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Rabindra Kumar Ram

" इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा , तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा‌ , फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं , मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . " --- रबिन्द्र राम #वाकिफ #मुहब्बत#गुंजाइश #तब्बजो #साकी #फ़िरदौस #मुन्तजिर #दीदारे-ए-ख़्वाब

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" इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा ,
तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा‌ ,
फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं ,
मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . "

                              --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा ,
तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा‌ ,
फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं ,
मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . "

                              --- रबिन्द्र राम 

#वाकिफ #मुहब्बत#गुंजाइश #तब्बजो #साकी  #फ़िरदौस #मुन्तजिर #दीदारे-ए-ख़्वाब

Rabindra Kumar Ram

" मैं ख़्यालो की नुमाइश लिये बैठे हैं बात ज़रा कुछ भी नहीं , गुंजाइश जो भी हो सो हो इस अदब से तेरी तन्हाई की सरगोशी लिये बैठे हैं , वो शामें वफ़ा मुश्किलात तो हैं ही तेरे बिन इस अंजुमन में , तुझसे पुछे बगैर तुझसे मुहब्बत की जुर्म किये बैठे हैं ."                             --- रबिन्द्र राम #नुमाइश #ज़रा #गुंजाइश #सरगोशी #वफ़ा #अंजुमन #मुहब्बत #जुर्म

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" मैं ख़्यालो की नुमाइश लिये बैठे हैं बात ज़रा कुछ भी नहीं ,
गुंजाइश जो भी हो सो हो इस अदब से तेरी तन्हाई की सरगोशी लिये बैठे हैं ,
वो शामें वफ़ा मुश्किलात तो हैं ही तेरे बिन इस अंजुमन में ,
तुझसे पुछे बगैर तुझसे मुहब्बत की जुर्म किये बैठे हैं ."  

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " मैं ख़्यालो की नुमाइश लिये बैठे हैं बात ज़रा कुछ भी नहीं ,
गुंजाइश जो भी हो सो हो इस अदब से तेरी तन्हाई की सरगोशी लिये बैठे हैं ,
वो शामें वफ़ा मुश्किलात तो हैं ही तेरे बिन इस अंजुमन में ,
तुझसे पुछे बगैर तुझसे मुहब्बत की जुर्म किये बैठे हैं ."  

                           --- रबिन्द्र राम 

 #नुमाइश #ज़रा #गुंजाइश #सरगोशी #वफ़ा #अंजुमन #मुहब्बत #जुर्म

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं‌ , आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं , फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने ,

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*** ग़ज़ल ***
*** फ़ुर्क़त ***

" आज इक दफा उस से मुलाकात हुई ,
फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो ,
मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं‌ ,
आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं ,
फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने ,
फ़ुर्क़त में उसे दाटने को जि कर रहा है ,
क्या समझाये की अब मुहब्बत नहीं हैं तुझसे ,
फकत तुझे महज़ इक याद की तरह रखी ,
तेरी तस्वीर आज भी इक पास रखी हैं ,
फिर जो कहीं मुहब्बत और नफ़रत की गुंजाइश हो तो याद करना ,
आखिर हम रक़ीबों से ‌दिल लगा के‌ आखिर करते क्या‌ . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल ***
*** फ़ुर्क़त ***

" आज इक दफा उस से मुलाकात हुई ,
फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो ,
मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं‌ ,
आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं ,
फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने ,

Rabindra Kumar Ram

" फ़कत ये है नहीं होता कि तुमसे कुछ बातें करते हम , मेरे ज़िक्र से रुसवाईयां ताउम्र यूं तुम रखोगे , जहां तक लगें चाहना तुम बेसबब कहीं बिछड़ जाना तुम, जहां तक दिल को ज़िक्र गुंजाइश मंज़ूर ना लगे . " --- रबिन्द्र राम #फ़कत #ज़िक्र #रुसवाईयां #बेसबब #ज़िक्र #गुंजाइश #मंज़ूर

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"  फ़कत ये है नहीं होता कि तुमसे कुछ बातें करते हम ,
मेरे ज़िक्र से रुसवाईयां ताउम्र यूं तुम रखोगे ,
जहां तक लगें चाहना तुम बेसबब कहीं बिछड़ जाना तुम,
जहां तक दिल को ज़िक्र गुंजाइश मंज़ूर ना लगे . " 

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram "  फ़कत ये है नहीं होता कि तुमसे कुछ बातें करते हम ,
मेरे ज़िक्र से रुसवाईयां ताउम्र यूं तुम रखोगे ,
जहां तक लगें चाहना तुम बेसबब कहीं बिछड़ जाना तुम,
जहां तक दिल को ज़िक्र गुंजाइश मंज़ूर ना लगे . " 

                           --- रबिन्द्र राम

#फ़कत #ज़िक्र #रुसवाईयां #बेसबब  #ज़िक्र #गुंजाइश #मंज़ूर

अर्पिता

चलो मिलने जितनी गुंजाइश तो रखी तुमनें,
वरना मेरा तो भरोसा ही उठ जाता कुछ बातों से....

