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Rabindra Kumar Ram

" ये आख़िरी लम्हों की बात होगी , फिर कहीं तु फिर कहीं मैं फिर ये बरसात होगी , फकत जो हुआ सो हुआ ना तेरी गलती ना मेरी कोई भूल , लम्हें यूं ही मिल के बिछड़ने थे तो क्या करते , तुझे इल्म होगा मेरे खामोशि का जब कोई तुझ से बात करने‌ को नहीं मिलेगा." --- रबिन्द्र राम

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" ये आख़िरी लम्हों की बात होगी ,
फिर कहीं तु फिर कहीं मैं फिर ये बरसात होगी , 
फकत जो हुआ सो हुआ ना तेरी गलती ना मेरी कोई भूल ,
लम्हें यूं ही मिल के बिछड़ने थे तो क्या करते ,
तुझे इल्म होगा मेरे खामोशि का जब कोई तुझ से बात करने‌ को नहीं मिलेगा." 

                                       --- रबिन्द्र राम 
" ये आख़िरी लम्हों की बात होगी ,
फिर कहीं तु फिर कहीं मैं फिर ये बरसात होगी , 
फकत जो हुआ सो हुआ ना तेरी गलती ना मेरी कोई भूल ,
लम्हें यूं ही मिल के बिछड़ने थे तो क्या करते ,
तुझे इल्म होगा मेरे खामोशि का जब कोई तुझ से बात करने‌ को नहीं मिलेगा." 

                                       --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" लिखों जो लिखा जा सके , मुहब्बत के एहसासों को जिया जा सके , मेरी खामोशि अब बेजूबान हो रही , खामोशि के इस पहलू को उसे पेश किया जा सके ." --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #एहसासों #बेजूबान

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" लिखों जो लिखा जा सके ,
मुहब्बत के एहसासों को जिया जा सके ,
मेरी खामोशि अब बेजूबान हो रही ,
खामोशि के इस पहलू को उसे पेश किया जा सके ." 

                           --- रबिन्द्र राम
 " लिखों जो लिखा जा सके ,
मुहब्बत के एहसासों को जिया जा सके ,
मेरी खामोशि अब बेजूबान हो रही ,
खामोशि के इस पहलू को उसे पेश किया जा सके ." 

                                    --- रबिन्द्र राम

#मुहब्बत #एहसासों #बेजूबान

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " मत पूछ कि बेकरारी किस कदर हिसाब ले रही हैं , उठते - झूकते पलकों से मेरी खामोशि का जिक्र किया जा रहा , फितरतन ख्याल तेरा क्या ख्याल का जिक्र करने बैठे हैं , जैसे कि बिन बातों के भी तेरे ज़िक्र की नुमाइश कर रही हो ." --- रबिन्द्र राम

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" मत पूछ कि बेकरारी किस कदर हिसाब ले रही हैं ,
उठते - झूकते पलकों से मेरी खामोशि का जिक्र किया जा रहा ,
फितरतन ख्याल तेरा क्या ख्याल का जिक्र करने बैठे हैं ,
जैसे कि बिन बातों के भी तेरे ज़िक्र की नुमाइश कर रही हो ."

                                    --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" मत पूछ कि बेकरारी किस कदर हिसाब ले रही हैं ,
उठते - झूकते पलकों से मेरी खामोशि का जिक्र किया जा रहा ,
फितरतन ख्याल तेरा क्या ख्याल का जिक्र करने बैठे हैं ,
जैसे कि बिन बातों के भी तेरे ज़िक्र की नुमाइश कर रही हो ."

                                    --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" तमाम हसरतें महज़ ख्याल ना रहे , तेरी आरजू तेरी जुस्तजू के कोई तो मायने हो , मैंने कुछ खामोशि पाल रखी हैं , फितरतन तेरी भी ख्वाहिश जान के लिए ." --- रबिन्द्र राम #तमाम #हसरतें #ख्याल

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" तमाम हसरतें महज़ ख्याल ना रहे ,
तेरी आरजू तेरी जुस्तजू के कोई तो मायने हो ,
मैंने कुछ खामोशि पाल रखी हैं ,
फितरतन तेरी भी ख्वाहिश जान के लिए ." 

                            --- रबिन्द्र राम " तमाम हसरतें महज़ ख्याल ना रहे ,
तेरी आरजू तेरी जुस्तजू के कोई तो मायने हो ,
मैंने कुछ खामोशि पाल रखी हैं ,
फितरतन तेरी भी ख्वाहिश जान के लिए ." 

                            --- रबिन्द्र राम 

#तमाम #हसरतें #ख्याल

Rabindra Kumar Ram

" तमाम खत्म हलात हुए , तेरी खामोशि के मद्देनजर , जिसकी कि कुछ गुंजाइश रही , वो भी तुझे देखते रहने का दौर खत्म हुआ ." --- रबिन्द्र राम #तमाम #खामोशि #मद्देनजर #गुंजाइश #दौर #खत्म

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" तमाम खत्म हलात हुए ,
तेरी खामोशि के मद्देनजर ,
जिसकी कि कुछ गुंजाइश रही ,
वो भी तुझे देखते रहने का दौर खत्म हुआ ." 

