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I_surbhiladha
पहचान खुद की पहचान मिली मुझको 6 की हुई थी उम्र मेरी, कभी पिता तो; कभी मां के नाम से पहचान कर बुलाया करते थे रिश्तेदार लोग।। जब हुई उम्र 14 की मेरी तब पुछे सवाल कहीं से खुद को, क्योंकि मुझे अपने नाम के "पहचान" बनानी थी खुद को..!! युह तो 7 की उम्र से लिखने का शौक पाल रखा था मैंने, पर इस शौक को कभी "पहचान"बना पाउंगी न ठानी कभी खुद से मैं तो , कितने जगह आज़माया जब मैंने खुद को, कामयाबी न मिलने की निराश ग़म में डुबती गई मैं #सुरभि# जब खुद को, रोशनी मिली तब मुझको जब प्रतियोगिता में हिस्सा लेते ही, २ स्थान लेखक कर तौर पर मिला मुझको..!! उस दिन से लेकर आजतक बदली नहीं कभी पहचान खुद की , लेखक बनकर हरदम आजमाती रही मैं #सुरभि हरदम खुद को ।। ©I_surbhiladha #पहचान #सुरभी_लड्डा #isurbhiladha #pechan #nojato #hindi #Poetry #Inspiration
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read moreI_surbhiladha
White पुरानी यादें... कैसे भुल सकती हूं वो पुरानी यादें?? जब दामन उसका छुट गया वक्त से पहले; जिम्मेदार बन गई थी मैं #सुरभि वक्त से पहले।। ना समझ की उम्र में समझदार बन गई, पुरानी यादें भुलाई नहीं जा सकती है, जिंदगी का सत्य यही है , वो मासूम सा बचपन छीन लिया गया।। खेलने-कूदने की उम्र में, क़ैद थे हम अपनो की जेल में।। ©I_surbhiladha #life_quotes #isurbhiladha #puraniyaadein #Poetry #Hindi #kavita
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read moreMukesh Dholiya
अकबर ने बीरबल से कहा..? इस दीवार पर कुछ ऐसा लिखो कि खुशी में पढू तो दुःख, और दुःख में पढू तो ख़ुशी हो ।। बीरबल ने लिखा... ये वक़्त गुजर जायेगा ©MUKESH KUMAR choudhary #Nozoto #सुरभि #रवि #SUMAN #sunrays
Mangal Singh
90 का #दूरदर्शन और हम : 1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना 2."#रंगोली"में शुरू में पुराने फिर नए गानों का इंतज़ार करना 3."#जंगल-बुक"देखने के लिए जिन दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका घर पर आना 4."#चंद्रकांता"की कास्टिंग से ले कर अंत तक देखना 5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते तक सोचना 6.शनिवार और रविवार की शाम को #फिल्मों का इंतजार करना 7.किसी नेता के मरने पर कोई #सीरियल ना आए तो उस नेता को और गालियाँ देना 8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने निकल जाना 9."#मूक-#बधिर"समाचार में टीवी एंकर के इशारों की नक़ल करना 10.कभी हवा से #ऐन्टेना घूम जाये तो छत पर जा कर ठीक करना बचपन वाला वो '#रविवार' अब नहीं आता, दोस्त पर अब वो प्यार नहीं आता। जब वो कहता था तो निकल पड़ते थे बिना #घडी देखे, अब घडी में वो समय वो वार नहीं आता। बचपन वाला वो '#रविवार' अब नहीं आता...।।। वो #साईकिल अब भी मुझे बहुत याद आती है, जिसपे मैं उसके पीछे बैठ कर खुश हो जाया करता था। अब कार में भी वो आराम नहीं आता...।।। #जीवन की राहों में कुछ ऐसी उलझी है गुथियाँ, उसके घर के सामने से गुजर कर भी मिलना नहीं हो पाता...।।। वो '#मोगली' वो '#अंकल Scrooz', '#ये जो है जिंदगी' '#सुरभि' '#रंगोली' और '#चित्रहार' अब नहीं आता...।।। #रामायण, #आलदिन#महाभारत#का वो चाव अब नहीं आता, बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। वो #एक रुपये किराए की साईकिल लेके, दोस्तों के साथ गलियों में रेस लगाना! अब हर वार 'सोमवार' है काम, ऑफिस, बॉस, बीवी, बच्चे; बस ये जिंदगी है। दोस्त से दिल की बात का इज़हार नहीं हो पाता। बचपन वाला वो 'रविवार' अब नहीं आता...।।। बचपन वाला वो '#रविवार' अब नही आता...।।। 🙂🙏m&p #seaside
KUNDAN KUNJ
तुम्हारी कलम से निकली हर शब्द हो सुरभित, बिन सुरभि बागों में कभी ना करें भृंग गुंजित।। #सुरभि =सुगंध
#सुरभि =सुगंध
read moreपवन कुमार अल्पज्ञ
संवाद ✍️✍️पवन कुमार अल्पज्ञ #NojotoQuote क्या तुम्हें वाकई मुझसे प्यार नहीं था -- जयेश ने बड़ी मासूमियत के साथ पूछा सुरभि - हाँ नहीं था थोड़े गुस्से भरे लहजे में कहा जयेश - तो वो क्या था जब रात को 11 -11 बजे जगाकर पूरी रात फोन पर बात करते करते गुजारना सुरभि - वो सब ऐसे ही था
क्या तुम्हें वाकई मुझसे प्यार नहीं था -- जयेश ने बड़ी मासूमियत के साथ पूछा सुरभि - हाँ नहीं था थोड़े गुस्से भरे लहजे में कहा जयेश - तो वो क्या था जब रात को 11 -11 बजे जगाकर पूरी रात फोन पर बात करते करते गुजारना सुरभि - वो सब ऐसे ही था
read moreपवन कुमार अल्पज्ञ
"वो छत वाली लड़की " कहाँ है जयेश - दीदी ने आवाज़ लगाई यहाँ हूँ छत पर - जयेश ने थोड़ी देर बाद जबाब दिया जयेश अभी अभी अपने छोटे से शहर अलीगढ़ से दिल्ली आया है इसीलिए देख रहा है देश के दिल दिल्ली को पहली बार इतनी गहराई से, उसने इतनी बड़ी बड़ी बिल्डिंग, इमारतें और हाँ इतने नीचे से जाते एयरोप्लेन पहले कहाँ देखे थे खाना खा ले आजा जा -उसे दीदी ने पुकारा मगर जयेश का ध्यान तो कहीं और ही था उसके बराबर वाली छत पर अपने बालों को खोलकर सुखाती इधर उधर लहराती लड़की की तरफ
read moreAnushka Verma
*जन्नत का इश्क़* (एक पुनर्जन्म) जन्नत - बहुत सुंदर लड़की थी जो अभी 17 साल की थी .. उसका एक दोस्त था टेडी जिससे वो बात करती थी बड़ी ही अजब कहानी थी उसकी और उसके टेडी की । टेडी को प्यार से वो स्वीटू शोना बुलाती थी ये कहानी शुरू होती है जब जन्नत कुछ 17 साल की रही होगी उसके पापा एक मेले में जाते है उसे लेके बहुत अच्छे खिलोने व झूले देख कर वो बहुत ख़ुश हो जाती है जब जन्नत और उसके पापा झूले की ऊंचाई पर होते है जन्नत को गुड्डे की दुकान दिखती है
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