Find the Best दिनों Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutबस कुछ दिनों की बात है, उन दिनों की बात है सीरियल, उन दिनों की बात है, चार दिनों की है जिंदगानी, चार दिनों का मेला है,
Mukesh Poonia
White बहुत अच्छे वक्त में और बहुत बुरे वक्त में एक ही बात याद रखें कि कुछ दिनों की बात है यह वक्त भी गुजर जाएगा। . ©Mukesh Poonia #sad_dp बहुत अच्छे #वक्त में और बहुत बुरे वक्त में एक ही बात #याद रखें कि कुछ #दिनों की बात है यह वक्त भी #गुजर जाएगा। बेस्ट सुविचार अनमोल विचार नये अच्छे विचार अच्छे विचारों आज का विचार
Mukesh Poonia
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम . ©Mukesh Poonia #झूठ #बोलते थे फिर भी कितने #सच्चे थे हम ये उन #दिनों की #बात है जब बच्चे थे हम
Amit Das
अपना बनाकर फिर कुछ #दिनों में बेगाना बना दिया, भर गया दिल हमसे और #मजबूरी का बहाना बना दिया ©Amit Das #angrygirl
s गोल्डी
#जीवन☝️ में अच्छे दिनों में कभी भी उन #लोगो 👥को ना भूले, जो बुरे #दिनों में आपके👉 साथ थे !! (s.गोल्डी) ✍ #alone
sonu sah
#PoetryOnline #बस कुछही #दिनों के #बात हैkarlo #intajar#Novel#corona#Motivational Murari Shekhar Surjit shayar प्रदीप Rajesh Kumar bickeymandal
read moreCalmKrishna
बड़े दिनों बाद आये हो तुम, कौनसा गम साथ लाये हो तुम। खाना पीना छोड़ दिया है क्या, क्या प्यार में धोखा खाये हो तुम। कब तलक रहोगे दिल में मेरे, मेहमां भी बिन बुलाए हो तुम। बहुत दिनों बाद शरारत की मैंने, कई दिनों बाद मुस्कुराए हो तुम। वक़्त की परवाह नहीं तुमको, बेवक्त ही याद आये हो तुम। मुझे हवा में गीत सुनाई देते हैं, जब भी कभी गुनगुनाए हो तुम। भूली बाते याद दिलाने किसलिए आए हो तुम..!😐 #ग़जल #gazal #कविता #याद #शेर #शायरी #नज़्म #गीत #दिल #Nojoto #nojotohindi Md Hyat Satyaprem Upadhyay NQ Priyanka Mohammad Mushahid Adhury Hayat Satyaprem Upadhyay
भूली बाते याद दिलाने किसलिए आए हो तुम..!😐 ग़जल gazal कविता याद शेर शायरी नज़्म गीत दिल nojotohindi Md Hyat Satyaprem Upadhyay NQ Priyanka Mohammad Mushahid Adhury Hayat Satyaprem Upadhyay
read moreAnjali Srivastav
मै न बहुत दिनों से बीमार - बीमार सी लगती हूं खुद में ही बड़ी ही लाचार सी लगती हूं टूटकर बिखर गई हूं कई टुकड़ों में कांच की तरह फिर भी दुनियां की नज़रों में बड़ी होशियार सी लगती हूं मै न बहुत दिनों से बीमार - बीमार सी लगती हूं हर तरफ धुंआ - धुंआ सा उड़ा है लच्छे दार सी जैसे मै ही उस हर एक छल्ले की तलबगार सी लगती हूं पड़ी हूं जब से तेरे इश्क़ में आे जाने जाना तबसे ही और बीमार - बीमार सी लगती हूं मै न बहुत दिनों से....... कर ली हूं जब से कैद अपने नजरो में तुमको तबसे रोशनी में भी और नासूर सी लगती हूं हर शख़्स से ली हूं दुश्मनी मोल शायद अब मै इसलिए हर तरफ से मै ही गुनहगार लगती हूं मै न बहुत दिनों से........... गर कोई पड़ जाए मुसीबत में तो मै तत्पर हो मददगार सी लगती हूं खुद को कर देती हूं पल भर के लिए नुमाइश सी जैसे मै कोई सरेआम बाज़ार सी लगती हूं मै न बहुत दिनों से......... अंजली श्रीवास्तव my poet
my poet
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