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Mukesh Poonia
भव्य महल हो या हो छोटी सी झोपड़ी... घर उसी को कहते हैं जहां शांति और सुकून मिले... . ©Mukesh Poonia #GingerTea #भव्य #महल हो या हो #छोटी सी #झोपड़ी... घर उसी को कहते हैं जहां #शांति और #सुकून मिले...
Chitra Gupta
उफ! ये शौक तो जान ही ले लेगा किसी के अरमान ही ले लेगा जिस बारिश में भींग कर तुम इतराते हो उसकी कुछ बूंदे किसी की नींदों से खेलेगा ©Chitra Gupta #बरसात#झोपड़ी#गरीबकीछत
अविनाश पाल 'शून्य'
बड़े जतन से जलायी थी जो झोंपड़ी में उसने ज्योति, उस शख्स का कलेजा उसी की लौ से जल गया। #शून्य #yqhindi #झोपड़ी #योरकोट_दीदी #मैं_और_मेरे_जज़्बात #कैसेभूलजाऊं #कुछअनकहासा #यादें_और_मैं ✍🏼 कुछ अनकहा सा ...
शिवानन्द
वह गरीब है 👇 छोटी सी झोपड़ी में वह ..... बड़ा दिल-ए-मकां रखता है। अपनी नमक की रोटियों में भी..... बहुत मिठास रखता है। वह #गरीब है 👇 छोटी सी #झोपड़ी में वह ..... बड़ा #दिल_ए_मकां रखता है। अपनी नमक की #रोटियों में भी..... बहुत मिठास रखता है। #नदान_परिंदा #yqbaba #yqdidi #yqquotes
Nirankar Trivedi
देखो- देखो क्या ज़माना आ गया , जिंदगी में शौक और खुशियो को बढ़ाने, झोपड़ी को छोड़ महलों में आ गया | देख कर खिलौना महलों में झोपड़ी का, मन व्यथित तो हुआ मगर , झोपड़ी की कीमत का पता महल में आ गया | झोपड़ी की कीमत का पता महल में आ गया |
Bambhu Kumar (बम्भू)
7. "कैसी चोरी, माल कैसा" उसने जैसे ही कहा एक लाठी फिर पड़ी बस होश फिर जाता रहा होश खोकर वह पड़ा था झोपड़ी के द्वार पर ठाकुरों से फिर दरोगा ने कहा ललकार कर - "मेरा मुँह क्या देखते हो ! इसके मुँह में थूक दो आग लाओ और इसकी झोपड़ी भी फूँक दो" और फिर प्रतिशोध की आंधी वहाँ चलने लगी बेसहारा निर्बलों की झोपड़ी जलने लगी दुधमुँहा बच्चा व बुड्ढा जो वहाँ खेड़े में था वह अभागा दीन हिंसक भीड़ के घेरे में था घर को जलते देखकर वे होश को खोने लगे कुछ तो मन ही मन मगर कुछ जोर से रोने लगे... "कैसी चोरी, माल कैसा" उसने जैसे ही कहा एक लाठी फिर पड़ी बस #होश फिर जाता रहा होश #खोकर वह पड़ा था #झोपड़ी के द्वार पर #ठाकुरों से फिर दरोगा ने कहा #ललकार कर - "मेरा #मुँह क्या देखते हो ! इसके मुँह में #थूक दो आग लाओ और इसकी झोपड़ी भी #फूँक दो"
Bambhu Kumar (बम्भू)
6. क्षणिक आवेश जिसमें हर युवा तैमूर था हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था रात जो आया न अब तूफ़ान वह पुर ज़ोर था भोर होते ही वहाँ का दृश्य बिलकुल और था सिर पे टोपी बेंत की लाठी संभाले हाथ में एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में घेरकर बस्ती कहा हलके के थानेदार ने - "जिसका मंगल नाम हो वह व्यक्ति आए सामने" निकला मंगल झोपड़ी का पल्ला थोड़ा खोलकर एक सिपाही ने तभी लाठी चलाई दौड़ कर गिर पड़ा मंगल तो माथा बूट से टकरा गया सुन पड़ा फिर "माल वो चोरी का तूने क्या किया"... #क्षणिक #आवेश जिसमें हर #युवा तैमूर था हाँ, मगर होनी को तो कुछ और ही #मंजूर था #रात जो आया न अब #तूफ़ान वह पुर ज़ोर था भोर होते ही वहाँ का #दृश्य बिलकुल और था #सिर पे टोपी बेंत की #लाठी संभाले हाथ में एक दर्जन थे सिपाही ठाकुरों के साथ में
Ruchi Choudhary
एक ही था कलाकार उसने एक ही जैसी दो तस्वीरें बनाई। जिसमें एक जैसे ही रंग भरे मेहनत भी एक जैसी लगाई। दोनों तस्वीरों ने अपनी अलग अलग सी किस्मत पाई। एक गरीब की झोपड़ी में तो एक आलीशान महल में लटकाई। झोपड़ी में तस्वीर बेचारी लटकती रहती महल की शोभा दूसरी तस्वीर ने बढ़ाई। गरीब की झोपड़ी में कोई देखे ना अमीर के घर उसने वाहवाही पाई। धीरे-धीरे समय बदला दोनों पर अब धूल चढ़ आई। झोपड़ी में लटकी रही वह पहले जैसे अमीर के घर की अब उसने शोभा घटाई। झोपड़ी में लगी रही तस्वीर सालों साल अमीर के महल में कई नई तस्वीरें आई। छोटी थी झोपड़ी पर दिल बड़े थे तस्वीर में उनकी यादें समाई। अंधेरे कमरे में गिरी पड़ी कोने में उसकी किसी को कभी याद ना आई। एक ने सबके दिल में जगह बनाई ओर एक ने कोरी वाहवाही पाई। हुनर है आप में तो जगह बन जाएगी चाहे गरीब की ही किस्मत है पाई। ruchichoudhary
Dimple Lohar
वो गरीब होकर भी बहुत अमीर है जिसकी झोपड़ी में पानी टपकता है क्यू कि ऎसे हालात में भी वो हर लम्हा मुस्कुराना नहीं भूलता है और हमारे पास इतना होते हुये हमारे पास कुछ नहीं है क्यू कि जो कुछ भी है वो भी हमेशा कम पड़ जाता है ~~Dimple Panchal #झोपड़ी
KAVI AKELA
ऐ सावन तू तो आ गया मैं अब भी पतझड़ सा हूं झोपड़ी बही बर्तन बह गए खाली पेट ,ज़िंदा लाश सा बर्बादी का दर्शक सा हूं महल वाले खुश होंगें बहुत मैं झोपड़ी वाला चिंतित सा हूं कवि अकेला (मेरी कलम से) Meri Kalam SE