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Naveen Mahajan

#merekanha

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Naveen Mahajan

"चलो झाँकी सजाते हैं"

अपनी कला-धरोहर की, अपने श्याम मनोहर की
चलो झाँकी सजाते हैं, चलो झाँकी सजाते हैं. 

सिर पे मणि मुकुट धर के,  उसपे मोर-पंख रख के 
स्वयं पे हम इतराते हैं, चलो झाँकी सजाते हैं. 

अधर पे बंसी छोटी सी, कमर पे बांध लंगोटी सी 
मीठी तान सुनाते हैं, चलो झाँकी सजाते हैं. 

हाथ में कंकड़-पत्थर ले, निशाना पक्का सा करके 
मटकी फोड़ के आते हैं, चलो झाँकी सजाते हैं. 

बछड़े खोल के गउओं के, आँख में गांव की बहुओं के 
धूल हम झोंक के आते हैं, चलो झाँकी सजाते हैं. 

कतली मेवे-मिश्री की, छाछ-मक्खन और दूध-दही 
आज हम छककर खाते हैं, 
चलो झाँकी सजाते हैं. 

राधा गोरी इठलाए, 
साँवरिया चिढ़ता सा जाए
उसे हम भी चिढ़ाते हैं,
चलो झाँकी सजाते हैं. 

#NaveenMahajan #Janamashtmi2020

Naveen Mahajan

मौजूदा मसाइल

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Naveen Mahajan

मौजूदा मसाइल #shadesoflife

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'मौजूदा मसाइल'

मौजूदा मसाइल पे, लिखने की हिदायत थी
हमने बग़ैर देर किए, तुझ पे ग़ज़ल कही।

काफ़ूर हो चले जब, सब सब्र के परिन्दे
तेरी तरफ़ से हमने, ख़ुद पे ग़ज़ल कही।

मौसम के बदलने के, वाकिफ़ थे मिजाज़ों से
मात उनको देते तेरे, रुख़ पे ग़ज़ल कही।

संगों पे पड़ी धारी, हिम्मत पे रही भारी
बेकार हमने अब तक, बुत पे ग़ज़ल कही।

यारों ही की महफ़िल थी, यारी ही के किस्से थे
ग़म के अज़ीज़ हम थे, उस पे ग़ज़ल कही।

सावन के महीने में, सब गा रहे थे झूले
हमने भी पतझड़ों की, रुत पे ग़ज़ल कही।

दुनिया के शोरगुल पे, कहने को कुछ नहीं था
मजबूर थे आदत से, चुप पे ग़ज़ल कही।

ग़ज़लों में ढूंढते हैं, सब सुख जहान के 
दीगर ये बात है के, दुख पे ग़ज़ल कही। 

#NaveenMahajan मौजूदा मसाइल 

#shadesoflife

Naveen Mahajan

आज मंदिर सज रहा #Ram_Navmi

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"आज मंदिर सज रहा"

आज भारत बन रहा, आज मंदिर सज रहा 
शंख स्वाभिमान वाला, हर दिशा से बज रहा। 

राम तुम मन में हमेशा, थे - रहोगे और हो 
पर बिना मंदिर तुम्हारे, मन था तन को तज रहा। 

आज फिर गंगा हुई है, इस धरा पर अवतरित 
और तर्पण हो रहा है, आत्माओं का सभी 
जो न्योछावर हुए पथ पर, जीवन आंदोलनरत रहा। 

जीत न्याय की अटल है, ये सदा से है सुनिश्चित
राम तुम से प्रेरणा पा, इसका भी धीरज रहा। 

फिर शिखर पर मत सनातन, हो सुशोभित सर्वदा 
फिर से भगवा लहराए गगन में, जो उपेक्षित ध्वज रहा।

ये ध्वजा संदेश दे बस, शांति का गौरवमयी 
और कर दे घोषणा फिर- 'आज मंदिर सज रहा'।

#NaveenMahajan  आज मंदिर सज रहा 

#Ram_Navmi

Naveen Mahajan

ये उम्र के तकाज़े #walkingalone

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'ये उम्र के तकाज़े'

ठुकरा के छतरियों को, बारिश से आ रहे हैं 
ये कील ये मुँहासे, चालिस से आ रहे हैं।

आज़ाद ख़याली का, अपना ही एक मज़ा है 
अल्हड़ थे जो ख्याल, बालिग़ से आ रहे हैं। 

जबरन थी जो लगायी, वो गांठ खुल रही है 
अरमान भूले- बिसरे, खालिस से आ रहे हैं। 

जो मर चुका हो कब का, पूछे सवाल कैसे?
करके यही सवाल, कातिल से आ रहे हैं। 

देखें सुलूक कैसा, करती है अब जमातें?
हम सीख करके कलमा, काफ़िर से आ रहे हैं। 

क्या उम्र और दिल के, रिश्ते हैं सौत जैसे?
ये सवाल मेरे दिल में, वाजिब से आ रहे हैं। 

ये उम्र के तकाज़े, उस्ताद हैं बहुत 
जवाब हर सवाल में, ज़ाहिर से आ रहे हैं।

यूँ तो मेरे जज़्बात, नाज़ुक हैं शुरु से 
पर क्या करूं के आज, शातिर से आ रहे हैं। 

शक़ मेरी नीयतों पे, करके भी क्या करोगे 
नीयत से ये परे हैं, नाज़िल से आ रहे हैं। 

पाबंदियां वो सारी, हैं कर रहीं बग़ावत 
तेरी पूछने सलामत, हम फिर से आ रहे हैं। 

#NaveenMahajan ये उम्र के तकाज़े

#walkingalone

Naveen Mahajan

जब खुद से मिला मैं #DesertWalk

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"जब खुद से मिला मैं"

