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Shilpi Kumari
🌮🌭जिस #रोटी को #डाइनिंग_टेबल_पर_बैठ कर #खाते हो न #साहब...🧀🌭 🌮🌭उसे #उगाने_वाला_देखिये_कहाँ_बैठकर_खाते हैं..🥞🧀🌭 🍕🌭🌭 ©Shilpi Kumari
राजन गोत्रा ( समर )
हम मुरव्वत में मात खाते रहे दर्द सह कर भी मुस्कुराते रहे वो मेरी दसतरस में था ही नहीं जिससे ख्वाबों में दिल लगाते रहे दिल अमावस के चांद जैसा है हम अंधेरों में मुंह छुपाते रहे एक बस उसकी शादमानी को ज़ख्म पे ज़ख्म दिल पे खाते रहे उनको ही हम से कुछ गुरेज़ रहा जानो दिल जिन पे हम लुटाते रहे वो हर एहसास से रहा महरूम और हम दास्तां सुनाते रहे अब समर कोई मस्हला न रहा दिल से जाना था जां से जाते रहे
Srishti Singh
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो। वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो। वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो । वो अपने घर का दीपक है, तुम जलती हुई किटपतंगा हो । कितना भी तुम चीख़-चीख़ उन पर आरोप लगाओगी। कैंडल मार्च करोगी पर इंसाफ़ कभी ना पाओगी। वो आज़ाद निर्भीक घूमेगा,तुम दोगी दम तोड़ प्रिये । कैसे विकसित हो देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये। वो बेरोजगारी का लॉलीपॉप, तुम भूखे बेरोजगार प्रिये। वो बिना पढ़े सत्ता भोगी,तुम पढ़ लिखकर बेकार प्रिये । वो 370 की धारा है,तुम पत्थर खाते जवान प्रिये । वो नेता जी की बेबाक बात,तुम बम में होते विस्फ़ोट प्रिये। तुम देश की अर्थव्यवस्था हो,वो देश बेचकर खाते है । तुम भोली भाली जनता हो,वो नेता का झूठा वादा है। तुम बीपीएल कार्ड का राशन हो,वो चोरी करता गल्ला है। तुम सीधा साधा सा किसान, वो ग्राम प्रधान निठल्ला है। अगर इस तरह चुप-चुप कर, तुम सब कुछ सहते जाओगे। तो एक रोज़ सेवक बनकर,वो चुना तुम्हें लगायेंगे। नीरव मोदी के जैसा वो भागेगे विदेश प्रिये। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो। वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो। वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।
कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। तुम हिन्दू-मुस्लिम भाई हो,वो भड़काता दंगा द्वेष प्रिये।। कैसे हो विकसित देश प्रिये,जहाँ सत्ता बस हो खेल प्रिये।। वो लजधर अमीर की बेटा है,तुम बलात्कार की पीड़िता हो। वो सनसनी खेज खुलासा है,तुम फटाफट की खबरें हो। वो बलात्कारी साफ सुधरा,तुम कपड़ों में भी निर्लज्जा हो ।
read moreAmit Maurya
मतभेदों, स्वार्थ, जिद, और चालाकी के वेश में मुलाकात क्या करती ? फल खाते- खाते इंसान को नहीं हुई, पेड़ों की फ़िक्र, तो बरसात क्या करती ? By-Amit Teddy Maurya
Parul Sharma
क्या हाल है? कुछ गम खाते हैं। कुछ कम खाते हैं। ज्यादातर ठोकरें खाते हैं। खाते रहते है उनके ताने, अब तो हम आह,आँसू दर्द जख्म भी खाते हैं। कहते हैं सब ज्यादा खाने से आती है नींद ज्यादा। पर हम तो दिन रात जागते हैं। पारुल शर्मा कुछ #गम खाते हैं। कुछ कम खाते हैं। ज्यादातर ठोकरें खाते हैं। खाते रहते है उनके #ताने, अब तो हम #आह,#आँशू #दर्द #जख्म भी खाते हैं। कहते हैं सब ज्यादा खाने से आती है #नींद ज्यादा।
Chandrika Lodhi
जिंदगी की टक्कर खाते खाते मैं अकसर तुम्हारा ख्याल भूल जाती हूँ वो अलग बात है हर टक्कर में तुम्हारा नाम लेती हूँ तुम मेरे Yellow से sunflower की वो Green सी Take हो मैं थोड़ी सी फेक हूँ पर तुम पूरी Humanity की Pake हो हममिजाज न सही पर हमराह है हम जैसे भी है दो किनारे से साथ है हम क्योंकि एक नदी की ही दो औलाद है हम #NojotoQuote
ANIL KUMAR
प्यार करने का वादा वो हमसे निभाते रहे, रूठे हम गर तो वो हमें मनाते रहे। हम तो सदा किस्मत की ठोकरें खाते रहे, गम में भी खुद के लुटने का जश्न मनाते रहे।। प्यार करने_______ वक्त पर हम सदा झुंझलाते रहे, हमसे वादा तो किया था सदा प्यार करने का । हमको लूटकर वो खुश भी बहुत हुए,
प्यार करने का वादा वो हमसे निभाते रहे, रूठे हम गर तो वो हमें मनाते रहे। हम तो सदा किस्मत की ठोकरें खाते रहे, गम में भी खुद के लुटने का जश्न मनाते रहे।। प्यार करने_______ वक्त पर हम सदा झुंझलाते रहे, हमसे वादा तो किया था सदा प्यार करने का । हमको लूटकर वो खुश भी बहुत हुए,
read moreMukesh Poonia
Story of Sanjay Sinha ऐसा हो ही नहीं सकता है कि बैंगन के भर्ता से दामाद के स्वागत वाली कहानी मैंने आपको पहले न सुनाई हो। पर जब कभी मैं कहीं खाने जाता हूं या कोई मेरे घर खाने आता है तो मुझे ये वाली कहानी ज़रुर याद आ जाती है। मुझे लग रहा है कि ये कहानी मैंने आपको पहले भी सुनाई है, लेकिन कहानी का मर्म इतना बढ़िया है कि दुबारा सुन लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं। एक बार एक दामाद शादी के बाद पहली बार ससुराल गया। वहां सास ने दामाद के स्वागत में कई तरह के व्यंजन बनाए। मटर-पनीर की सब्जी, आलू-गोभी दम,
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