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वैद्य (dr) उदयवीर सिंह
धम्मपद
क्या #वेद ईसा पूर्व में थी? वर्तमान समय में वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडों {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} में उपलब्ध है। वेद ईसा पूर्व काल में थी इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा, तभी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व थी भी की नहीं! #वेद पालि शब्दकोश का शब्द है। कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है। जो बुद्ध वंदना में #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय में #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित बैराट भाबरु अभिलेख में #विदितेवे के रूप में मिलता है। जिसमें #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, #वेदगू-ऊँचतम अनुभवी, #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है। यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है। इसलिए तिपिटक में भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है। यानी स्वयं के अनुभव से तीन प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने वाला। अब आते है आज वाली चार वेद से #हटकर पांचवे वेद पर, जिसका नाम #आयुर्वेद है। इस आयुर्वेद को वेद पुस्तक से दूर-दूर तक का कोई संबंध नहीं है। फिर इसका नामकरण #आयुर्वेद क्यों हुआ? #आयुर का अर्थ योगपीडिया अनुसार #जीवन होता है और #वेद का अर्थ तिपिटक अनुसार अनुभूति द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है। यानी 👉🏾💝जीवन से सम्बंधित जो ज्ञान अनुभूति पर प्राप्त हुआ, उसे आयुर्वेद कहते हैं। फिर आज वाली पुस्तकीय वेद में अनुभूति वाली तो कोई ज्ञान है ही नहीं। वहां तो 1) ऋज्ञवेद में देवताओं को आह्वान करने का मंत्र है, तो 2) सामवेद में यज्ञ में गाने वाला संगीतमय मंत्र है, तो 3) यजुर्वेद में यज्ञ का कर्मकांड है , तो 4) अथर्ववेद में जादू, टोना, चमत्कार की बात है। आखिर ऐसा क्यों? आज वाली वेद ब्राह्मणी व्यवस्था में अद्वैतवाद वाली दर्शन (philosophy) की पुस्तक है। जिसकी एक पांडुलिपि शारदा लिपि में छालपत्र पर और 29 पांडुलिपि कागज पर नागरी लिपि में लिखी मिली थी। जिसे वर्तमान समय में भंडारकर आयोग पुणे में रखा है। उसी 30 पांडुलिपि से चौदहवीं सदी में सायन ने भाष्य करते हुए पुस्तक का रूप दिया है। जिसमें बाह्मी लिपि से शारदा लिपि का जन्म कश्मीर क्षेत्र में आठवीं सदी लगभग और बाह्मी लिपि से नागरी लिपि का जन्म दसमीं सदी में लगभग हुआ है। तदुपरांत उसके बाद वेद पुस्तक का भाष्य चौदहवीं सदी में सायन द्वारा हुआ है। वेद पुस्तक की पांडुलिपि और भाष्य करने वालों की धूर्तता सिर्फ इतनी ही है कि इन सबों ने मिलकर सम्यक संस्कृति वाली पालि शब्द #वेद, जिसका अर्थ अनुभव होता है, उसी शब्द से अपने कथा वाली पुस्तक का नामकरण कर दिया है। यानी आज कोई धूर्ततावस अपना नाम गौतम बुद्ध रख ले, तो क्या वह सम्यक संस्कृति वाला गौतम बुद्ध बन जाएगा? अब जब वेद पुस्तक का इतना सारा साक्ष्य उपलब्ध है तो इस पुस्तक के वजूद को ईस्वी सन के आस-पास ले जाना मूर्खता ही कहा जायेगा न्। ©प्रशांत मैत्रेय #WinterSunset #Rational #Rationality #HUmanity #buddha #BuddhaPurnima #Buddhist #atheist #atheism
