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Best बैठता Shayari, Status, Quotes, Stories

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radhe krishan

Mohd Kaifi

#बैठता 😌 वहीं हूँ #जहाँ_ apnepan☺ का #ehsas है #मुझको, 👦 #यूं ☝ तो #Zindagi 🌍 में कितने ही log__aawaz🗣 देते हैं ।। 😎

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#बैठता 😌 वहीं हूँ #जहाँ_  #apnepan☺ का #ehsas है #मुझको, 👦
#यूं ☝ तो #zindagi 🌍 में कितने ही #log__aawaz🗣 देते हैं ।। 😎 #बैठता 😌 वहीं हूँ #जहाँ_  #apnepan☺ का #ehsas है #मुझको, 👦
#यूं ☝ तो #zindagi 🌍 में कितने ही #log__aawaz🗣 देते हैं ।। 😎

Ashish Creativity

#Quote

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दिल की बात..😔😞
अाज भी कभी खाली बैठता हूँ,
तो उसकी याद आ जाती है,
दिल को खटखटाहट देने लग जाती है,
फिर मजबूरन मैं फ़ोन उठा लेता हूँ,
और एक गलती कर बैठता हूँ,
उसे मैसेज कर देता हूँ |

shahzeb khan

#Lonelyness

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खाली जब भी बैठता हुँ ...
मैं मकानो  में || 
 खाली जब भी बैठता हुँ ...
मैं मकानो  में || 
वो  सिर्फ और सिर्फ याद आयी है ...
तो मैंखानों में ||| #lonelyness

RAJA ALAM

नज्म #कविता

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बड़ा मुँहजोड़ है मेरा दिल
मेरी सुनता ही नही
हर बार दिल लगा बैठता है
और तड़पना मुझे पड़ता है।
लाख समझाता हूँ मत पड़ इस लफड़े में
कहता है इस बार देख लेता हूँ
एक बार और दिल देता हूँ
सायद ये अपना हो
मेरी आंखों की सपना हो
टूटा तो पहले से ही हूँ
दो चार टुकड़े और बढ़ जायेंगे
अगर रुख नही बदली तो
अपनी भी किस्मत सम्भल जायेंगे
पर ये बेवकूफ नही समझता
की मेरा मन कितना तड़पता
देर रात जब सब सो जाते
ये जागकर आँहें भरता 
इसके खाली लौटने पर
मैं टूट कर बिखड़ जाता।
इसको समझाओ कोई मेरे यारो
कमबख्त बेवजह किसी को भी अपना समझ बैठता है
जरा जरा सी बात को मोहब्बत समझ बैठता ह।
इतराता अपनी किस्मत पर
हर वक़्त उनका ही गुन गाता
डूब रहता हर वक़्त खयालों में
सोचकर उनकी बातें मुस्कुराता
जरा जरा सी जवाबों पर
मन ही मन खूब शोर मचाता
गिड़ता जब लड़खड़ा कर
जाती जब इसे छोड़कर
थामती औरों के हाथ
छोड़कर इसका साथ
तब आंसू बहाते दिन रात
दर्द सहना पड़ता मुझे
गमो का बोझ उठाना पड़ता मुझे। नज्म

CrazyOne

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, भीड में तुमको धुंड कर
भीड़ में खुद को खो बैठता हूं,
मजबूर हूं नहीं 
लेकिन खुद को मजबूर कर लेता हूं,
हस्ते हस्ते तूमको याद कर,
अपनी मुस्कुराहट खो बैठता हूं,
नींद में रह कर 
यादों को सपना बना देता हूं,
सुकून से जीने का सोच कर
अपनी चैन भि खो बैठता हूं,
तुम हो नहीं 
मगर फिर भी आज तुम मुझे सताती हो,
तुम हो नहीं 
मगर फिर भी आज तुम मुझे रुलाती हो,
जब रहना नहीं था 
तोह यादों के समुंदर कियू बनाए तुमने,
जब रहना नहीं था 
तोह मेरा दिल चुरा कर तोड़ कियु दिया तुमने,
आगे तो बढ़ गई तुम
मगर मै अब भी वही हूं,
शायद आसान था तुम्हारे लिए
आयी थी मुस्कुराहट बन के और दे कर गई सिर्फ आंसू....... #sad #breakup #poem #mywords #myfeelings #poetry #nojotopoem

