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Archana Chaudhary"Abhimaan"
तीन अंजाने एक ठिकाने सबसे अनूठी बात है तीनों लाज़वाब है। बेफिक्रे, मस्त और जबरदस्त। साथ डोलते मदमस्त। घड़ी में जैसे ही बजते चार तीनों घर से होती फरार। जिम पहुंच करती वर्ज़िश। कभी नही मन में साजिश। पांच बजते लगाते ठहाके पहुंच घर चाय की चुस्की लगा करती है दिल खोल बाते। पतियों को होने लगी टेंशन जिम करते या लेते चाय नाश्ते से वेट का एक्सटेंशन। लेकिन तीनों खास है प्रियंका, ज्योति और अर्चना साथ साथ है। ©Archana Chaudhary"Abhimaan" #ठहाके
Funny Singh🐼
Latest Quote देखने वालों; कब तक दर्द-भरी कवितायें पढोगे..!! आओ Funny singh के साथ थोड़े ठहाके लगाते हैं। 😝 😝collaboration😝😝 #funnysingh #ठहाके #हंसीख़ुशी #funny #yqbaba #yqdidi #ग़म #poem
Rihan khan
पार्ट 1 #मुश्किल है... बहुत मुश्किल है #स्त्री-पुरुष का #मित्र होना। मुश्किल है #जवाब देना, लोगों के मन में उठते #सवालों का, चेहरों पे तैरती कुटिल मुस्कानों का और दबी हुई जुबानों का। मुश्किल है एक साथ #तस्वीर खिंचवाना, उसे #फ्रेम में मड़वाना और फिर दीवार पर टँगाना। मुश्किल है एक #तख़्त पर बैठ पाना खुली सड़क पर दूर तक चल पाना और खुलकर #ठहाके लगाना। मुश्किल है... मुश्किल है. #वक़्त-बे-वक़्त बतियाना बे-वजह मिल पाना भीड़ में #आवाज़ लगाना और हाथ के इशारे से बुलाना। मुश्किल है ♥️❤️ ©Rihan khan #Memes
||स्वयं लेखन||
Utha Le Re Baba मेरे को नहीं रे ! मेरे पोस्ट को लाइक ना करने वालों को😆😂 मेरे को नहीं रे ! मेरे पोस्ट को लाइक ना करने वालों को😆😂 #comedy #comedy#ka#tadka #हसी#के#ठहाके #हसगुले #उठाले#रे#बाबा😅😂🤣🤣😆
Magical Words ( rupali yadav)
याद आती हैं मुझको, बचपन की वो घड़ियाँ, याद आती है वो बचपन की मस्ती, वो सहेलियों के संग धूल उड़ाती गलियां, कैसे भूलूँ वो घड़ियाँ ?? वो पनघट के ठहाके, वो दोस्तों का झुण्ड, वो मस्ती के इलाके, वो उड़ती सी धुंध, कैसे भूलूँ ??? वो बारिश का शोर, उसमें कश्ती बनाकर तैराते हम, वो भीगा -भीगा मौसम, मिट्टी की सौंधी सी सुगंध में खो जाते हम, कैसे भूलूँ वो घड़ियाँ ??? कैसे भूलूँ वो संग ??? चलती थी अपनी भी छुकछुक करती रेल, मिट्टी के बना घरोंदें हम भी खेला करते थे खेल, बचपन का वो सफर कैसे भूलूँ ???? याद आता है वो माँ का ममता भरा आँचल, वो पिता की प्यार भरी फटकार, वो बस्ते का बोझ, वो टीचर्स का दुलार, कैसे भूलूँ ??? अब समझ आया कि, बचपन तो एक सपना था घर बदले, दीवारें बदलीं बदल गए वो घरौंदे, अपने भी हो गए थे व्यस्त से, खुशियों की वो कतारें बदल गईं, बदल गए रास्ते, बदल गए सब खेल.. नहीं बदला तो गली का वो पीपल वाला पेड़, जिसकी ठंडी छाँव में खेला करते थे कई खेल, आज भी सब कुछ छपा है जहन में, भूलूँ तो कैसे भूलूँ !!!! वो साथी, वो ठहाके, वो बचपन की घड़ियाँ, कैसे भूलूँ ?????? #कैसे भूलूँ ???? रोहित तिवारी Om Prakash Kumar Ganesh Prasad Pinky Kumari Kavita Rani
एस एल असारसा साण्डेराव
🤣🤣*ठहाके* 🤣🤣 🤣🤣स्कूल के पेड 🌴 पर फरगर्लफ्रेंड 💁 का नाम लिखने से अच्छा है उतने पेड🌳 लगा दो, पर्यावरण हित मे जारी🤣🤣 #ठहाके #ठहाका #comedy #काँमेडी
एस एल असारसा साण्डेराव
```~ठहाके~``` 🤣🤣मौसम ने ऐसे कन्फ्यूजन मोड पर लाकर खड़ा किया है की पंखा चालू करके सोना है या बन्द करके 🤣🤣 #ठहाके #Romance #comedy
Pg000(themy_stical words@insta)
वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! आँख मिचौली खेले जिन संग वो साथी सब छूट गये हँसी ठहाके और हुड़दंगे सारे हम सब भूल गये वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! जब छोटी छोटी बातो से हम रूठ जाया करते थे माँ के भी मानने से हम ना माना करते थे चिढ़ते थे, चिढ़ाते थे फिर मान जाया करते थे| वो बचपन के दिन कब आए कब बीत गये !!! बचपन बीता आई जवानी रगो मे बहती नई रवानी हर पल अब एक नई कहानी हैं सब अब कारोबार के रिश्ते कौन अब मनाए हमको वो साथी सब छूट गये हँसी ठहाके और हुड़दंगे सारे हम सब भूल गये| #Bachpan#nojoto#writer#poetry.....
