी यादों के पन्नों पर से भी उभर चुकी थी। पलट के चारो ओर देखा नहीं था कोई सिवाय पानी मै टिमटिमाते हुए आकाश के जुगनूओ के ओर एक चिराग की लो के । वहीं घाट पर बैठ कर पानी से खेलने की आवाज़ अब बस मछलियों की शरारत से ही आती है। #NojotoQuote #night #river #alone #hindi #love #missing खराब हिंदी व्याकरण के लिए क्षमा करना
Suniel 'आफ़्ताब' Chouhan
वो रात जंगल सी थी, लम्बी, घनी, काली रात । सपने जैसे टिमटिमाते जुगनू, मानों जैसे तारों की बारात । डरता हूँ, इस रात को खोने से, टिमटिमाते जुगनूओं के सोने से । रास आ गया मुझे रात का अंधेरा, डरता हूँ, कल फिर सुबह होने से । न ज़माने की ख़बर, न अपना कोई होश । यादों के पत्तों पर, उम्मीदों की ओस । इस ओस सहारे ज़िन्दा हूँ, बूँद-बूँद करके पी रहा हूँ । डरता हूँ, हकीकत की आँधी से, कतरा-कतरा ही तो जी रहा हूँ । "रात"
WRITER AKSHITA JANGID
Mukesh Poonia