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Prem Prajapat
White खाने के लिए लोग बालि का नाम देते हैं, अच्छे किस्म के लोग भी आज बदनाम रहते हे। विजयादशमी पर सिद्ध पुरुष भी नशे में हैं, जीव हत्या कर के लोग स्वयं को श्रेष्ठ मानते हैं।। ©Prem Prajapat #Dussehra #कटाक्ष #sayri शायरी हिंदी
vineetapanchal
BeHappy सामाजिक कुरीतियों में 'ढोंग प्रथा' हास्यप्रद हैं इसमें घर के भीतर असामाजिक इंसान घर के बाहर सामाजिकता का ढोंग करता हैं ©vineetapanchal #कटाक्ष #हास्यप्रद #ढोंग_प्रथा #कुरीतियां
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read moreअदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://youtu.be/mWFTywQOoUE?si=p3XF7EBJKYk3SG2D #हिंदी #हास्य #व्यंग्य #राजनैतिक #संपतसरलजी #कटाक्ष #satire #Instagram #Facebook #अदनासा
read moreDivyanshu Pathak
धिक्कार है ऐसे लोकसेवकों को, जन प्रतिनिधियों को जिनकी आसुरी वृत्तियों, संवेदनहीन दृष्टिकोण तथा मानव जीवन को राजनीति की भेंट चढ़ा देने की दु:साहसिक मनोवृत्ति ऐसे ताण्डव करती है। विगत पांच वर्षों में इक्कीस सौ फर्जी एनकाउंटर देख लेना हैदराबादी पुलिस भी निकलेगी बाउंसर #कटाक्ष #आइना #राजनीति #sarcasm
Divyanshu Pathak
छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार, खून के रिश्तों द्वारा दुष्कर्म! मन में आता है कि ऐसे लोग पैदा होते ही क्यों नहीं मर जाते! भ्रूण हत्या तो इनकी होनी चाहिए थी। इनके डर से कन्याएं पेट में ही मारी जा रही हैं। चारों तरफ़ हवस के जल्लाद बैठे हैं कन्या भ्रूण हत्या ही मानवीयता है पाल पोसकर भी क्या लूटाना दुनियां में हवसी भेड़िए हर ओर से चकैठे हैं। #कटाक्ष #rape #sarcasm #mirror
कुलदीप शर्मा
“बैठ चेतक पर प्रताप दिखाने वाला, आज आँख मारने पर पिघल रहा... ये इल्ज़ाम मुबारक दोस्तों, हमारा हिंदुस्तान पिछड़ रहा...।” #कटाक्ष #प्रिया #हिंदी #शायरी #faujikealfaaz #kuldeepsharma #ballpen YourQuote Didi
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read moreShayar E Badnaam
राजनैतिक फायदे के लिए जो तूफान उठाए जाते हैं, ऐसे ही लोग देश को जलाए जाते हैं... #कटाक्ष #राजनीति #देश #शायर_ए_बदनाम
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read moresamar aryan
किसी बनिया की तलाश है, जो जिंदगी का हिसाब रखता हो, किसी पंडित की तलाश है, जो इंसानियत की किताब रखता हो, किसी क्षत्रिय की तलाश है, जो इंसाफ़ की तलवार रखता हो, किसी क्षुद्र की तलाश है, जो कर्मों का कमान रखता हो, हैं तलाश उस शख्स की, जो मेरे हर सवाल का जवाब रखता हो। ©samar aryan #कटाक्ष #contrast
Tarun Vij भारतीय
दौर-ए-सुखन मे हम-सुखन नहीं मिलती शायरों को अब मुकम्मल जमीं नही मिलती जुबां-ए-फिरंगी मे कुछ अशआ'र सीखने है मुझे अब मां को भी घर मे तरजीह नहीं मिलती। किस को सुनाईयेगा बयान-ए-हाल 'तरूण' महफिल-ए-बेकदरा मे तहसीं नही मिलती। Don't know why but people believes that English writers are intellectual, but hindi urdu writers are not. There are so many social groups that are made to promote writers from every genre but ends up as a chat group or someone's income, only a few are doing what they meant to be. It doesn't matter which language you writes in, all you have to do is to write your heart out, it can be feeled. Priya Aiyar🌸 जरा कोई पूछे इसका मतलब तो समझाने मे मदद कीजिएगा। #कटाक्ष #व्यंग्य #hindishayari #hindiwrite
Don't know why but people believes that English writers are intellectual, but hindi urdu writers are not. There are so many social groups that are made to promote writers from every genre but ends up as a chat group or someone's income, only a few are doing what they meant to be. It doesn't matter which language you writes in, all you have to do is to write your heart out, it can be feeled. Priya Aiyar🌸 जरा कोई पूछे इसका मतलब तो समझाने मे मदद कीजिएगा। #कटाक्ष #व्यंग्य #hindishayari hindiwrite
read moreAnamika Nautiyal
अतिथि देवो भवः ! भारत में होली दिवाली और ईद के साथ एक और चीज़ है जो हर साल आती है । बरसती बूँदे कितनी ख़ूबसूरत होती है ना, झमाझम बारिश चाय की चुस्की के साथ गरमा गरम पकोड़े तो मज़ा आ जाए ना। लेकिन इन बूँदों की अधिकता अपने साथ ले आती है - बाढ़ । ऐसा नहीं है कि इसे बुलाया जाता है या फिर उसका कोई इंतज़ार करता है बल्कि इसे तो भर-भर के गालियाँ खानी पड़ती है मगर फिर भी इतनी ढीठ है कि हर साल मुँह उठाकर चली आती है। और सबसे अच्छी बात तो इस बाढ़ की यह है किसी धर्म विशेष से संबंधित नहीं बल्कि सर्वधर्म समभाव रखने वाली
भारत में होली दिवाली और ईद के साथ एक और चीज़ है जो हर साल आती है । बरसती बूँदे कितनी ख़ूबसूरत होती है ना, झमाझम बारिश चाय की चुस्की के साथ गरमा गरम पकोड़े तो मज़ा आ जाए ना। लेकिन इन बूँदों की अधिकता अपने साथ ले आती है - बाढ़ । ऐसा नहीं है कि इसे बुलाया जाता है या फिर उसका कोई इंतज़ार करता है बल्कि इसे तो भर-भर के गालियाँ खानी पड़ती है मगर फिर भी इतनी ढीठ है कि हर साल मुँह उठाकर चली आती है। और सबसे अच्छी बात तो इस बाढ़ की यह है किसी धर्म विशेष से संबंधित नहीं बल्कि सर्वधर्म समभाव रखने वाली
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