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Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता, ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है लेकिन इन सबसे ऊपर ईश्वरीय प्रेम है। - स्वामी विवेकानंद ©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते" #ईश्वरीय प्रेम
Vivek
तुम्हें मुस्काते फूलों ने बुलाया है बाग में ..... हवा के झोके की छुअन में प्रात:कालीन ईश्वरीय संदेश.....!!! ©Vivek #ईश्वरीय संदेश
Vivek
आत्मा की खोज है प्रेम ईश्वरीय अनुसंधान है पलकों से पलकों का हर पल ये प्रणाम है...!!! ©Vivek #ईश्वरीय अनुसंधान #प्रेम
Amit Singhal "Aseemit"
ईश्वरीय परमशक्ति का बहुत अच्छा है अपना हिसाब, वह अपने पास रखती है सबके पाप पुण्य की क़िताब। जिसने जैसा कर्म किया तो उसने वैसा ही फल पाया, पाप किया कष्ट भोगा, पुण्य किया तो पाया खिताब। ©Amit Singhal "Aseemit" #ईश्वरीय #परमशक्ति #का
Author kunal
हज़ारों यातनाओं , दृश्य और बंदिशों के बावजूद मन संयोजित करना और अद्वितीय भूर्ण सृजन कर एक नवजात शिशु चाह( स्वप्न )को जन्म देना और वयस्क तक उसको पालना उसका ख्याल रखना फिर बड़े शक्तियों के प्रहार से घायल आंसुओ के द्वारा उसे खुली हवाओं में छलका देना सच में बड़ा ही अलौकिक और हृदय को झकझोर कर देने वाला सत्य है जो संपूर्ण सृष्टि में विद्यमान स्त्रीत्व की आंखों में हर पल ये अस्तित्व कायम होता और शून्य में विलय होता उन आंखों को मैं ईश्वरीय आंख लिखूं उन टूटे सपनों को मैं एक हत्या कहूं जो कभी कभी हम पुरुष अपने अधिकार वस कर जाते हमें ज्ञान न होता कि वो सिर्फ उनकी हनन नहीं अपितु एक हत्या है स्त्रीत्व ही ब्रह्मांड निर्माण है और संहार भी हम बस एक अल्प शून्य से है स्त्री आरंभ और अंत दोनों है । #आंखें #ईश्वरीय #महिला_दिवस #असलीयत #कामिल_कवि #kunu #yqdidi
Anjali Jain
वर्षों पूर्व जब रामायण व महाभारत देखी थी तब दुनिया भर के प्रश्न मन में उठते थे, जिनका जवाब इन बीते हुए बरसों में मिले, जीवन से, अध्ययन से, चिंतन से! आज पुनः रामायण व महाभारत देखना, उन उत्तरों के साथ, बहुत ही आनन्द दायक है! जब - जब भी राम व पाण्डवों की विजय होती थी नादान मस्तिष्क में यही तर्क पैदा होते थे कि देवी - देवताओं ने इनकी सहायता न की होती तो ये न जीतते! लेकिन धीरे-धीरे कुछ वर्षों बाद ये समझ में आया कि दोनों सत्य के रथ पर सवार थे, सत्य के पालक थे अतः देवी - देवताओं द्वारा सहायता तो होनी ही थी, तभी तो कहते हैं कि सत्य का साथ ईश्वर देते हैं! असत्य के पक्षधर व नितांत सांसारिक व्यक्ति, सांसारिक व सामूहिक ताकत में विश्वास करते हैं जबकि सत्य के पक्ष धर, आत्म -कल्याण के इच्छुक व समस्त संसार के हित की कामना करने वाले साधक ईश्वरीय शक्ति पर ही विश्वास करते हैं उन्हें वहीं से सहायता मिलती है और वे विजयी भी होते हैं जैसे दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण की सेना और अर्जुन द्वारा स्वयं भगवान को मांगना!! #ईश्वरीय सहायता #14. 04.20
Manyu Manish
मैं इस मान्यता को अस्वीकार करता हूँ कि दुनिया में जो कुछ भी होता है सब ईश्वर की मर्ज़ी से होता है, उसकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। अगर आप इसे मानते हैं तो आपको हत्यारों,लुटेरों, बलात्कारियों को ईश्वरीय इच्छा पूरी करने का माध्यम मात्र मानना पड़ेगा। अपनी अक्षमता,अरुचि, अनिच्छा, अपराध बोध, अपने कर्मों को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए इस मान्यता का फायदा कुछ लोग उठाते हैं। @मन्यु आत्रेय #ईश्वरीय विधान???
Parul Sharma
आत्मा ही परमात्मा का अंश है ये देह नहीं। क्यूँ कि ये देह संसार और सांसारिक वस्तुऐं ईश्वर द्वारा बनाई गयी हैं जिसमें ईश्वर अपना कुछ अंश रख देता है और इस प्रकार वह ईश्वर से जुड़ी रहती है पर पूर्णतया ईश्वरीय नहीं होती। इसी लिये हमें उस में से मनोविकारों( मोह, माया, लोभ,लालच,ईष्या द्वष,झूठ,फरेब, आदी) को निकालना होता है ईश्वरीय बनाना होता है कि वो उस में बसे ईशवरीय अशं जैसी होकर पूर्णतया ईश्वरीय हो जाये। जबकि आत्मा ईश्वरीय अशं है पर हम उस पर मनोविकर युक्त शारिरिक बोझ डाल कर रोगी और क्षीर्ण और मैला कर देते हैं। जिससे वह ईश्वरता का ओज प्राप्त नहीं कर पाती। अत: अगर हम खुद को ईश्वर अशं मानते है तो हमें अधिक से अधिक मनोविकारों को अपने अंदर से निकालना होगा और उन्हें दुबारा न आने देना होगा। क्यों कि ईश्वर बनना मेरे ख्याल से अस्मभव है पर पर परमात्मा की प्राप्ती की ओर जाना आसान भी है और संभव भी। पारुल शर्मा #MorningQuotes #GoodMorningQuotes#सुविचार#सुप्रभात#प्रवचन#GoodMorningMassages आत्मा ही परमात्मा का अंश है ये देह नहीं। क्यूँ कि ये देह संसार और सांसारिक वस्तुऐं ईश्वर द्वारा बनाई गयी हैं जिसमें ईश्वर अपना कुछ अंश रख देता है और इस प्रकार वह ईश्वर से जुड़ी रहती है पर पूर्णतया ईश्वरीय नहीं होती। इसी लिये हमें उस में से मनोविकारों( मोह, माया, लोभ,लालच,ईष्या द्वष,झूठ,फरेब, आदी) को निकालना होता है ईश्वरीय बनाना होता है कि वो उस में बसे ईशवरीय अशं जैसी होकर पूर्णतया ईश्वरीय हो जाये। जबकि आत्मा ईश्वरीय
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