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NEHA THAKUR

सुन रोटी को रोटी ही रहने दो, chapati में स्वाद फीकी होती हैं...। #Labour_Day #1Maylabourday #poem #Thoughts

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सुन रोटी को रोटी ही रहने देते हैं
Chapati में स्वाद फीकी होती हैं,
चल श्रमिकों से कंधा मिलाकर चलते हैं ,
इसमें सर झुकने वाली कोई बात नहीं होती...।।

तुम wine लेकर shine की तमीज बताते हो,
देखो वो water लेते हैं उनके कमीज मे shrink 
वाली बात नहीं होती...।।

सुन अपनी shoes की sol और ACवाले मकान 
का खुमार अपने तक ही रखना..
ये तुच्छ बातें कभी श्रमिकों के आगे मत कहना, 
पाँव में काँटा ही क्या किल भी चुभ जाए
 पर उन्हें दर्द की एहसास नहीं होती ।।

माना वो जेब से फकीर हैं 
फिर भी ए_दोस्त वो तुमसे ज्यादा अमीर हैं,
क्या हैं कि चौखट छोटी हैं..
तो उनके आशियाने में कदम ज़रा सर झुकाकर रखना...
बस चाय के सामने कभीCoffee की बात मत रखना...।।

सुन रोटी को रोटी ही रहने देते हैं
Chapati में स्वाद फीकी होती हैं,
चल श्रमिकों से कंधा मिलाकर चलते हैं 
,इसमें सर झुकने वाली कोई बात नहीं होती...।।
     ।।श्रमेव जयते।।
             🙏🏼
_मेरी✍कलम ही मेरी आवाज है

©NEHA THAKUR सुन रोटी को रोटी ही रहने दो,
chapati में स्वाद फीकी होती हैं...।

#Labour_Day  #1Maylabourday #poem

Muhammad Saad Pirzada

#Labour_Day سوجاتا ہے فوٹ پا تھ پر اخبار بچھا کر ۔۔
مزدور کبھی نیند کی گولی نہیں کھاتا ۔۔
~پیرزادہ سعد #Labour_Day #1MayLabourDay  #2020 #DedicatedToAllLabours

बिमल तिवारी “आत्मबोध”

हमारे जगने से पहले जो चले जाता हैं
हाथ मे हथौड़ा कुदाल अपना ले लेता हैं
नही  चिंता  उसको  शरीर  अब अपने
हवा धूप को हँस के बस सह जाता हैं

उसके हाथों रईसों के इमारत कितनें बनें
राजाओं के महल और ईबादत कितने गढ़े
जिसकी पत्थर अमीरी की गाथा सुनाती
पर गढ़ने वालों की कोई बात ना करती

जो डालता हैं नींव किसी भी आधार का
जिस  पर  खड़ा  होता  भार  ज़हान का
मग़र उसको इतिहास विस्मृत कर देती हैं
क्योंकि मालिक नही ओ तो मजदूर होता है

नहीं चाहिए नाम उसको ताज़ के निर्माण का
ना चाहता अंकित हो नाम उसके दीवाल का
ओ बनाता इमारत पुल सड़क पेट के लिए
ना करता ख़ुदा से कामना ही निर्वाण का

सबकें सपने हकीकत में बदलता हैं वो
गगन तक इमारत को पहुचाता वो
पर गगन औ ज़मीं उसको अनदेखा करती
मालिक नहीं आख़िर मजदूर होता हैं वो ।।
©बिमल तिवारी "आत्मबोध" #1Maylabourday


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