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#talentedviru

दादा जी क्यों तुम इतने दूर चले गए 
पोते का अपने क्यों हाथ छोड़ चले गए 
आप कहते थे आपकी आंखों का नूर हूँ 
क्यों आँखों का फिर छोड़, नूर चले गए

©#talentedviru #virukedadaji #dadaji #talentedviru #firstbestfriend
#Missing

#talentedviru

जब अपने चले जाते हैं तो दुःख होता है मगर सच यह भी है कि शरीर नशवर है हमें यही दुआ करनी चाहिए कि जो जीव - आत्मा आज हमारे बीच नहीं है प्रभु उसे मोक्ष प्रदान करें .. #talentedviru #virukedadaji #GodBlessUsAllAlways

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प्यारे दोस्त  जब अपने चले जाते हैं तो दुःख होता है 
मगर सच यह भी है कि शरीर नशवर है 
हमें यही दुआ करनी चाहिए कि जो जीव - आत्मा 
आज हमारे बीच नहीं है प्रभु उसे मोक्ष प्रदान करें ..
#talentedviru 
#virukedadaji

©#talentedviru जब अपने चले जाते हैं तो दुःख होता है मगर सच यह भी है कि शरीर नशवर है हमें यही दुआ करनी चाहिए कि जो जीव - आत्मा आज हमारे बीच नहीं है प्रभु उसे मोक्ष प्रदान करें ..
#talentedviru 
#virukedadaji 
#GodBlessUsAllAlways

#talentedviru

#old

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आपने ही हाथ पकड़ कर मुझको कांधे पर बैठाया था।
छत का मुझे पता नही आकाश सा मुझ पर साया था।।

माना कि जब मैंने तुमको भाग भाग के खूब थकाया था।
पर तुम्ही थे जो कहते थे बेटा मैं जान न पाया था।।

पापा से जब कुछ मिलता नही दादाजी तुम्हारा सहारा था।
अब कौन मुझे बतलायेगा जो कहानियों में बचपन गुजरा था।।

आर्शीवाद तुम्हरा इतना है कि मैं सब कुछ पाया जीवन मे।
दुर्भाग्य रहा पर इतना मुझ पर देख न पाया अंत समय मे।।

आज हजारो लाखो मेरे सब कुछ जर्जर माटी है।
आपका दिया एक रुपया मेरे जीवन की बहुमूल्य थाती है।।

होली-दीवाली जब जब आये आप ही घर की रौनक थे।
अब रंग-दीया सब फिके है जज्बातों की जो ऐनक थे।।

आधार हो मेरे दादाजी आर्शीवाद से मैं खिलता रहूँगा
संस्कारों की जो राह बनाई उस पर सदा चलता रहूंगा।।
- मिस यू दादा जी.  
#talentedviru
#virukedadaji...
                                                                     By - Biresh kumar #old

#talentedviru

दिनांक 14-04-2020  को मेरे आदरणीय दादा जी  श्री मैकू लाल प्रजापति का स्वर्गवास हो गया परन्तु उनके और अपने बीच के वात्सल्य भाव को मैं जीवन भर भूल नही पाउंंगा न मैं उन्हें शब्दों का रूप दे सकता हूं परन्तु उनकी ही प्रेरणा और आर्शीवाद से मैं उन्ही भावों को शब्दों का रूप देने का एक प्रयास कर रहा हूं जो मुझे इस दुःख की घड़ी में शायद एक नई चेतना प्रदान करे।यह कविता नही बल्कि कवितारूप में मेरे और मेरे दादा जी के वात्सल्य भाव का एक संवाद है-

आपने ही हाथ पकड़ कर मुझको कांधे पर बैठाया था।
छत का मुझे पता नही आकाश सा मुझ पर साया था।।

माना कि जब मैंने तुमको भाग भाग के खूब थकाया था।
पर तुम्ही थे जो कहते थे बेटा मैं जान न पाया था।।

पापा से जब कुछ मिलता नही दादाजी तुम्हारा सहारा था।
अब कौन मुझे बतलायेगा जो कहानियों में बचपन गुजरा था।।

आर्शीवाद तुम्हरा इतना है कि मैं सब कुछ पाया जीवन मे।
दुर्भाग्य रहा पर इतना मुझ पर देख न पाया अंत समय मे।।

आज हजारो लाखो मेरे सब कुछ जर्जर माटी है।
आपका दिया एक रुपया मेरे जीवन की बहुमूल्य थाती है।।

होली-दीवाली जब जब आये आप ही घर की रौनक थे।
अब रंग-दीया सब फिके है जज्बातों की जो ऐनक थे।।

आधार हो मेरे दादाजी आर्शीवाद से मैं खिलता रहूँगा
संस्कारों की जो राह बनाई उस पर सदा चलता रहूंगा।।
- मिस यू दादा जी.  
#talentedviru
#virukedadaji... #chithinakoisandesh

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