Haider Khan Idrees

सबकी रखने के चक्कर में इंसान अपनी गवाँ बैठता है ओर जब अपनी गवाँ बैठता है तो फिर उसकी कोई नहीं रखता इसलिए उसूलों को मुरव्वत ओर अक़ीदत की भेंट ना चढ़ने दें सबसे उनके मुक़ाम के मुताबिक़ मुआमला करें,
"इज़्ज़ते-नफ़्स की हिफाज़त ही अपने वुजूद की असल हिफाज़त है" ..!!! #self#respect

Manish Mahrania

ज़िन्दगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ख़ामोशी लिखने बैठता हूँ,

एहसास होता है ख़ुदा तेरी मौजूदगी का
जब मैं उस पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

खामोशियाँ भी इतनी खामोश है उसकी
ख्वाब में आजाए तो बारहा उठकर बैठता हूँ,

ख़ुदा तो ख़ुदा उसकी भी इबादत करता हूँ
हर रोज़ जब नमाज़ अता करने बैठता हूँ,

तेरा दीदार हो या महज़ तुझसे बातें करने
न जाने कितनें तक़सीर कर बैठाता हूँ,

तेरी ख़ामोशयों से अमूमन ऊब कर
मैं हर दूसरे पेड़ की छाँव में बैठता हूँ,

पर जिंदगी के शोर से खता-ताल्लुक़ होकर
मैं तेरी ही खामोशियाँ लिखने बैठता हूँ... #nojotohindi
#nojotorajkot
#kalamse
#2liners

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 3 - दाता की जय हो! कुएँ पर रखा पत्थर पानी खींचने की रस्सी से बराबर रगड़ता रहता है और उस पर लकीरें पड़ जाती हैं; इसी प्रकार कोई एक ही शब्द बराबर रटा करे तो उसकी जीभ पर या मस्तिष्क पर कोई विशेष लकीर पड़ती है या नहीं, यह बताना तो शरीरशास्त्र के विद्वान का काम है। मैं तो इतना जानता हूँ कि जहाँ वह नित्य बैठा करता था, वहाँ का पत्थर कुछ चिकना हो गया है। श्रीबांकेबिहारीजी के मन्दिर के बाहर कोने वाली सँकरी सीढी के ऊपर वह बैठता था और एक ही रट थी उस

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
3 - दाता की जय हो!

कुएँ पर रखा पत्थर पानी खींचने की रस्सी से बराबर रगड़ता रहता है और उस पर लकीरें  पड़ जाती हैं; इसी प्रकार कोई एक ही शब्द बराबर रटा करे तो उसकी जीभ पर या मस्तिष्क पर कोई विशेष लकीर पड़ती है या नहीं, यह बताना तो शरीरशास्त्र के विद्वान का काम है। मैं तो इतना जानता हूँ कि जहाँ वह नित्य बैठा करता था, वहाँ का पत्थर कुछ चिकना हो गया है। श्रीबांकेबिहारीजी के मन्दिर के बाहर कोने वाली सँकरी सीढी के ऊपर वह बैठता था और एक ही रट थी उस

कवि मनीष

मजदूर हीं मजबूत है..
**************
मजदूर हीं मजबूत है, 
जो दे छाँव ये वो धूप है, 
मजदूर हीं मजबूत है,
जो दे छाँव ये वो धूप है,

जो जाग-जाग के रात-रात, 
जो देता है सुबह की सौगात, 
जो जाग-जाग के रात-रात,
जो देता है सुबह की सौगात,

असल मेहनत का वही सबूत है,
मजदूर हीं मजबूत है,

मजदूर हीं मजबूत है,
मजदूर हीं मजबूत है,

बेक़ार वो कभी बैठता नहीं, 
बेक़ार उसे कभी करना नहीं, 
बेक़ार वो कभी बैठता नहीं,
बेक़ार उसे कभी करना नहीं,

उसके घर में भी भूख है,
मजदूर हीं मजबूत है,

मजदूर हीं मजबूत है,
मजदूर हीं मजबूत है,

मजदूर हीं मजबूत है, 
जो दे छाँव ये वो धूप है, 
मजदूर हीं मजबूत है,
जो दे छाँव ये वो धूप है,

मजदूर हीं मजबूत है,
मजदूर हीं मजबूत है,

मजदूर हीं मजबूत है,
मजदूर हीं मजबूत है 
#कविमनीष 

 #NojotoQuote #कविमनीष
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