©अर्पिता #गुंजाइश

Rabindra Kumar Ram

" कैसे तिजारत कर लूं मैं मुहब्बत में , उन्हें सोच के ही सकुन बहुत मिलता हैं , वो चाहे ना चाहे मुहब्बत में नफ़रत की गुंजाइश कुछ भी हो , व्यापार मुहब्बत का अपनी जगह नफ़रत अपनी जगह पे कायम हैं ." --- रबिन्द्र राम #तिजारत #सकुन #मुहब्बत #गुंजाइश #व्यापार #मुहब्ब #नफ़रत #कायम

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" कैसे तिजारत कर लूं मैं मुहब्बत में ,
उन्हें सोच के ही सकुन बहुत मिलता हैं ,
वो चाहे ना चाहे मुहब्बत में नफ़रत की गुंजाइश कुछ भी हो ,
व्यापार मुहब्बत का अपनी जगह नफ़रत अपनी  जगह पे कायम हैं ." 
     
                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " कैसे तिजारत कर लूं मैं मुहब्बत में ,
उन्हें सोच के ही सकुन बहुत मिलता हैं ,
वो चाहे ना चाहे मुहब्बत में नफ़रत की गुंजाइश कुछ भी हो ,
व्यापार मुहब्बत का अपनी जगह नफ़रत अपनी  जगह पे कायम हैं ." 
     
                           --- रबिन्द्र राम 
#तिजारत #सकुन #मुहब्बत #गुंजाइश
#व्यापार #मुहब्ब #नफ़रत #कायम

Rabindra Kumar Ram

" ये फ़ैज़ तेरी हैं एहसास लिये बैठे हैं , मुख्तलिफ बातों में अब तेरी बातें लिये बैठे हैं , गुंजाइश कुछ भी हो आज नहीं तो कल मुकम्मल हो जायेंगी कुछ ना कुछ , जाने ये दुआ कब काम आयेगी एसे में तेरे इश्क मुहब्बत का सजदा करने बैठे हैं ." ‌--- रबिन्द्र राम #फ़ैज़ #मुख्तलिफ #गुंजाइश #मुकम्मल #दुआ #इश्क #मुहब्बत #सजदा

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Rabindra Kumar Ram

" तुझे भूलाने को अभी वक्त , जमाने और लगेंगे , यूं याद वेबजह शामे मुशायरों जो तुम्हें कर‌ लेते हैं , रक़ीब का ख़्याल की ख़्याल की गुंजाइश कुछ भी नहीं , बात तो हैं वेबजह पर अभी बात कुछ भी नहीं‌ ." --- रबिन्द्र राम #याद #वेबजह #मुशायरों

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" तुझे भूलाने को अभी वक्त , जमाने और लगेंगे ,
यूं याद वेबजह शामे मुशायरों जो तुम्हें कर‌ लेते हैं ,
रक़ीब का ख़्याल की ख़्याल की गुंजाइश कुछ भी नहीं ,
बात तो हैं वेबजह पर अभी बात कुछ भी नहीं‌ ." 

                    --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " तुझे भूलाने को अभी वक्त , जमाने और लगेंगे ,
यूं याद वेबजह शामे मुशायरों जो तुम्हें कर‌ लेते हैं ,
रक़ीब का ख़्याल की ख़्याल की गुंजाइश कुछ भी नहीं ,
बात तो हैं वेबजह पर अभी बात कुछ भी नहीं‌ ." 

                    --- रबिन्द्र राम 

#याद #वेबजह #मुशायरों

Rabindra Kumar Ram

" मैं और तुम मिलेंगे इस ख़्याल से की , अब भी कुछ ख़्याल की गुंजाइश बाकी हैं‌ , राब्ता करें तो करें कैसे इस शहर में , अभी हमारे जान-पहजान की नुमाइश बाकी है . " ‌--- रबिन्द्र राम #ख़्याल #गुंजाइश #राब्ता

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" मैं और तुम मिलेंगे इस ख़्याल से की ,
अब भी कुछ ख़्याल की गुंजाइश बाकी हैं‌ ,
राब्ता करें तो करें कैसे इस शहर में ,
अभी हमारे जान-पहजान की नुमाइश बाकी है .  "

                      ‌--- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " मैं और तुम मिलेंगे इस ख़्याल से की ,
अब भी कुछ ख़्याल की गुंजाइश बाकी हैं‌ ,
राब्ता करें तो करें कैसे इस शहर में ,
अभी हमारे जान-पहजान की नुमाइश बाकी है .  "

                      ‌--- रबिन्द्र राम 

#ख़्याल #गुंजाइश #राब्ता

Rabindra Kumar Ram

" कोई ख्याल यूं ही जया कर रहे हैं , बात कुछ भी नहीं की मेरे दिद में तेरी गुंजाइश मुसलसल हैं , वेशक ना मिले ये राहें वफा उस मोड़ तक , जब तक का साथ उस कारवां का हमसफ़र होकर जायेंगे. " ‌ --- रबिन्द्र राम #ख्याल #गुंजाइश #राहें #कारवां #हमसफ़र

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" कोई ख्याल यूं ही जया कर रहे हैं ,
बात कुछ भी नहीं की मेरे दिद में तेरी गुंजाइश मुसलसल हैं ,
वेशक ना मिले ये राहें वफा उस मोड़ तक ,
जब तक का साथ उस कारवां का हमसफ़र होकर जायेंगे. "
‌
                    --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " कोई ख्याल यूं ही जया कर रहे हैं ,
बात कुछ भी नहीं की मेरे दिद में तेरी गुंजाइश मुसलसल हैं ,
वेशक ना मिले ये राहें वफा उस मोड़ तक ,
जब तक का साथ उस कारवां का हमसफ़र होकर जायेंगे. "
‌
                    --- रबिन्द्र राम 

#ख्याल #गुंजाइश #राहें #कारवां #हमसफ़र
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