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Dr Manju Juneja
पक्षपात पक्षपात तो घरों से ही शुरू होता है मार दी जाती है कोख़ में ही बेटियां देखो बेटी और बेटे में कितना फ़र्क होता है बेटियाँ होने पर घरों में मातम सा छा जाता है बेटे होने की खुशी में जश्न मनाया जाता है दहेज़ ना देने पर जिंदा जला दी जाती है बेटियाँ उन माँ बाबा से पूछो उनके दिल पर क्या होता है बेटियों को शुरुवाती दौर पर ही सिखाया जाता है चूल्हा- चौका बेटों को सर पर चढ़ाया जाता है बेटियाँ पढ़ना चाहे तो पैसों का होता है बहाना बेटों को पढ़ाने के लिए बैंकों से लोन लिया जाता है बेटी को सिखाए जाते हैं सब तौर तरीके बेटों को आज़ाद छोड़ दिया जाता है क्या बेटियाँ इतनी बुरी है बेटों से क्यूँ ये फ़िर पक्षपात किया जाता है ©Dr Manju Juneja #पक्षपात #बेटी #बेटों #फ़र्क #पढ़ाने#आजाद #चुल्हाचौका #कविता #nojotopoetry #WForWriters
Anjali Jain
पारिवारिक, सामाजिक ढांचा कैसे सुधारा जाए?कैसे परवरिश को सुधारा जाए?सब को सोचना होगा।सही रास्ता निकाल ना होगा उस पर चलना होगा।तभी हम समाधान की तरफ कदम बढ़ा पाएंगे।यह मुद्दा बहुत दुःख दे रहा है मन को कि कैसे क्या किया जाए ऐसे लोगों के साथ कि ये जघन्य अपराध, ये नराधम, ये पिशाच, इन सभ्य समाजों से खत्म हो सके!! ©अंजलि जैन #बेटों को इंसान बनाएं#०३.१०.२० #Stoprape
Anjali Jain
आज यह बात रह-रह कर याद आ रही है और व्यथित कर रही है।हर बात का निर्णय लेने वाले ये भाई कौन होते हैं और किसके दम पर निर्णय लेते हैं? मांओं के दम पर! तो सबसे पहले लड़कियाँ ही इस बात को समझे कि बेटा पैदा हो तो प्रारम्भ से ही उसे सभ्य और संस्कारी इंसान बनाने का प्रयास करे। अपने भाई और पिता की जो बात पसंद न हो तो वो उनमें कतई न आने दे। सभी को चिंतन-मनन करने की जरूरत है।ये समस्या छोटी नहीं है और न ही मौसमी है कि कोई घटना मीडिया का हिस्सा बने तब सब बरसाती मेंढकों की तरह टर्राना शुरू कर दे औऱ फिर खामोश हो जाये। ©अंजलि जैन #बेटों को इंसान बनाएं#०३.१०.२० #Stoprape
Anjali Jain
बहिनों के त्याग की कीमत पर इनकी पढ़ाई-लिखाई, खाना-कपड़ा सब होता है और पत्नियों के साथ भी संवेदना शून्य व मानवता रहित व्यवहार इनका होता है। अनजान लड़कियां या स्कूल-कॉलेज, कार्यस्थल पर जानेवाली लड़कियाँ तो वैसे भी इधर-उधर घूमते-भटकते जंगली पशुओं से अपने आपको बचाती फिरती है। मुझे याद आ रही है एक बात, जब मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था तब मेरे साथ पढ़ने वाली दो बहनें, जो बहुत मेधावी थी उन्हें कॉलेज में इसलिए प्रवेश नहीं लेने दिया गया था क्योंकि उनका भाई वहाँ पढ़ता था और उसने मना कर दिया था। तब दुःख बहुत हुआ था पर मानसिकता समझ नहीं आई थी।पर धीरे-धीरे समझ आया कि बहिनों के रहते वे कॉलेज में मनमानी और छेड़ खानी कैसे कर सकते थे? ©अंजलि जैन #बेटों को इंसान बनाओ#०३.१०.२० #Stoprape
Anjali Jain
अब समय आ गया है कि घरों में बेटियों के स्थान पर, बेटों को कठोर अनुशासन में रखा जाए।कदम-कदम पर उन्हें तमीज़ और सभ्यता सिखाई जाए।अधिकांश परिवारों में आज भी बेटे की माँ होने के घमण्ड में,बेटों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती और जंगली घास की तरह उन्हें पनपने-बढ़ने के लिए छोड़ देती है।अनावश्यक लाड़-प्यार दिखाकर, सिर पर चढ़ा देती है और तमीज व संस्कार सिखाने का सारा ज़ोर बेटियों पर लगा देती है। बेटियां तो पढ़-लिख कर, सभ्य-सुसंस्कृत होकर अपने जीवन को रोशन करती है पर ये अनगढ़, नालायक लड़के कदम-कदम पर उनका जीना दूभर कर देते हैं।चाहे बहिन के रूप में, चाहे पत्नी के रूप में, चाहे अनजान लड़की के रूप में। ©अंजलि जैन #बेटों को इंसान बनाओ#०३.१०.२० #Stoprape
Mehtab saifi
मेरी प्यारी किस्मत बाप का दुख दर्द भी बाँट लेती है #बेटियाँ, #बेटों को तो मैंने ज़मीन बाँटते ही देखा है. #Kismat
Parul Sharma
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read moreParul Sharma
सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे गुलाबी पत्ते जो झड़ गये परिंदो के पर उनके हाथों से छूट गये। सफेद दरख्त अब लाचार हैं छाव नहीं है उनके तले
सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे गुलाबी पत्ते जो झड़ गये परिंदो के पर उनके हाथों से छूट गये। सफेद दरख्त अब लाचार हैं छाव नहीं है उनके तले
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