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Divyanshu Pathak
सुनो....💕👨 तुमसा कोई मिल जाता तो ढूंढ लिए होते क्यूं प्यार तुम्हें करते ? क्यूं तेरे लिए रोते ? इस प्रेम के पंथ में हाय प्रभु ! सर दे कर भी छुटकारा न होता हम रोते ही क्यों बिलखा कर के अगर तू मन प्राण हमारा न होता ! :💕👨🌷🌷🐒 अगर नज़र में अवगुण थे तो क्यों अपनाया था ये प्रीत न निभ सकती पहले न बताया था ! हे कन्हैया ....! :💕💕🐒💕👨 मौका तो दिया होता मेरे मीत सफ़ाई का मुझे कुछ तो बता प्यारे कारण रुसवाई का ! :
Divyanshu Pathak
तुम हवा बन सको नापलू मैं गगन पर मैं कैसे लड़ूं तेज तूफ़ान से ! और छोड़ा अगर तुमने तीरे नजर ये परिंदा चला जायेगा जान से ! :good evening ji 💕🍉🍉🍉☕☕☕🌷💕💕👨💕🌷🐒 : मेरे अपने अंदाज में चाय की चुस्की के साथ आपको महबूब की झलक दिखलाऊँ💕😊🌹🌸🍫 : चलते चलते हवा लड़खड़ाने लगी ये तुम्हारी ही साँसों का होगा असर ! जबसे छुली है तुमने मेरी उंगलियाँ रात लगाने लगी है मुझे दोपहर ! जिस नजर में मुझे तू न आये नजर
Divyanshu Pathak
कोश कोश पे बदले पानी चार कोश पे वाणी .. मेरा मन है राजस्थान दिल मेरा हिंदुस्तानी.... 💕👨 Good morning ji 💕🍸🍨☕☕☕💕💕🐒🍵🍓🍉🍉🍨🍨🍸💕🍫🍫🍫🍉🍉🍓🍓💕💕🍉🍓🍫💕👨 : 👉राजस्थान क्यों है खास ? : 1. भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियो में से 35 राजस्थानी व्यापारी है.. 2. दंगो में हज़ारो लोग मारे गए हैं लेकिन राजस्थान में 1 भी नही..
Divyanshu Pathak
मन बाबरा है उड़ता है असीमित सैर कराता है ब्रह्मांडो की ले जाता है उसकी मर्जी होती वहां सूर्य लोक में भी बैठ जाता है जाकर हनुमान की तरह ! वहीं से लेता है जीवन की ऊर्जा लौट कर आ लगता है व्यसनों में तीनो गुणों से होता है प्रभावित करता है कर्म बनाता है बंधन आज और कल के लिए ! 💕👨 Good morning ji ☕☕☕☕🍨🍨🍨🍸🍸🍹🍹🍓🍓🍫🍉🍉🍉🍫🍫🍫🍫🍉🍉🍉 : मन के वश में होकर ही व्यक्ति कर्म की प्रकृति निर्मित करता है।उसी अनुरूप चलता है वैसे ही कर्म करता है और अपने व्यक्तिव को निर्मित करता है। मन को पवित्र और सात्विक रखने का विधान है। यह सात्विकता--- आपको परिवेश और पर्यावरण से मिलती है। संगति का ज़िक्र इसी सिद्धांत से ही दिया जाता रहा है ।
Divyanshu Pathak
💕👨 : मेरी जां पास आके बोल दो मुस्कुराके चुप न रहा करो ! Good evening ji 🍉🍨🍨☕☕☕🍓🍓🍓🍉🍫🍫🍨🍵💕👨 : हाँ मैंने भी प्यार किया है..... कमाल की पंक्ति है ! सायद ही कोई ऐसे भाव में बहकर बोल पता हो पर जो प्यार करते है बोलते हैं...... : कैसे मैं भुला दूँ वो बीते हुए पल
Divyanshu Pathak
अकेले पुरूष के जीवन में किसी प्रकार की सांसारिक गतिविघि नहीं होती। अकेली कन्या की जीवन शैली कार्यकलापों, परंपराओं, व्रत-तप अर्चन से लेकर मां का गृहकार्यो में सहयोग छोटे भाई-बहनों की देखभाल आदि कार्यो से भरी रहती है। Good morning ji 💕👨☕☕☕☕🍨🍨☕☕🍵🍵🍵🍵😊💕💕☕🍫🍫🍸🍹🍹🍓🍓 : मां भी उसी को प्रताडित करती है। बेटा तो मानो विशिष्ट सुविधा प्राप्त जीव होता है। बेटी को दूसरे घर जाकर रहना है। पूरी तरह प्रशिक्षित करके भेजना चाहिए। वरना, उसकी सास पूरी उम्र लड़की की मां को ही कोसती रहती है। नया घर बेटी के लिए नरक बन जाता है। बेटे को तो साथ ही रहना है। : देख लेंगे। हां, कन्या पूजन से लेकर कन्यादान तक की यात्रा शक्ति के विकास की यात्रा कही जा सकती है। स्नेह, ममता, वात्सल्य, धैर्य, सहनशीलता, सेवा आदि गुणों से लेकर मंत्र, अनुष्ठान, पूजा