                               --- रबिन्द्र राम  " तमाम खत्म हलात हुए ,
तेरी खामोशि के मद्देनजर ,
जिसकी कि कुछ गुंजाइश रही ,
वो भी तुझे देखते रहने का दौर खत्म हुआ ." 

                               --- रबिन्द्र राम

#तमाम #खामोशि #मद्देनजर #गुंजाइश #दौर #खत्म

Rabindra Kumar Ram

" कहीं वो मिलते की खाक छानने बैठे हैं , उसकी यादों की बारात लेकर आते , जशन खामोशि की चहल कर रही , ऐसे में तुम कहीं मिल भी नहीं रहे . " --- रबिन्द्र राम #खाक

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" कहीं वो मिलते की खाक छानने बैठे हैं ,
उसकी यादों की बारात लेकर आते ,
जशन खामोशि की चहल कर रही ,
ऐसे में तुम कहीं मिल भी नहीं रहे . " 

                          --- रबिन्द्र राम " कहीं वो मिलते की खाक छानने बैठे हैं ,
उसकी यादों की बारात लेकर आते ,
जशन खामोशि की चहल कर रही ,
ऐसे में तुम कहीं मिल भी नहीं रहे . " 

                          --- रबिन्द्र राम 

 #खाक

Rabindra Kumar Ram

" जो कस्मेकम में है ताउम्र रहे ये ज़िन्दगी , जो ख्याल है ताउम्र रहे ये दूश्वारिया , जो जूस्तजु नहीं है ना आये ख्याल , तेरी खामोशि के मद्देनजर ये भी ख्याल रखेंगे ." --- रबिन्द्र राम #कस्मेकम #दूश्वारिया #जूस्तजु #खामोशि #मद्देनजर #ख्याल

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" जो कस्मेकम में है ताउम्र रहे ये ज़िन्दगी ,
जो ख्याल है ताउम्र रहे ये दूश्वारिया ,
जो जूस्तजु नहीं है ना आये ख्याल ,
तेरी खामोशि के मद्देनजर ये भी ख्याल रखेंगे ." 

                               --- रबिन्द्र राम " जो कस्मेकम में है ताउम्र रहे ये ज़िन्दगी ,
जो ख्याल है ताउम्र रहे ये दूश्वारिया ,
जो जूस्तजु नहीं है ना आये ख्याल ,
तेरी खामोशि के मद्देनजर ये भी ख्याल रखेंगे ." 

                               --- रबिन्द्र राम 

#कस्मेकम #दूश्वारिया #जूस्तजु #खामोशि #मद्देनजर #ख्याल

Rabindra Kumar Ram

" कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे , मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा , उलझन में हैं दिल का मसला है , मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " --- रबिन्द्र राम #ख्याल #खामोशि #चेहरा

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" कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम " कहीं मिल तु इस ख्याल से खिल बैठे ,
मेरी इस खामोशि को कोई चेहरा नहीं मिल रहा ,
उलझन में हैं दिल का मसला है ,
मसैदा कब से तैयार है इसे वो एहसास नहीं मिल रहा. " 

                                        --- रबिन्द्र राम 

#ख्याल #खामोशि #चेहरा

Rabindra Kumar Ram

" उसे जान के भूल जाना चाहता हूं , कहीं इस खामोशि में गलत फैमी ना पाल ले , हसरतें कुछ काफिर ना हो जाये , मैं उसे अब उसी अंदाज में चाहुंगा ." --- रबिन्द्र राम #गलतफैमी

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" उसे जान के भूल जाना चाहता हूं ,
कहीं इस खामोशि में गलत फैमी ना पाल ले ,
हसरतें कुछ काफिर ना हो जाये ,
मैं उसे अब उसी अंदाज में चाहुंगा ." 

                              --- रबिन्द्र राम
 " उसे जान के भूल जाना चाहता हूं ,
कहीं इस खामोशि में गलत फैमी ना पाल ले ,
हसरतें कुछ काफिर ना हो जाये ,
मैं उसे अब उसी अंदाज में चाहुंगा ." 

                              --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" ढुंढ के देखो बहाने और मिलेंगे , दुर जाने के निशाने और मिलेंगे , तेरी खामोशि के मदे नजर कुछ गिला और मिलेंगे दरमया चहातो के कुछ गहरे जख्म और मिलेंगे " --- रबिन्द्र राम #बहाने #निशाने #खामोशि #मदे #नजर

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" ढुंढ के देखो बहाने और मिलेंगे ,
दुर जाने के निशाने और मिलेंगे ,
तेरी खामोशि के मदे नजर कुछ गिला और मिलेंगे
दरमया चहातो के कुछ गहरे जख्म और मिलेंगे "

                                  --- रबिन्द्र राम " ढुंढ के देखो बहाने और मिलेंगे ,
दुर जाने के निशाने और मिलेंगे ,
तेरी खामोशि के मदे नजर कुछ गिला और मिलेंगे
दरमया चहातो के कुछ गहरे जख्म और मिलेंगे "

                                           --- रबिन्द्र राम

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