जब खुद से मिला मैं, 
अरे- रे बहुत हिला मैं।

हिल- हिल के हिलोरें, 
मेरे मन को टटोलें। 

मन, मन को पुकारे, 
पर नहीं वो रुका रे। 

मन रुक- रुक- रुक, 
आ, बाँटें सुख-दुख। 

क्यों इतना डरा रे, 
अरे आ-रे, आ-जा रे। 

कैसे हिम्मत जुटाऊं, 
कि खुद से मिल पाऊं। 

और ग़र मिल जाऊँ, 
तो टिक कहीं पाऊँ? 

अरे कोई तो बताये, 
ये मिलन के उपाय। 

ये उपाय हैं पराए, 
भई सारे मुरझाए। 

सारे- सारे मुरझाए, 
पर कौन खिला रे ? 

ये वो 'मैं' है, हाँ वही 'मैं' है, 
जो मुझ से मिला रे। 

#NaveenMahajan जब खुद से मिला मैं 

#DesertWalk

Naveen Mahajan

समझदारी #Stars&Me

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"समझदारी"

आज हंसती है मेरी समझदारी
प्यार की उन सब बेवकूफियों पर
 जो करते चले गये हंसते - हंसते, रोते- रोते,
मगर हाँ अपनी मर्ज़ी से भरपूर।

प्यार क्या था, एक लगाव जैसा था बस
 Infatuation कहते हैं न English में, वही बस...
किशोरावस्था का लक्षण मात्र।

किशोरावस्था का वो लक्षण... बिल्कुल सामान्य सा लक्षण,
लेकिन याद क्यों है अभी तक इस अधेड़ उम्र में?
वो भी सभी तफ़सील के साथ,
और क्यों याद आ जाता है हर रात बिस्तर पर बिन बुलाये?

ओह, समझदारी का मन बहलाने आता होगा,
उसको हंसाने आता होगा।
बोला था न शुरू में ही - 'आज हंसती है मेरी समझदारी...'

सुबह पाँच बजे तक हंसती है कभी-कभी तो,
फिर नहीं हंसती दिनभर,
समझदारी जो है,
दिन में भी हंसेगी तो नाम न बदनाम होगा उसका।

तो लब्बोलुआब ये के छिप- छिप के हंसती है समझदारी,
या यों कहें के इंतजार करती है रात का, बेवकूफियों की याद का।

मगर मुझसे तो छिपा नहीं सकती ये कारस्तानी अपनी,
तो बड़ी बेवकूफ़ सी लगती है मुझे मेरी समझदारी,
मेरी बेवकूफियों पर हंसते हुए।

किशोरावस्था के वो लक्षण, ज़िन्दा रखे हुए हैं मुझे अभी तक।
आज भी सारी रात रोते कटी, चार चालीस हो चले हैं, सोऊं अब,
सुबह उठना है सभी समझदारियों के साथ, अधेड़ उम्र वाली।

#NaveenMahajan समझदारी 

#Stars&Me

Naveen Mahajan

नज़ारा #Yaari

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"नज़ारा"

जो मैं या तुम समझ लें, इशारा कर लिया मैंने 
हौसलों के पंख लिए, तैय्यारा* कर लिया मैंने (*वायुयान)

ग़म के बादलों ने, चादर सी तान ली थी 
सब चादरों को चीरा, उजारा कर लिया मैंने 

लेकिन ये सब उजारे, तेरे-मेरे वास्ते हैं 
काली हरइक नज़र से, किनारा कर लिया मैंने 

धरती के सात फेरे, और हुंकार भरी फू
जो नज़र लगी थी तुझको, उतारा कर लिया मैंने 

हम हर नज़र से ओझल, जी भर के देख लें सब
सूरज को देखने सा, नज़ारा कर लिया मैंने। 


#NaveenMahajan
Credit: "Kumar Vishwas Fan" fb page नज़ारा

#Yaari

Naveen Mahajan

साख #MoonHiding

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"साख" 

सब तेरी गलतियों को, सही-हाल कर दिया 
पहले लिया जवाब, फिर सवाल कर दिया.

ये सवाल सारे मेरा, शुकराना कर रहे हैं
ऐसे मिले जवाब, बस निहाल कर दिया.

वर्क अनछुए से तुझसे, थे ज़र्द हो चले
तेरा नाम लेके चूमा, और लाल कर दिया.

 प्यासी वो रात अमावस, मानी नहीं तो मैंने
चिलमन से की गुज़ारिश, जवाल* कर दिया.

पहले अदब था आया, या तू शुरू से था
इतना लुग़त* से पूछा, निढाल कर दिया.

जो ग़ज़ल कही थी तूने, तारों में मैंने रख दी
नुक़्ता था जो जुदा सा, वो हो चला खुदा सा, 
सब नुक़्ताचीनों का यों, बुरा हाल कर दिया.

नुक़्ते-सवाल-गलतियां, अमावस की स्याह रात
रह-रह के पढ़ रहे हैं, मेरी शान में कसीदे

जो आशिकी हो सीखनी, सीखो 'निशब्द' से
साख उनकी यों बचाई, के कमाल कर दिया.

#NaveenMahajan
(जवाल_दोपहर लुग़त_शब्दकोश) साख

#MoonHiding
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