Deepak Sharma
आयुर्वेद जीवन का सार फिर भी इंसान क्यों लाचार हैँ बदप्रेहजी कि आदत से बीमार हैँ आयुर्वेद ही एक मात्र इलाज हैँ © Deepak Sharma #आयुर्वेद
Rakesh frnds4ever
भारत को शिक्षा की जरूरत है education की नहीं भारत को विज्ञान /प्रकृति की जरूरत है science की नहीं भारत को स्वदेशी की जरूरत है modern होने की नहीं भारत को किसानों की जरूरत है factories की नहीं भारत को आयुर्वेद की जरूरत है medicines की नहीं भारत को वेदों उपनिषदों की जरूरत है english की नहीं भारत को धरती मां की जरूरत है buldings की नहीं भारत को भारतीयता की जरूरत है westernity की नहीं भारत को भारतीयों की जरूरत है अंग्रजियत की नहीं, भारत को पहले वाले भारत की जरूरत है बाकी दुनिया की नहीं क्यूंकि भारत ही दुनिया का स्वर्ग था ,,, #भारत को #शिक्षा की जरूरत है #Education की नहीं भारत को विज्ञान /प्रकृति की जरूरत है #Science की नहीं भारत को #स्वदेशी की जरूरत है modern होने की नहीं भारत को #किसानों की जरूरत है factories की नहीं
Rakesh frnds4ever
जब तक हिंदी थी, वेद ,उपनिषद्, आयुर्वेद थे भारत एक गुरुओं का देश था आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है तो भारत आज गुंडों का देश है ऐसे गुंडे जो अपनी ही संस्कृति का चीर हरण कर रहे हैं अपनी ही धरती मां की हत्या कर रहे हैं खुद को educated बताने वाले रिश्तों को शर्मशार कर रहे हैं बलात्कार ,रेप ,मर्डर ,अपहरण कर रहे हैं जब हम हिन्दी थे तो हम हिन्दू थे आज हम educated है तो हम जात पात ऊंच नीच रंग भेद के कीचड में सने हुए हैं जब हम भारतीय थे हम प्रकृति के अनुरूप थे आज हम शारीरिक मानसिक बौद्धिक ज्ञानात्मक भावनात्मक सांस्कृतिक रूप से अंग्रजियत के गुलाम बन कर साइंस ,विकास , तकनीकी, प्रोद्योगिकी,हॉस्पिटल,स्कूल,आदि के भ्रम में फंस कर अपनी धरती मां,पर्यावरण,प्रकृति ओर खुद अपनी जान के दुश्मन बने हुए हैं,,.... जब तक #हिंदी थी, #वेद ,#उपनिषद् , #आयुर्वेद थे #भारत एक #गुरुओं का #देश था आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है तो भारत आज #गुंडों का देश है ऐसे गुंडे
Rakesh frnds4ever
हम पीते हैं चाय why why why ज़हर है ये अमृत नहीं भारत का ये प्रोडक्ट नहीं चाय पियो,सेहत ग्वाओ ,,, सैकडों बीमारी करवाकर hospitals चलवाओ,,, system यही है चाय का,, ,बीमार कर जनता को हॉस्पिटल नाम की नरक जैसी जगह का फायदा करवाना चाय जब तुम पीते हो नरक जैसे फिर जीते हो, ,खुद के शरीर को गला सडा कर,, हॉस्पिटल में रुपए waste करते हो विदेशी जहरीली वस्तु चाय का सेवन कर देश की अर्थव्यवस्था को खराब करते हो,,, पहले चाय खरीद कर फिर चाय पीकर , ,उसके बाद हॉस्पिटल में एडमिट होकर,,,, बुरी चीज है चाय जान जाओ दुश्मन की है चाल जान जाओ स्वदेशी अपनओ देश बचाओ आयुर्वेद अपनाओ धरा बचाओ,,,, हम पीते हैं #चाय why why why ज़हर है ये अमृत नहीं #भारत का ये प्रोडक्ट नहीं चाय पियो,#सेहत ग्वाओ ,,, सैकडों #बीमारी करवाकर
✍️ # ASHISH GUPTA
#आयुर्वेद का वरदान योग से निरोग का ज्ञान #है #भारतीय संस्कृति #महा ज्ञान की खान #योग_दिवस #21 जून 2021 #YogaDay2021
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