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अदनासा-
जीवन में किसी बुजुर्ग को देखकर यह ना सोचिए, की तुम्हें जो पता है वह उन्हें पता नही चल पाता है, परंतु स्मरण रहे उन्हें सबकुछ पता चल हीजाता है, कि तुम्हें क्या पता है और क्या पता होना चाहिए। ©अदनासा- #हिंदी #बुजुर्ग #पता #तजुर्बा #सफ़ेदबाल #उम्र #अहमियत #Instagram #Facebook #अदनासा
Mukesh Poonia
कुछ लोग कह रहे हैं, "त्यौहार" अब फीके हो गये, बुजुर्ग बोले बेटा त्यौहार नहीं "व्यवहार" फीके हो गये। . ©Mukesh Poonia कुछ #लोग कह रहे हैं, "#त्यौहार" अब #फीके हो गये, #बुजुर्ग बोले बेटा त्यौहार नहीं "#व्यवहार" फीके हो गये।
पूर्वार्थ
अक्सर बुजुर्ग,जीके हाँथ में लोई तीको सब कोई,सुनाते थे मगर जब तब देखा तब ,तब कुछ और ही दिखा ये कुछ और कुछ और था जो,समय समय पर बदलता रहा ये कुछ सुहावना नहीं ,डरावना भी नहीं कुछ और ही था ,कुछ अजीब सा. ©पूर्वार्थ #बुजुर्ग
kumaarkikalamse
बुजुर्गों को चले जाना हैं एक दिन रुखसत होकर घरों में उनकी सिखाई बातों की तस्वीरें होनी चाहिए। P.C - Amazon होनी चाहिए series से आज की किश्त #kumaarsthought #होनीचाहिए #घर #बुजुर्ग #सीख #बातेँ #तस्वीर
Shitanshu Rajat
ना तुम कुछ कहो, ना मेरे होंठो को कहने दो, मैं जैसा हूँ मेरे यारों, मुझे वैसा ही रहने दो। शजर क्या करे के अपनी शाख गैर निकली अरे पत्तों, अपने बुजुर्गों को घर में रहने दो.... #20may2k17 #yqbaba #YQPoetry #YQdidi #YoPoWriMo #deep_message #to #children's #मुझे_रहने_दो...….... #शज़र #पत्ते #बुजुर्ग #Home #घर.....
Nir@j
कहना तो आपका एकदम है सही, जी हमारी भी सोच बिल्कुल है यही। अभी हमसब हैं दुध बनना है दही, अपना ये वादा से पीछे हटेंगे नही। #बुजुर्ग #YourQuoteAndMine Collaborating with Anusuiya Pareek #nirajnandini
Pankaj Singh Chawla
बुढ़ापा (बुजुर्ग) मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी, सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे , कैसी हमारी शक्ले होंगी, हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी... दूजे ही पल में लौट वापिस, सोचा जो पल है वो जी ले अभी, कल का क्या है क्या पता क्या हो, जितने भी पल है वो जी ले अभी, भूल बुढ़ापा जी ले जवानी लौट ना आएगी ये फिर कभी, तू भी है मैं भी हूँ सब है यहीं, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी... जाना है सबको इक दिन यहाँ से, फिर क्यो तू सोचे अभी, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन बनी, हँस ले गा ले मुस्कुराले ये ज़िन्दगी मिलेगी ना फिर कभी, मालूम है मुझकों ढलना है एक दिन... मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन... बुढ़ापा (बुजुर्ग) मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन, फिर भी नाजाने ये उलझन है बनी, सोचता हूँ जब होंगे हम बुड्ढे , कैसी हमारी शक्ले होंगी, हाथो में लाठी आंखों पर चश्मा सजा होगा, मालूम है मुझकों ढलना है इक दिन,