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CHANDRASEN KORI
सदाबहार वृक्षों का, यादों से संगम है, सहमा औऱ उलझा मैं, "पतझड़" सा जीवन है.! ©CHANDRASEN KORI #kori #koribrother #alfaazayekori #shayarkori #wordsbykori #naturesonkori
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"मोहोब्बत" कमाने के दौर में, "दोस्ती" ख़र्च कर दी मैंने। -चन्द्रसेन कोरी ©CHANDRASEN KORI #Kori #koribrother #alfaazayekori #shayarkori #wordsbykori #safarnamaofkori
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धुएं में कट रही है जिंदगी मेरी... #Kori #koribrother #wordsbykori #alfaazayekori #shayarkori
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रोजगारी काला कहिथे, ए शब्द ला तो हम छत्तीसगढ़िया मन भुला गे हन। बेरोज़गारी के कतेक किस्सा ला, मन के खीसा मा धरके ओखर दुःख ला भुलवा दे हन। पढ़ाई करे बर घर बेचेन,दाई के गहना घलो बेचेन तब जाके डिग्री ला पाएंव। दाई-ददा के आँशु घलो आईस, जब में उमला अपन डिगरी ला में देखाएंव। फेर में सोचेव हमर दुःख के बेरा ह अब टल जाहि, अव्वल दर्जा के डिगरी धरे हों नौकरी घरा मिल जाहि, दाई-ददा के सपना ला नव मुकाम घला मिल जाहि। फेर काल के परकोप ला मेंहा कंहाँ जान पाएंव, डिगरी ला तो पा गेवं फेर सरकारी नौकरी कँहा ले पाएंव। दाई-ददा के आस ह अब निराशा कस बदल गईस, मंदिर मा पूजा कराईया मोर बहिनी, दहेज के पीरा मा मर गिस। कलेक्टर बने के सपना रिहिस, फेर चपरासी के नौकरी तको नई पाएंव। पीएचडी के डिग्री धरके ना जाने , कतेक आफिस के दरवाजा खटखटाएवं। तब जा के मैं ह अपन आखरी परयास ला मारेंव सरकार ला गोहार लगा के,अपन दुःख ला बिरचाएंव। सरकार घलो मोर पीरा ला सुनके मगरा कस आँशु बहाइस, दूसर दिन दू ठक रेल्वे के पोस्ट निकाल के, मोर आत्मा ल अउ डहडहवाईस। ओ दिन से मेंहां रोजगारी शब्द ला भुला गे हंव, बेरोजगारी के पूजा करके इही ला अपन भगवान बना लेहेंव। एक बेरोजगरिहा के दुःख ला, जम्मो छत्तीसगढ़ईया जवान मन जानत हे। कतका दुःख मन मा भरे हे ओखर, ए हर समान्य परिवार मन जानत हे। ओ हँसत खेलत मनखे के जिनगी हा, बेरोजगारी तले दबा गे हे। आँसू कतेक गिरतीस बपुरा के अब उहू घला सूखा गे हे, नेतागिरी अउ भ्रष्टाचारी मा हर युवा बेरोजगारी मा लपटा गेहे। रोजगारी काला कहिथे, ए शब्द ला तो हम छत्तीसगढ़िया मन भुला गे हन। बेरोज़गारी के कतेक किस्सा ला, मन के खीसा मा धरके ओखर दुःख ला भुलवा दे हन। -चन्द्रसेन कोरी #Kori #koribrother #alfaazayekori #shayarkori #koriwritesforupsc
CHANDRASEN KORI
तुम दीप ढूंढ रहे हो, मैं तुम्हे ढूंढ रहा हूँ। तुझे तेरी मंजिल मिल रही है, मैं खुद को ही अंधेरे में ढूंढ रहा हूँ। लक्ष्य मार्ग पर चलने के लिए, मैं भी अपना दीप ढूंढ़ रहा हूँ। माना थोड़ा वक्त लगेगा, थोड़ा लड़ना और पड़ेगा। पर रास्ता क्या है, ये मैं ढूंढ ही लूंगा। अपना मार्ग मैं ढूंढ़ ही लूँगा। मैं खुश हूँ कि तुमने, अपना लक्ष्य भेद ही डाला, दीप का सही अर्थ सेंध ही डाला। जो सोंचा वो सब कुछ पाया, अपना रुतबा सींच ही डाला। पर तुम रुको, मैं भी अपना इतिहास लिखुंगा, अपना दीपक जान ही लूँगा। स्व स्वाभिमान का ज्ञान भी लूंगा, अपना भी पहचान लिखूँगा। अपना दुःख अंधकार भी भेद ही लूंगा, खुद को अपना दीप लिखूँगा। -चन्द्रसेन कोरी #Kori #alfaazayekori #shayarkori #koriwritesforupsc #koribrother
