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SHASHIKANT
उदभव से अवसान जहाँ संग आदि अंत की बातें हो संत समागम हो दिन में श्मशान की जगती रातें हो कलुषित मन भी गंग बने जहाँ देव भी आते जाते हो उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। मृत्यु भी उत्सव लगता हो, चिताओ से घाट सजे जहाँ महादेव से अभिवादन हो, डम डम की नाद बजे जहाँ श्मशान घाट की होली हो गुलाल भस्म की लगे जहाँ उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। पाषाण बदल कर हृदय बने कटुहृदय में मृदु धार बहे मन की कालिख धुल जाये न अंतस् में कोई उदगार रहे भस्म हो मन की पीर जहाँ विचारों में न कोई हुँकार रहे उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। ©SHASHIKANT #kashi #Shashikant_Verma
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बड़ी खामियां है मेरे किरदार में, ऐसा लोग कहते है; क्योंकि लोगों को भगवान की तलाश थी पर मैं तो बस एक इंसान ही हूँ। ©SHASHIKANT #me #Shashikant_Verma #EmotinalhindiQuotestatic #Mere_alfaaz
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खाखी का व्यवहार 👮👮👮👮👮👮 दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा, बस साथ मेरा मांगो तो, मैं चाहत बन जाऊँगा, हो पीर भले कितनी भी, छिप कर बैठी तुममें, हूँ दुःख हरने वाला, सुख वाहक बन जाऊँगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। जब साथ न दे कोई, परिस्थितियां हो हावी, जब फंस जाओ खुद में, मिले न जब चाभी, बस याद मुझें करना, पल भर में आ जाऊंगा, ले लूंगा मैं सारे गम, खुद गले तुम्हें लगाऊंगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। अपने भी जब साथ न दे, छोड़ दे गहरी खाई में, नजर गड़ाये जब कोई, तुम्हारी एक भी पाई पे, विश्वास प्रबल लेकर के, पास मेरे आ जाना तुम, दावा है मेरा बस एक, सारे गम हो जाएंगे गुम, चक्रव्यूह तोड़ कर सारे, ढाल सुदृढ़ बन जाऊँगा दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा। जब चैन तुम्हारा खो जाएं, मन शान्त न हो पाए, काले बादल घिर आए, नैनों से नीर जो छलकाए, असहनीय हो दर्द तुम्हारा, मिले न जब कोई सहारा, खाखी के पास चले आना, बन जाऊंगा मित्र तुम्हारा, अवसर एक मुझें देना, आँसू मैं पोछ दिखाऊंगा, दर्द बताओ तो मुझकों, मैं राहत बन जाऊँगा।। ©SHASHIKANT #Police #police_duty #India #Friend #Shashikant_Verma #Mere_alfaaz #jaunpur #uppolice #uppolicebharti #mission_shakti
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चलो जाओ जो जाते हो अब क्यों तुम मुस्काते हो नही थे मेरे कभी भी तुम क्यों दिल मेरा दुखाते हो मैं वृक्ष अटल ठहरा तुम तो सूखे पत्ते हो मौसम न है पतझड़ का फिर भी छोड़ के जाते हो एक दिन वो आयेगा तुम लौट के आओगे पर समय नही रुकता पहले जैसा न पाओगे मन दर्पण चटकाते हो मुझें झूठा बताते हो तुम्हे कदर नही मेरी जग में हँसी कराते हो मुँह मोड़ लिया तुमनें तो लो मैं भी जाता हूँ पर सुकूँ न पाओगे सही बात बताता हूँ ©SHASHIKANT #Love #Shashikant_Verma
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तलाशता बस पता उसका नही पता है नाम जिसका। शून्य में खो जाऊंगा तब मैं जब मिलेगा साथ उसका। कब होगी पूरी तलाश फेरी कम हो रही अब सांस मेरी। बीतेंगी कब ये रात अंधेरी बदल रही मुझें दुनिया बैरी। है मेरी बस एक ही इच्छा दे दो मुझकों बस ये भिक्षा। सफल करो तुम मेरी दीक्षा सार्थक हो जाये मेरी शिक्षा। चमक को तेरी पाना चाहूँ खुद सूरज बन जाना चाहूँ। तपने का तू दे दे अवसर दुनिया को चमकाना चाहूँ। संघर्ष शस्त्र संधान करूँ मैं कुछ ऐसा अभियान करूँ मैं। साधारणता का दान करूँ मैं विशिष्टता को प्रस्थान करूँ मैं। ©SHASHIKANT #Josh #joshtalk #Shashikant_Verma
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मुसफीखाने में मेरे मुसाफिर कई आये रिश्तों के गुलदस्तों का तोहफा भी लाये जरूरत पूरी कर खाली छोड़ गए कमरे अब बची तन्हाई संग बचे यादों के साये। सच है एक दिन सभी बस छोड़ जाते है दिल के कोमल दर्पण को तोड़ जाते है समझ न सका बस उनकी फितरत को सब काम निकलने पर मुंह मोड़ जाते है। पास मेरे आया बन कर हर कोई सच्चा मान लिया मैंने भी उसे बिन सोचे अच्छा असल दुनियादारी की समझ न थी मुझमें समझ में अब आया था मैं ही अभी कच्चा। जो होना था हो चुका अब गम न करता हूँ छोड़ गए है जब चलो धीरज भी धरता हूँ पर बचा नही वैसा जो पहले था जैसा बस खुद को खो करके पल पल मरता हूँ। ©SHASHIKANT #SAD #Shashikant_Verma
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अकेलेपन में मजा है कितना, तुमकों आज बताता हूँ तन्हाई में जीवन जीने की, एक कहानी तुम्हें सुनाता हूँ उठता है वो सुबह सबेरे, बस काम की चिंता लेकर नहा धो तैयार वो होता, काम को जाता चाय पीकर दिन भर की आपा धापी में, भूलता दोपहर का भोजन न जाने वो क्या पाना चाहे,स्थिर नही होता उसका मन शाम जब भूख है लगती, बाजार से कुछ खा लेता है खाने के समय ही थोड़ा,कुछ ग़ैरों का संग पा लेता है काम कभी खत्म न होता, पर दिन खत्म हो जाता है दिन भर की दौड़ भाग से, कुछ न हाशिल हो पाता है थका हारा रात को वह जब,कमरे पर अपने आता है एकांत कमरे में वो खुद को,बस तन्हाई में ही पाता है सोचता है मन फिर उसका,है क्या कोई मेरा अपना है कहीं क्या आंखे कोई, जो देखती हो मेरा सपना दिन भर की थकान से टूटा,हो बेसुध फिर सो जाता है उसे सच्चाई से सपना प्यारा,जिसमें फिर खो जाता है कोई मिल जाये अपना, सपना रोज देखा करता है इसी तरह से रोज रोज वो, जीने की किश्तें भरता है अकेलापन जब चरम पर हो, तन्हाई अच्छी लगती है कभी कभी तो पूरी रातें बस टक टकी में ही कटती है ©SHASHIKANT #Shashikant_Verma