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SHASHIKANT
खाखी का व्यवहार 👮👮👮👮👮👮 दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा, बस साथ मेरा मांगो तो, मैं चाहत बन जाऊँगा, हो पीर भले कितनी भी, छिप कर बैठी तुममें, हूँ दुःख हरने वाला, सुख वाहक बन जाऊँगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। जब साथ न दे कोई, परिस्थितियां हो हावी, जब फंस जाओ खुद में, मिले न जब चाभी, बस याद मुझें करना, पल भर में आ जाऊंगा, ले लूंगा मैं सारे गम, खुद गले तुम्हें लगाऊंगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। अपने भी जब साथ न दे, छोड़ दे गहरी खाई में, नजर गड़ाये जब कोई, तुम्हारी एक भी पाई पे, विश्वास प्रबल लेकर के, पास मेरे आ जाना तुम, दावा है मेरा बस एक, सारे गम हो जाएंगे गुम, चक्रव्यूह तोड़ कर सारे, ढाल सुदृढ़ बन जाऊँगा दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। जब चैन तुम्हारा खो जाएं, मन शान्त न हो पाए, काले बादल घिर आए, नैनों से नीर जो छलकाए, असहनीय हो दर्द तुम्हारा, मिले न जब कोई सहारा, खाखी के पास चले आना, बन जाऊंगा मित्र तुम्हारा, अवसर एक मुझें देना, आँसू मैं पोछ दिखाऊंगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा।। ©SHASHIKANT #Police #police_duty #India #Friend #Shashikant_Verma #Mere_alfaaz #jaunpur #uppolice #uppolicebharti #mission_shakti
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तलाशता बस पता उसका नही पता है नाम जिसका। शून्य में खो जाऊंगा तब मैं जब मिलेगा साथ उसका। कब होगी पूरी तलाश फेरी कम हो रही अब सांस मेरी। बीतेंगी कब ये रात अंधेरी बदल रही मुझें दुनिया बैरी। है मेरी बस एक ही इच्छा दे दो मुझकों बस ये भिक्षा। सफल करो तुम मेरी दीक्षा सार्थक हो जाये मेरी शिक्षा। चमक को तेरी पाना चाहूँ खुद सूरज बन जाना चाहूँ। तपने का तू दे दे अवसर दुनिया को चमकाना चाहूँ। संघर्ष शस्त्र संधान करूँ मैं कुछ ऐसा अभियान करूँ मैं। साधारणता का दान करूँ मैं विशिष्टता को प्रस्थान करूँ मैं। ©SHASHIKANT #Josh #joshtalk #Shashikant_Verma
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मुसफीखाने में मेरे मुसाफिर कई आये रिश्तों के गुलदस्तों का तोहफा भी लाये जरूरत पूरी कर खाली छोड़ गए कमरे अब बची तन्हाई संग बचे यादों के साये। सच है एक दिन सभी बस छोड़ जाते है दिल के कोमल दर्पण को तोड़ जाते है समझ न सका बस उनकी फितरत को सब काम निकलने पर मुंह मोड़ जाते है। पास मेरे आया बन कर हर कोई सच्चा मान लिया मैंने भी उसे बिन सोचे अच्छा असल दुनियादारी की समझ न थी मुझमें समझ में अब आया था मैं ही अभी कच्चा। जो होना था हो चुका अब गम न करता हूँ छोड़ गए है जब चलो धीरज भी धरता हूँ पर बचा नही वैसा जो पहले था जैसा बस खुद को खो करके पल पल मरता हूँ। ©SHASHIKANT #SAD #Shashikant_Verma
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अकेलेपन में मजा है कितना, तुमकों आज बताता हूँ तन्हाई में जीवन जीने की, एक कहानी तुम्हें सुनाता हूँ उठता है वो सुबह सबेरे, बस काम की चिंता लेकर नहा धो तैयार वो होता, काम को जाता चाय पीकर दिन भर की आपा धापी में, भूलता दोपहर का भोजन न जाने वो क्या पाना चाहे,स्थिर नही होता उसका मन शाम जब भूख है लगती, बाजार से कुछ खा लेता है खाने के समय ही थोड़ा,कुछ ग़ैरों का संग पा लेता है काम कभी खत्म न होता, पर दिन खत्म हो जाता है दिन भर की दौड़ भाग से, कुछ न हाशिल हो पाता है थका हारा रात को वह जब,कमरे पर अपने आता है एकांत कमरे में वो खुद को,बस तन्हाई में ही पाता है सोचता है मन फिर उसका,है क्या कोई मेरा अपना है कहीं क्या आंखे कोई, जो देखती हो मेरा सपना दिन भर की थकान से टूटा,हो बेसुध फिर सो जाता है उसे सच्चाई से सपना प्यारा,जिसमें फिर खो जाता है कोई मिल जाये अपना, सपना रोज देखा करता है इसी तरह से रोज रोज वो, जीने की किश्तें भरता है अकेलापन जब चरम पर हो, तन्हाई अच्छी लगती है कभी कभी तो पूरी रातें बस टक टकी में ही कटती है ©SHASHIKANT #Shashikant_Verma