Rahul Mishra
उम्र तकरीबन दस साल रही होगी. आज ही की तरह होली का दिन था. मेरे मोहल्ले के एक लड़के ने मेरे मूँह पे रंग भरा गुब्बारा फोड़ दिया. "फ़चाक" की आवाज़ के साथ ही वहाँ खड़ा हर कोई ठहाके मार कर मुझपे हँसने लगा. उसका ये मज़ाक मुझे पसंद नहीं आया और मैंने उसको एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया. चार घंटे बाद ही वह अपने भाई को ले आया और उन दोनों ने मिलकर मुझे बहुत पीटा. अगले दिन स्कूल में मेरे कुछ दोस्तों ने मिलकर उसपे लात घूँसों की बरसात कर दी. कुछ दिन वह स्कूल नहीं आया मगर जिस दिन वापस आया उसने और उसके दोस्तों ने मुझे हॉकी से पीटा. एक महीने के अंदर ही मैने भी उसका सिर फोड़ दिया और बदला ले लिया. ये लड़ाई कभी ख़त्म नहीं हुई . ना उसने कभी शहर बदला, ना मैने कभी मकान बदला. हम दोनों आज भी उसी मोहल्ले उसी इलाक़े मे रहते हैं. हम दोनों हमेशा से दुश्मन रहे और इसी दुश्मनी के बीच हम बड़े भी हो गये. आज भी दफ़्तर जाते हुए उसकी दुकान के सामने से निकलता हूँ तो ना वह कुछ बोलता है ना मैं कुछ कहता हूँ. हमारी बोलचाल इस हद तक बंद थी कि ना उसने मुझे अपनी शादी पे बुलाया ना मैने ही उसको अपनी शादी का कार्ड भेजा. हम आज भी एक दूसरे को फूटी नज़र नहीं सुहाते. खैर!! कल की होली बहुत खास थी. मोहल्ले में सभी बच्चे जब होली खेल रहे थे तब उसके सात साल के बेटे ने खेल खेल में मेरे बेटे के गाल पे एक रंग भरा गुब्बारा फोड़ दिया. आसपास जो भी था ठहाके मार के हँसने लगा. मैं ये नज़ारा अपनी छत पे खड़ा हो कर देख रहा था. मुझे लगा जैसे मेरा बचपन एक बार फिर से मेरे सामने आ गया हो. आगे होने वाली लड़ाई को रोकने के लिए मैं भागा भागा मोहल्ले में गया तो क्या देखता हूँ कि मेरा बेटा भी उसके बेटे के उपर गुब्बारे फोड़ रहा है. दोनो हँस हँस के एक दूसरे के उपर गुब्बारे फोड़ रहे हैं और खूब मस्ती कर रहे है. ना जाने क्यों, मेरी आँखों से आँसू निकल आए !! मैं सोच में डूब गया कि क्या इतना आसान था जिंदगी भर की दुश्मनी को रोक पाना? उस दिन उसके गुब्बारे का जवाब मैं थप्पड़ से ना दे कर एक गुब्बारे से दे देता तो शायद मेरे पास एक दोस्त ज़्यादा होता और एक दुश्मन कम. मित्रों !! होली रंगों का पर्व है, इसे रंजिशों का पर्व ना बनाए. होली मुबारक !! #NojotoQuote Holi Hai !!
Anil Siwach