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रश्मिरथी तृतीय सर्ग- भाग 2 (भगवान कृष्ण का क्रोध) Uploaded in my voice on my YouTube channel. Please watch it nd if you really love it then please give it a thumbs up 😇 Link is in my bio 💙 यह 2 मिनट की वीडियो देखने के बाद, आपको ये कभी नहीं लगेगा की समय बर्बाद हुआ, इसलिए मैं चाहता हूँ की ये वीडियो आप सब जरूर देखें 🙏🏻 Nd please use earphones #yourquotebaba #yourquotedidi #krishna #mahabharat #rashmirathi #duryodhan 𝘠ourQuote Didi
Ajay Amitabh Suman
.............. ©Ajay Amitabh Suman दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-39 #महाभारत #दुर्योधन #अश्वथामा # वैष्णवास्त्र #Mahabharata #Duryodhan #Asvatthama #Vaishnavastra ===== दुर्योधन को गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु के उपरांत घटित होने वाली वो सारी घटनाएं याद आने लगती हैं कि कैसे अश्वत्थामा ने कुपित होकर पांडवों पर वैष्णवास्त्र का प्रयोग कर दिया था। वैष्णवास्त्र के सामने प्रतिरोध करने पर वो अस्त्र और भयंकर हो जाता और प्राण ले लेता। उससे बचने का एक हीं उपाय था कि उसके सामने झुक जाया जाए, इससे वो शस्त्र शांत होकर लौट जाता। केशव के समझाने पर
Ajay Amitabh Suman
....................... ©Ajay Amitabh Suman #अश्वत्थामा,#द्रोणवध,#महाभारत,#द्रोणाचार्य, #शकुनि, #Mahabharata,#Duryodhan,#Mythology,#Epic कौरव सेना को एक विशाल बरगद सदृश्य रक्षण प्रदान करने वाले गुरु द्रोणाचार्य का जब छल से वध कर दिया गया तब कौरवों की सेना में निराशा का भाव छा गया। कौरव पक्ष के महारथियों के पाँव रण क्षेत्र से उखड़ चले। उस क्षण किसी भी महारथी में युद्ध के मैदान में टिके रहने की क्षमता नहीं रह गई थी । शल्य, कृतवर्मा, कृपाचार्य, शकुनि और स्वयं दुर्योधन आदि भी भयग्रस्त हो युद्ध भूमि छोड़कर भाग खड़े हुए। सबसे आश्चर्य की बात तो
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................. ©Ajay Amitabh Suman #अश्वत्थामा,#द्रोणवध,#महाभारत,#द्रोणाचार्य, #दुर्योधन,#Ashvatthama,#Mahabharata,#Duryodhan,#Mythology दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-37 =============== महाभारत युद्ध के समय द्रोणाचार्य की उम्र लगभग चार सौ साल की थी। उनका वर्ण श्यामल था, किंतु सर से कानों तक छूते दुग्ध की भाँति श्वेत केश उनके मुख मंडल की शोभा बढ़ाते थे। अति वृद्ध होने के बावजूद वो युद्ध में सोलह साल के तरुण की भांति हीं रण कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे। गुरु द्रोण का पराक्रम ऐसा था कि उनका वध ठीक वैसे हीं असंभव माना जा रहा था जैसे कि सूर
Ajay Amitabh Suman
............ ©Ajay Amitabh Suman दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-36 #अश्वत्थामा,#द्रोणवध,#महाभारत, #दुर्योधन #पौराणिक,#Ashvatthama, #Mahabharata,#Duryodhan,#Mythology, #Epic द्रोण को सहसा अपने पुत्र अश्वत्थामा की मृत्यु के समाचार पर विश्वास नहीं हुआ। परंतु ये समाचार जब उन्होंने धर्मराज के मुख से सुना तब संदेह का कोई कारण नहीं बचा। इस समाचार को सुनकर गुरु द्रोणाचार्य के मन में इस संसार के प्रति विरक्ति पैदा हो गई। उनके लिये जीत और हार का कोई मतलब नहीं रह गया था। इस निराशा भरी विरक्त अवस्था में गुरु द्रोणाचार्य ने अपने अस्त्रों और शस
Ajay Amitabh Suman