CHANDRASEN KORI
bharat quotes मेरा बदलता भारत एक वक्त था जब विश्व गुरु था, भारत अपना अभिमान था। इसके लिए ही प्राण था त्यागा, जाने वो किसका स्वाभिमान था। फिर अंग्रेजों ने अपना परचम इस मातृभूमि पर लहराया। विश्व से सुंदर इस धरा को खोद खोद कर छल डाला। वक़्त के साथ अपना भारत भी, अंग्रेजों के रंग में रंगता गया। कभी आँचल जिसकी ढकी हुई थी वह वेस्टर्न कल्चर में ढ़ल गया। कान की बाली,हाथ की चूड़ी और माथ की बिंदी, इस परिवर्तन से झुलस गया। मुँह की लाली,अर्ध्वस्त्र में भारत अपना सिमट गया। सोंचा था भारत बदलेगा मेरा, जाने ऐसा देश तो क्यों बदल गया। अपनी संस्कृति को छोड़ तू, आंग्ल सभ्य में चमक गया। "मेरा बदलता भारत" लिखना था, लिखते लिखते ही मैं रुक गया। आंग्ल सभ्यता के बीच मे रहकर, मैं भी अंग्रेजों सा बन गया। -चन्द्रसेन कोरी #Kori #koribrother #alfaazaayekori #shayarkori #india #HINDUSTANI
CHANDRASEN KORI
दर्पण (mirror) आज सेल्फी का जमाना है.. दर्पण कौन देखता है.. इस दिखावे की दुनिया मे लोगों का दर्द कौन देखता है.. दर्पण की बातें तो अब बस किताबों में ही दबी हुई है.. बचपन के टेढ़े मांग वाली मुस्कुराहट उसी दर्पण संग चली गयी है.. पापा के बाइक के आगे बैठे, उस बच्चे की उड़ते बालों को देखने की चाहत, उस दर्पण के संग चली गयी है.. याद है.. याद है... साबुन के झाग से दाढ़ी बनाते थे.. उसी छोटी सी दर्पण में अपना प्रतिबिंब देख बड़ा मुस्कुराते थे.. याद है.. याद है... वो क्लास की नकचढ़ी लड़की जो अपने संग दर्पण लेकर आती थी .. खुद का चेहरा उस दर्पण में देख बड़ा मटमटाती थी.. अब ये सारे किस्से तो मोबाइल से होने लगे है.. बचपन की मासूमियत वाली मुस्कुराहट, लोग सेल्फी से लेने लगे है.. खैर वक़्त बदला तो दर्पण का कार्य भी बदल गया.. जो कभी चेहरा दिखाता था. वो अब सारे जगह जरूरी समान सा हो गया.. कार,बस,ऑटो या कोई भी गाड़ी हो हेलमेट का शीशा हो या कार्यालय का प्रवेश मार्ग हो सब जगह दर्पण अपना चमत्कार दिखाता है.. यह सच सच हो या झूठ इसका भी ज्ञान कराता है.. मेरे लिए दर्पण तो मेरे बचपन की यादों का समुंदर है. जिसमें मैं बिन डुबे भीग जाऊँ ये वो नम स्थान गहरा है. आज सेल्फी का जमाना है.. दर्पण कौन देखता है.. इस दिखावे की दुनिया मे.. लोगो का दर्द कौन देखता है.. - चन्द्रसेन कोरी @alfaaz_aye_kori #Kori #alfaazayekori #koribrother #shayarkori #koriwritesforupsc
CHANDRASEN KORI
आशाओं की दौड़ में, एक नाम नया लिख दो.. एक ख़्वाब जो आज दिखा, उसे पहचान मेरा लिख दो.. नदी वेग सा,गिरी अटल सा, एक विचार नया लिख दो.. एक ख्वाब जो मृत दिखता है, उसमे रक्त संचार नया लिख दो.. भवि स्वप्न और एक नव राही का नाम नया लिखा दो.. आशाओं की दौड़ में, एक नाम नया लिख दो.. -चंद्रसेन कोरी #spark #kori #koribrother #shayarkori #koriwritesforupsc #alfaazayekori