Divyanshu Pathak
किस देश में ‘मातृदेवो भव, पितृदेवो भव’ कहा जाता है? केवल भारत में। इसलिए नहीं कि वे हमको शरीर देते हैं जिसमें हमारा आत्मा आकर सौ साल रहता है। शरीर को पैदा करने के लिए किसी प्रशिक्षण की जरूरत किसी भी मां को नहीं पड़ती। किसी भी प्राणी की मां क्यों न हो। धरती के पास बीज का विकल्प भी नहीं होता। सच्चाई यह भी है कि गुठली के अनुरूप ही आम लगते हैं। यही तो वंशवाद का आधार है। :💕👨☕☕☕☕☕🍨🍨🍨🍫🍫🍫🍹🍹🍉🍸🍉🍉🍉🍉🍉🍓🍓 Good morning ji : एक बच्चे ने छुट्टी मांगी कि उसकी माता का देहान्त हो गया है। छुट्टी मिल गई। कुछ दिन बाद छुट्टी मांगी कि पिता का देहान्त हो गया है। छुट्टी मिल गई। फिर कुछ दिन बाद माता के और फिर पिता के देहान्त के लिए छुियां ले गया। अगली बार जब फिर मां के देहांत की अर्जी लाया, तो शिक्षक ने पूछ ही लिया कि छुट्टी तो मिल जाएगी, किन्तु तुम्हारे माता-पिता कितने हैं? बच्चे का उत्तर था— ‘बस एक मां-एक बाप।’ ‘किन्तु इससे अधिक तो मर चुके।’ बच्चे ने तपाक से कहा— ‘सर, वो भी सही थे।
Divyanshu Pathak
भाव शरीर में पैदा नहीं होते। बुद्धि में पैदा नहीं होते। मन में उत्पन्न होते हैं मन की चंचलता के कारण प्रतिक्षण बदलते चले जाते हैं। एक ही तरह के भाव जब बार-बार उठते हैं अथवा लम्बी अवघि तक वर्तमान रहते हैं तब भावना का रूप ले लेते हैं। नित्य स्वाध्याय के पीछे भावनाओं को पैदा करने की अवधारणा ही है। :💕👨 भावनाओं के लिए एक अच्छी कहावत है। मन चंगा तो कठोती में गंगा। जो कुछ घटित होता है, उसमें भाव क्रिया का बड़ा योग रहता है। कुन्ती ने एक बार कृष्ण से पूछा कि पाण्डव जब जुए में सब कुछ हार रहे थे, तब तुमने उन को क्यों नहीं बचाया। क्यों उनको वनों में भटकना पड़ा? तुमने द्रोपदी की ही सहायता की। : कृष्ण ने कहा-बुआजी किसी भी पाण्डव ने मुझे याद ही नहीं किया। द्रोपदी ने किया और मैं आ गया। द्रोपदी ने भी द्वारका वाले को बुलाया तो आने मेे देर लगी। घट-घट वासी को बुलाती तो भीतर ही बैठा था। तुरन्त आ जाता। अर्थ
Divyanshu Pathak
तुम शब्द बन कर मुझमें आये दिल में मौन बन कर धर गए ! उमड़ते घुमड़ते ज़ज़्बात तुमने प्यार से समेंटे और तन्हा कर गए ! मैं तो मुख़ातिब हूँ फ़ितरते इश्क़ से दर्द भी मेरे दामन में खुशी भर गए ! हश्र तो उन हबीबों का पूछिए "पाठक" जिनके ख़्वावो को हुश्नेजन झूठा कर गए ! Good evening💕👨 🍨🍧🍫🍉🍉☕☕☕☕☕ : आज की शाम उन तमाम आशिकों के नाम जो अक़्सर गाते है..... हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गए ! ख़्वाब जो देखे थे सब वो ढह गए ! वो जालिम सिर्फ़ इंडेने की गैस निकली हम सिलेण्डर से बिचारे रह गए ! अब भला मक्ख़न कहाँ से दें तुम्हें