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धन्यवाद हूँ करता उनकों ज्ञापित अधरस्ते छोड़ कर जो चले गए । उनकों तो जाना ही था एक दिन भला हुआ जो पहले चले गए । छल कपट धोखा कभी न जाना होता है ये सब क्या दिखा गए । पानी सा निश्छल हृदय होने का परिणाम वो मुझकों सीखा गए । कष्ट मिला जब मौन हुआ मैं मुझें मौन की महिमा बता गए । मोम था पहले सूर्य हुआ अब भला हो उनका जो सता गए । रिश्तों का मोल बचा है जितना रिश्ता वो उतना ही निभा गए। तप कर मैंने चमक का पाया अच्छे थे अपने जो जला गए। धोखे सहना, एकांत में रोना अनुभव का विष वो पिला गए। अफसोस बस होता है इतना सम्बन्धो को मिट्टी में मिला गए। (स्वरचित व मौलिक) शशिकान्त वर्मा 'शशि' जौनपुर, उत्तर प्रदेश। ©SHASHIKANT #Pain #Shashikant_Verma
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मैं ही हूँ दुश्मन मेरा, हाँ मैं खुद को सताता हूँ कहाँ की मैंने गलतियां मैं खुद को बताता हूँ दिन थे वो भी क्या जब जी रहा था मैं जिंदगी याद करके बीते लम्हे दिल खुद का दुखाता हूँ क्षितिज सी थी चाह मेरी जिसे न बोल पाता हूँ बंध करके पाश में अब बस रिश्ते निभाता हूँ दर्द भर कर गले तक जब टपक रहा नयन से दर्द छुपा कर दुनिया से बेमतलब मुस्कुराता हूँ भीड़ में भी जब कभी अकेला खुद को पाता हूँ खुद से ही मैं बात करता खुद को ही सुनाता हूँ कट रही जब जिंदगी जैसे जल रही हो तिलिया दीये की तरह बनने को दीये सा जलता जाता हूँ अफसोस अब किस बात का गम में गुनगुनाता हूँ याद कोई जब करता नही मैं भी गम भुलाता हूँ पांव में कांटे चुभें थे छोड़ कर अपने ही आगे बढ़े था मोम पिघल गया अब खुद को पत्थर बताता हूँ। ©SHASHIKANT #me #Shashikant_Verma
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●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● जख्म को चीर कर दिखाना पड़ता है झूठी हंसी से दर्द को छुपाना पड़ता है शर्त ये दुनिया मे सुकून से जीने का यहाँ गूँगे को भी दर्द में गाना पड़ता है मिलती नही रोटियां नसीब से यहाँ इसे खाने से पहले कमाना पड़ता है तब भलाई करके दरिया डालते थे अब भलाई करके जताना पड़ता है नही समझेगा कोई तेरे नजरिये को अब खुद को ही समझाना पड़ता है पानी नही पूछता बिना मतलब कोई पहले लोगो के काम आना पड़ता है निभा लो पर न पाओगे साथी सच्चा मुश्किल में अकेले ही जाना पड़ता है जोड़ लो रिश्ते तुम भले ही लाखों सारे अंतिम घड़ी तन्हा गुजर जाना पड़ता है अब तो बेमतलब कंधा भी है मुश्किल खुद मरना खुद आग लगाना पड़ता है ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● शशिकान्त वर्मा 'शशि' ©SHASHIKANT #Pain #painfulllife #Mere_alfaaz #hindi_poetry #Shashikant_Verma
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दर्द मुझकों हो रहा है ●●●●●●●●●●●●●●●●●● न जाने अब मुझें क्या हो रहा है कुछ तो था भीतर जो खो रहा है कुछ अपनो ने दे दिया दर्द इतना इंसान भी अंदर का मेरे रो रहा है नींदें छीन सुकूँ से कोई सो रहा है फर्ज में कोई रिश्तों को ढो रहा है थे बिछाएं फूल स्वागत में जिनके कांटे मेरी खातिर वही बो रहा है कतार में रक़ीबों के रखा मुझकों रफीक भी मेरा कभी जो रहा है गालों पर सजाया गुलाल जिसके नाम भी मेरा वही अब धो रहा है कांटों से बचाने को दे दी हथेली अब जाकर दर्द मुझकों हो रहा है ●●●●●●●●●●●●●●●●●●● शशिकान्त वर्मा 'शशि' जौनपुर, उत्तर प्रदेश। दिनाँक- १४/०१/२०२३ ©SHASHIKANT #Friend #Shashikant_Verma #hindi_poetry #hindi_poem #hindi_shayari #Mere_alfaaz