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DR. SANJU TRIPATHI

प्रतियोगिता संख्या #६ नमस्कार लेखकों/कातिबों 1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें। 2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें। 3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

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हे वीणावादिनी! हे हंसवाहिनी! तुम ही हो ज्ञान पुंज का स्रोत,
निष्काम कर्म का साधक बनूँ,दिल रहे तेरे विश्वास से ओतप्रोत।

कोटि कोटि तुझको प्रणाम करूँ,बारम्बार मैं तुझको नमन करूँ,
शीश झुका कर तेरे चरणों में माँ बस तेरा ही हरपल बंदन करूँ।

नव उल्लास,नव उमंग व नव तरंग से, सबका जीवन पुष्पित हो,
शब्दों के पुष्प हार देकर,सबका ही जीवन जीना सफल कर दो।

नव गति, नव लय व नव स्वर देकर,जीवन को संगीत से भर दो,
भेद-भाव,ईर्ष्या व क्लेष का तम हरकर,प्रकाश से रोशन कर दो।

हे ज्ञानदायिनी! हे वागीश वीणावादिनी! उर में आनंद भर दो,
नाश करके कुबुद्धि का ज्ञानधन से,सबकी सुबुद्धि दीप्त कर दो।

 प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

Writer1

प्रतियोगिता संख्या #६ नमस्कार लेखकों/कातिबों 1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें। 2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें। 3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

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हे मात भारती हे बागेश्वरी,लाज राखिओ हे वीणावादिनी,
तानों से बहुत सताए हैं,शरण में राखिओ हे वीणावादिनी

सुर में गाना ना आए,फिर भी सुर-ताल लगाऊं,
मेरी वाणी में आके विराजिओ, हे वीणावादिनी,

हे विद्या की देवी, हे वीणापाणि,हे श्वेत वस्त्र धारिणी,
शरणागत को दे दे शरण, हे हंस वाहिनी,हे वीणावादिनी,

अज्ञानता के तमस को दूर करो, 
हे जगत जननी हे कमल पुष्प वाहिनी,

हर तरफ चमके ज्ञान का सूरज,
ऐसा आत्म ज्ञान दो,  हे ज्ञानदा हे वीणावादिनी,

खुशियों को माँ मेरी, किसी की नज़र लग गई, 
दया दृष्टि‌ करके झोली मेरी खुशियों से भर दे,हे वीणावादिनी,

 कर दे करुणा दृष्टि, हे माँ शारदे हे माँ सरस्वती,
चरणों में अपने हमें स्थान दो‌, हे वीणावादिनी। प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

प्रतियोगिता संख्या #६ नमस्कार लेखकों/कातिबों 1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें। 2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें। 3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

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चाह  नहीं  मैं, इस  जगत में  पूजा  जाऊँ,
चाह  नहीं  मैं,  विद्वता  समान  कहलाऊँ।
चाह नहीं  मुझ पर, कोई  उपकार  कर दे,
हे  वीणावादिनी, हे  विद्यादात्री  माँ शारदे।

चाह नहीं  जग में, मैं अपना  नाम कमाऊँ,
चाह नहीं  हृदय में, अभिमान को मैं लाऊँ।
चाह नहीं खुशियों से, दामन मेरा तू भर दे,
हे  वीणावादिनी, हे  विद्यादात्री  माँ शारदे।

चाह इतनी सी, मैं अभिमानी ना कहलाऊँ,
चाह यही मैं सदा असहायों के काम आऊँ।
मन से मेरे  राग द्वेष को, दूर तू  मेरा कर दे,
हे  वीणावादिनी, हे  विद्यादात्री  माँ शारदे। प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

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