................ ©Ajay Amitabh Suman दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-35 #अश्वत्थामा,#द्रोणवध,#महाभारत,#द्रोणाचार्य,#पौराणिक,#Ashvatthama, #Mahabharata,#Duryodhan,#Mythology,#Epic किसी व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य जब मृत्यु के निकट पहुँच कर भी पूर्ण हो जाता है तब उसकी मृत्यु उसे ज्यादा परेशान नहीं कर पाती। अश्वत्थामा भी दुर्योधनको एक शांति पूर्ण मृत्यु प्रदान करने की ईक्छा से उसको स्वयं द्वारा पांडवों के मारे जाने का समाचार सुनाता है, जिसके लिए दुर्योधन ने आजीवन कामना की थी । युद्ध भूमि में घायल पड़ा दुर्योधन जब अश्वत्
Ajay Amitabh Suman
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-31 क्या यत्न करता उस क्षण जब युक्ति समझ नहीं आती थी, त्रिकाग्निकाल से निज प्रज्ञा मुक्ति का मार्ग दिखाती थी। अकिलेश्वर को हरना दुश्कर कार्य जटिल ना साध्य कहीं, जटिल राह थी कठिन लक्ष्य था मार्ग अति दू:साध्य कहीं। अतिशय साहस संबल संचय करके भीषण लक्ष्य किया, प्रण धरकर ये निश्चय लेकर निजमस्तक हव भक्ष्य किया। अति वेदना थी तन में निज मस्तक अग्नि धरने में , पर निज प्रण अपूर्णित करके भी क्या रखा लड़ने में? जो उद्भट निज प्रण का किंचित ना जीवन में मान रखे, उस योद्धा का जीवन रण में कोई क्या सम्मान रखे? या अहन्त्य को हरना था या शिव के हाथों मरना था, या शिशार्पण यज्ञअग्नि को मृत्यु आलिंगन करना था? हठ मेरा वो सही गलत क्या इसका मुझको ज्ञान नहीं, कपर्दिन को जिद मेरी थी कैसी पर था भान कहीं। हवन कुंड में जलने की पीड़ा सह कर वर प्राप्त किया, मंजिल से बाधा हट जाने का सुअवसर प्राप्त किया। त्रिपुरान्तक के हट जाने से लक्ष्य प्रबल आसान हुआ, भीषण बाधा परिलक्षित थी निश्चय हीं अवसान हुआ। गणादिप का संबल पा था यही समय कुछ करने का, या पांडवजन को मृत्यु देने या उनसे लड़ मरने का। ©Ajay Amitabh Suman #Poetry #Kavita #Duryodhan #Epic #Poetry _on_Duryodhan #Ashvtthama #Mahabharata #Shiva #Mahakal जिद चाहे सही हो या गलत यदि उसमें अश्वत्थामा जैसा समर्पण हो तो उसे पूर्ण होने से कोई रोक नहीं सकता, यहाँ तक कि महादेव भी नहीं। जब पांडव पक्ष के बचे हुए योद्धाओं की रक्षा कर रहे जटाधर को अश्वत्थामा ने यज्ञाग्नि में अपना सिर काटकर हवनकुंड में अर्पित कर दिया तब उनको भी अश्वत्थामा के हठ की आगे झुकना पड़ा और पांडव पक्ष के बाकी बचे हुए योद्धाओं को अश्वत्थामा के हाथों मृत्यु प्राप्त करने के लिए छोड़ दिया ।
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. ..................... ©Ajay Amitabh Suman #कविता #दुर्योधन #महाभारत #अश्वत्थामा #Poetry #Kavita #Duryodhan #Ashvtthama #Mahabharata #Mahakal दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-31 जिद चाहे सही हो या गलत यदि उसमें अश्वत्थामा जैसा समर्पण हो तो उसे पूर्ण होने से कोई रोक नहीं सकता, यहाँ तक कि महादेव भी नहीं। जब पांडव पक्ष के बचे हुए योद्धाओं की रक्षा कर रहे जटाधर को अश्वत्थामा ने यज्ञाग्नि में अपना सिर काटकर हवनकुंड में अर्पित कर दिया तब उनको भी अश्वत्थामा के हठ की आगे झुकना पड़ा और पांडव पक्ष के बाकी बचे हुए योद्धाओं को अश्वत्थामा के हाथों मृत्यु
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मित्रता तो श्री राम-सुग्रीव, भीभीषण और श्री कृष्ण- सुदामा की भी महान थी, मित्रता की पराकाष्ठा तो, सिर्फ़ कर्ण-दुर्योधन हैं।।।... ©Nikhil Chaudhary #ramayan #mahabhart #Karna #Duryodhan