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JP Lines
लिखते✍️ हैं सदा उन्हीं के लिए जिन्होंने हमें कभी पढ़ा ही नहीं....✍️ #पढ़ा #हि #नहीं
shadab AL Ibrahimi
एक उजड़े गुलशन पे खामूश परिंदा नग़्में गा रहा था۔ कोई मुहब्बत तो नहीं उसके इर्द गिर्द۔ भला वो अपनी दिलकशी किसे सुना रहा था۔ शायद वो इस बार 'इब्राहिमी' ख़ुद हि मुहब्बत कर, ख़ुद हि को बहला रहा था۔ shadab AL ibrahimi. .........
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read morePallavi Phadnis
आज खुदसे हि अंजान बनना चाहते है,क्यूकी पहचान समजकर खुदगर्ज हो जाते है,और ये खुदगर्जीमे पराये भी अपने हो जाते है और अपने खाली आजमाते है अंजान होते है,तब अपना पराये का खयाल नही आता, और कोयी साथ हो या ना हो ये जरुरी नही होता अंजान ख्वाब देखना चाहती हूं बेजान दिल चुराना चाहती हूं नजरअंदाज नजरे मिलाने चाहती हूं बेदर्द रुह छुना चाहती हूं,देखना है हमे अंजानेपन का एहसास ,कभी जाननेवाले होते है दूर और अंजान हि होते पास पल्लवी फडणीस,भोर✍
Pallavi Phadnis
हदे हि अछि होती है वरना वादे तो ऐसी हि तूट जाते है,और हम हदसे गुजर जाते है पल्लवी फडणीस,भोर✍️
Ravindra Yadav
वह याद ही क्या जो तुम्हारी ना हो, वह वक्त ही क्या जो तुम्हारी ना हो, वह दिल हि क्या जो तुम्हारे लिए ना धड़के, वह जिंदगी हि क्या जो तुम्हारे बगैर ही,
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
नफरतों के-दर वाज़े- खूद पे बंद ही रखना, इस वतन के परचम को सर बूलंद ही रखना, ❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️ نفرتوں کے دروازے خود پہ بند ہی رکھنا اس وطن کے پرچم کو سربلند ہی رکھنا. ❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️ नफरतों के-दर वाज़े- खूद पे बंद हि रखना । इस वतन के परचम को सर बूलंद हि रखना। ❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️ نفرتوں کے دروازے خود پہ بند ہی رکھنا
❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️ नफरतों के-दर वाज़े- खूद पे बंद हि रखना । इस वतन के परचम को सर बूलंद हि रखना। ❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳❤️ نفرتوں کے دروازے خود پہ بند ہی رکھنا
read moreप्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
आजादी की बधाई
read moreKranti Thakur
#OpenPoetry धड़कनों जैसे ही कुछ मंद से पड़ते हुए बोझिल साँसों सा मेरे जिस्म के चलते हुए वो जो ज़ज़्बातों से काफ़ी हद तक लबरेज़ थे अल्फ़ाज़ों से कहीँ ज्यादा एहसासों के जिसमे तेज़ थे काश के जलाने से पहले एक दफ़ा पढ़ लेते गर दूरियाँ थी पसँद तुम्हे तो इत्तला पहले से हि कर देते जिन कागज़ों को तुमने आखिर ख़त समझा वो महज़ ख़त हि तो नहीं थे वो मुहब्बत में ज़िन्दगी भर की कमाई थी जिसे सहजने में खर्च की हमने उम्मीदों की पाई-पाई थी उसके जलने से जले थे कुछ ख़्वाब मेरी आँखों के दफ़न हो गयी थी कुछ सिसकियाँ कुछ चीखें मेरी आहों के उसके जलने में अरमानों का जलन था जिस्म सर्द था मगर जलता हुआ सा मन था - क्रांति #आखिरी #ख़त
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
रात भर करता रहा तेरी तारीफ़ चाँद से चाँद इतना जला की सुबह तक सूरज हो गया! इसी यकीं पर हि #अंधेरों में सफर जारी है । मिल हि जायेंगे किसी रोज़ #उजाले मूझको।
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
इसी यकीं पर हि अंधेरों में सफर जारी है, मिल हि जायेंगे किसी रोज़ उजाले मूझको, ﺍِﺳﯽ ﯾﻘﯿﻦ ﭘﺮ ﮨﯽ ﺍﻧﺪﮬﯿﺮﻭﮞ ﻣﯿﮟ ﺳﻔﺮ ﺟﺎﺭﯼ ﮬﮯ . ﻣﻞ ﮨﯽ ﺟﺎﺋﯿﮟ ﮔﮯ ﮐﺴﯽ ﺭﻭﺯ ﺍُﺟﺎﻟﮯ ﻣﺠﮫ کو۔ सिर्फ________________________तुम💘 मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, इसी यकीं पर हि #अंधेरों में सफर जारी है । मिल हि जायेंगे किसी रोज़ #उजाले मूझको। ﺍِﺳﯽ ﯾﻘﯿﻦ ﭘﺮ ﮨﯽ ﺍﻧﺪﮬﯿﺮﻭﮞ ﻣﯿﮟ ﺳﻔﺮ ﺟﺎﺭﯼ ﮬﮯ . ﻣﻞ ﮨﯽ ﺟﺎﺋﯿﮟ ﮔﮯ ﮐﺴﯽ ﺭﻭﺯ ﺍُﺟﺎﻟﮯ ﻣﺠﮫ کو۔ ❤ان شاءاللہ❤