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Best दासी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Pankaj Singh Chawla

Special edited by Twinkle Sharma Mere Shabo ko Bhavo ko mala me pirone k liye, Apka bhut bhut Aabhar Shukriyaa. #kishu #दासी #pchawla16 #YQPaaji #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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दासी बनी बैठी हूँ तुम्हारे द्वार की,
तुम्हारी राह में फूल बिछाने हैं ,
अब तो चरण कमल तुम डालों  कान्हा 
अब दासी को भी दर्शन दे डालो कान्हा,
सदियों की प्यासी हूँ तेरी दर्शन की,
अब तो अपना दरस दिखा जाओ
ऐसा कौन सा चाँद सा टुकड़ा हो तुम मेरे प्यारे ,
जरा हमें भी तो बता जाओ,
नही लगती तुम्हे नज़र हमारी कन्हैया,
बलाए ले लूं मैं तुम्हारी कान्हा,
बस एक बार समाने तो आ जाओ,
इन अखियन कि प्यास की खाली झोली भर जाओ,
इस विरहा में जलती दासी की प्यास बुझा जाओ।। Special edited by Twinkle Sharma 
Mere Shabo ko Bhavo ko mala me pirone k liye,
Apka bhut bhut Aabhar Shukriyaa.

#kishu #दासी #pchawla16 #yqpaaji #yqbaba #yqdidi 
#yqpowrimo

Amit Singhal "Aseemit"

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RadhakrishnPriya Deepika

ओ श्याम प्यारे तेरे ही रंग में रंगुगी,
मैं तेरी थी और तेरी ही रहूंगी।

तुम सूरज बनो तो मैं रोशनी बनूँगी,
तुम चाँद बनोगे तो मैं चाँदनी बनूँगी।

तुम मोर बनो तो मैं पंख बनूँगी,
तेरे मुकुट पे सजने वाला मैं मोती बनूँगी।

ओ मेरे प्यारे कृष्ण मैं तेरी मुरली बनूँगी,
जब रास करोगे तुम तो मैं घुँघरू बन बजूंगी।

©®राधाकृष्णप्रिय Deepika #भाव 
#प्रेम 
#भक्ति 
#कान्हा 
#कृष्णा 
#की
#दासी 
#आस्था

Ankita Saxena

#sakhi..

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एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,
श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया।

दूध ज्यदा गरम होने के कारण 
श्री कृष्ण के हृदय में लगा
और
उनके श्रीमुख से निकला-
" हे राधे ! "

सुनते ही रुक्मणी बोली-
प्रभु !
ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ?

मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ...
फिर भी,
आप हमें नहीं पुकारते !!

श्री कृष्ण ने कहा -देवी !
आप कभी राधा से मिली हैं ?
और मंद मंद मुस्काने लगे...

अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची ।

राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और,
उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि-
ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी !

तभी वो बोली -आप कौन हैं ?

तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया...

तब वो बोली-
मैं तो राधा जी की दासी हूँ।

राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !!

रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये...
और,
हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-
अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो,
राधारानी स्वयं कैसी होंगी ?

सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची...

कक्ष में राधा जी को देखा-
अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था।
रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी...

पर,
ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है !

रुक्मणी ने पूछा-
देवी आपके  शरीर पे ये छाले कैसे ?

तब राधा जी ने कहा-
देवी !
कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया...
वो ज्यदा गरम था !

जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए...
और,
उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!!

इसलिए कहा जाता है-

बसना हो तो...
'ह्रदय' में बसो किसी के..!

'दिमाग' में तो..
लोग खुद ही बसा लेते है!!! #sakhi..

Rupam Rajbhar

झांसी वाली रानी रानी थी😍 #poatry #story#nojotohindi #विचार

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😍झांसी वाली रानी रानी थी😍
झाँसी की रानी (Jhansi Ki Rani) - सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan)
सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तनी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठनी थी.
चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.


कानपुर के नाना की मुह बोली बहन छब्बिली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वो संतान अकेली थी,
नाना के सॅंग पढ़ती थी वो नाना के सॅंग खेली थी
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी, उसकी यही सहेली थी.
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.


लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वो स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना यह थे उसके प्रिय खिलवाड़.
महाराष्‍ट्रा-कुल-देवी उसकी भी आराध्या भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ बन आई रानी लक्ष्मी बाई झाँसी में,
राजमहल में बाजी बधाई खुशियाँ छायी झाँसी में,
सुघत बुंडेलों की विरूदावली-सी वो आई झाँसी में.
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

उदित हुआ सौभाग्या, मुदित महलों में उजियली च्छाई,
किंतु कालगती चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई है, विधि को भी नहीं दया आई.
निसंतान मारे राजाजी, रानी शोक-सामानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

बुझा दीप झाँसी का तब डॅल्लूसियी मान में हरसाया,
ऱाज्य हड़प करने का यह उसने अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौज भेज दुर्ग पर अपना झंडा फेहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज झाँसी आया.
अश्रुपुर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई वीरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की मॅयैया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब वा भारत आया,
डल्हौसि ने पैर पसारे, अब तो पलट गयी काया
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया.
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

छीनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
क़ैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घाट,
ऊदैपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात.
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी रोई रनवासों में, बेगम गुम सी थी बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छपते थे अँग्रेज़ों के अख़बार,
"नागपुर के ज़ेवर ले लो, लखनऊ के लो नौलख हार".
यों पर्दे की इज़्ज़त परदेसी के हाथ बीकानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मान में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धूंधूपंत पेशवा जूटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चंडी का कर दिया प्रकट आहवान.
हुआ यज्ञा प्रारंभ उन्हे तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिंगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर, में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में काई वीरवर आए काम,
नाना धूंधूपंत, तांतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवर सिंह, सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम.
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो क़ुर्बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दनों में,
लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्ध आसमानों में.
ज़ख़्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अँग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार.
अँग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

विजय मिली, पर अँग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंहकी खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
यूद्ध क्षेत्र में ऊन दोनो ने भारी मार मचाई थी.
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया, था वो संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार.
घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वो सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गयी पथ, सीखा गयी हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जागावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी.
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी. झांसी वाली रानी रानी थी😍
#poatry
#story#nojotohindi

talvindra_writes

औरत तू इंसान नहीं, भगवान हैं । तू महज़ माँ नहीं, हमारा ज़ीवन हैं । तू इंसान नहीं, भगवान हैं । तू धरती का बोझ नहीं, धरती का टुकड़ा हैं । तू धरती पर कलंक नहीं, धरती की शान हैं । तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

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औरत तू  इंसान  नहीं, भगवान हैं ।
तू महज़ माँ नहीं, हमारा ज़ीवन हैं । 
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू धरती का बोझ नहीं, धरती का टुकड़ा हैं ।
तू धरती पर कलंक नहीं, धरती की शान हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू पतंग नहीं, तितली हैं ।
तू  दासी  नहीं,  रानी हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू ख़्वाब नहीं, हक़ीक़त हैं ।
तू सपना  नहीं, मंजिल  हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू  धूप  नहीं,  छाँव  हैं ।
तू अँधेरा नहीं, उजाला हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू  भाषा   नहीं,   सबकी  परिभाषा  हैं । 
तू महज़ अल्फ़ाज नहीं, मेरी कविता हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

औरत तू एक नहीं, तेरे रूप अनेक ।
तू हैं तो हमारा वजूद हैं, तू नही तो हम नहीं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तेरे आगे ये दुनिया क्या, सारी क़ायनात नतमस्तक हैं ।
औरत ,तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं । औरत तू  इंसान  नहीं, भगवान हैं ।
तू महज़ माँ नहीं, हमारा ज़ीवन हैं । 
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

तू धरती का बोझ नहीं, धरती का टुकड़ा हैं ।
तू धरती पर कलंक नहीं, धरती की शान हैं ।
                         तू इंसान नहीं, भगवान हैं ।

Chandan Kumar

कर्म तेरी अच्छी है, तो सफलता तेरी दासी है ! नियत तेरी अच्छी है, तो किस्मत तेरी दासी है !! Photo #nojotophoto

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 कर्म तेरी अच्छी है, तो सफलता तेरी दासी है !
 नियत तेरी अच्छी है, तो किस्मत तेरी दासी है !! #NojotoPhoto

Jangid Damodar

झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

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सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

 चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

 कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

 वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

  #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान 

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

 चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

Rajesh Raana

भारतीय नारी #भूखी रहेगी , #प्यासी भी रहेगी , तू रखना चाहेगा उसे #गुलाम , तो बनी तेरी #दासी भी रहेगी । #ठहाके मार लेगा तू तेरी #यारी में, तेरे बिना उसे #उदासी भी रहेगी । तू #बेखबर रहेगा उससे कभी कभी, उसे तेरी #खबर जरा सी भी रहेगी। #Hindi #nojotohindi #hindinojoto #वसुंधरा #तीज #हरतालिका #ऋषि #पंचमी

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भूखी रहेगी , प्यासी भी रहेगी ,
तू रखना चाहेगा उसे गुलाम ,
तो  बनी तेरी दासी भी रहेगी ।
ठहाके मार लेगा तू तेरी यारी में,
तेरे बिना उसे उदासी भी रहेगी ।
तू बेखबर रहेगा उससे कभी कभी,
उसे तेरी खबर जरा सी भी रहेगी।
ये सीखे कोई भारत की नारी से ,
देना जानती है वसुंधरा सी रहेगी। भारतीय नारी 
#भूखी रहेगी , #प्यासी भी रहेगी ,
तू रखना चाहेगा उसे #गुलाम ,
तो  बनी तेरी #दासी भी रहेगी ।
#ठहाके मार लेगा तू तेरी #यारी में,
तेरे बिना उसे #उदासी भी रहेगी ।
तू #बेखबर रहेगा उससे कभी कभी,
उसे तेरी #खबर जरा सी भी रहेगी।

BRIJESH KUMAR

" #राजकुमारी छोड़कर खूब निभाई #प्रीत 
 #दासी को अपना लिया हुई #प्रेम की #जीत 
#उँच-नीच के भेद की #जन्म नहीं #पहचान 
 #उँच्च उसी को जानिए जिसके #कर्म_महान "

#महारथी_कर्ण
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