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Learn From Kartikey
Ankit Srivastava
हमारा समाज इतना धीरे-धीरे चल रहा है कि इनके नज़रों में लड़के-लड़कियाँ भागते हुए दिखतें हैं। #Ankit_Srivastava_Thoughts. #YQ_ANKIT_SRIVASTAVA #समाज_की_कड़वी_सच्चाई #myfeelingsinmywords #oursociety #yqhindi #yqdidi #yqbaba
DHIRAJ SANJAY MALI
#Society हां भाई यह सोसायटी हैं बड़ी ही अजीब हैं इसके लिए खुद को भूलकर हम दूसरों को दिखाते हैं और दिखावे की होड़ में रहते हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। यह सोसायटी हैं ना सबकुछ देखती हैं अच्छाई को नासमझी कहती हैं बुराई को चुपचाप सहती हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। तुम्हारे अच्छे दिनों में साथ खड़ी हैं पर तुम्हारे बुरे वक्त में पर्दा करतीं हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। #lessonofthecentury #friendship #love #life #oursociety #thepeople #society #yqdidi
Dhiraj Mali
#Society हां भाई यह सोसायटी हैं बड़ी ही अजीब हैं इसके लिए खुद को भूलकर हम दूसरों को दिखाते हैं और दिखावे की होड़ में रहते हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। यह सोसायटी हैं ना सबकुछ देखती हैं अच्छाई को नासमझी कहती हैं बुराई को चुपचाप सहती हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। तुम्हारे अच्छे दिनों में साथ खड़ी हैं पर तुम्हारे बुरे वक्त में पर्दा करतीं हैं हां भाई यह सोसायटी हैं।। #lessonofthecentury #friendship #love #life #oursociety #thepeople #society #yqdidi
Darshan Blon
Yet another horrific incident- A girl Raped and murdered. They blamed her revealing outfit. #4235poem #yqbaba #oursociety #reality
Deepak Kanoujia
वो भी दिल्ली में ! वह कौन घुटनों में सर छुपाये बैठी है बूढ़ी तो नहीं है ! फिर क्यों पीठ से पेट मिलाये बैठी है ? नीचे सलवार तो पहने है ऊपर सूट क्यों उतारे बैठी है ? बालों का जूड़ा खोले है
Jaya Prakash
लड़किया और उनकी शादी लड़कियां खुद की पसंद से शादी करें तो समाज 'उसकी पसंद' कहकर उससे पीछा छुड़ा लेता है और परिवार की मर्ज़ी से शादी करें
Kajal The Poetry Writer
रूह की मोहब्बत की तलाश में बेशक गलतियां लाख हो जाए,,,, न मिले चाहत मुकम्मल तो जिंदगानी खाक हो जाए।।। तबाह करने की कोशिश करती हैं दुनिया,,, किसी भी मासूम दिल वाले शख्स को,,, जब वो दुनिया की ठोकर खा खा कर बेबाक हो जाए।। गम खुद कहां लिखा करता हैं,कोई अपनी ही किस्मत में,, ये सब तो नियति का खेल हैं,,, बुरे वक्त में जमाना अलग होता हैं, जैसे पत्ते से अलग शाख हो जाए।। जमाने में उठा हर विरोध फिजूल हैं, जो न टूटे आसानी से बनाए गए वो उसूल हैं,,,, जीते जी कभी न अपनाये जमाना किसी के किए बदलाव को,,, मानते हैं उसे ही मसीहा, जब उसकी देह राख हो जाए।। ©KAJAL The poetry writer रूह की मोहब्बत की तलाश में बेशक गलतियां लाख हो जाए,,,, न मिले चाहत मुकम्मल तो जिंदगानी खाक हो जाए।।। तबाह करने की कोशिश करती हैं दुनिया,,, किसी भी मासूम दिल वाले शख्स को,,, जब वो दुनिया की ठोकर खा खा कर बेबाक हो जाए।। गम खुद कहां लिखा करता हैं,कोई अपनी ही किस्मत में,, ये सब तो नियति का खेल हैं,,, बुरे वक्त में जमाना अलग होता हैं, जैसे पत्ते से अलग शाख हो जाए।।
Vandana Sharma
क्या हिदायतें है जनाब इस समाज की भी रिश्तों में बंधकर चलो तो हौसला देने चले आते है, और ग़र रिश्तों से हटकर चलो तो कम्बख्त सबसे पहले लाछन यहीं लगाते है..। ◆ वन्दना शर्मा ◆ #thinkingaboutlife #oursociety