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Devesh Dixit
आश्रम (दोहे) आश्रम अब दिखते नहीं, विद्या का आधार। शिक्षा पद्धति बिक रही, हो कैसे उद्धार।। आश्रम में जो थे गुरू, मिलती उनसे छाँव। जीवन का दें ज्ञान वो, पलट सके वह दांँव।। आश्रम वृद्धों का दिखा, जीवन का यह श्राप। छोड़े जो माँ बाप को, खूब कमाते पाप।। विद्या का सागर बहे, हो आश्रम वो नाथ। ब्रम्ह ज्ञान से हम जुड़ें, सिर पर रख दो हाथ।। कहते हैं सज्जन सभी, जिसमें हो उद्धार। आश्रम वैसे हों सदा, सुंदर सब व्यवहार।। ......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आश्रम #दोहे #nojotohindi आश्रम (दोहे) आश्रम अब दिखते नहीं, विद्या का आधार। शिक्षा पद्धति बिक रही, हो कैसे उद्धार।। आश्रम में जो थे गुरू, मिलती उनसे छाँव।
Sagar singad
गुरुजी का🙌🏻 आश्रम और🙏🏻 माता-पिता🤗 का आशीर्वाद सदा ही साथ देता👳🏼 है पुत्र को ©Sagar singad #Gurupurnima #गुरुजी #का🙌🏻 #आश्रम #और🙏🏻 #माता-#माता_पिता #का #आशीर्वाद #सदा ही साथ देता👳🏼 है पुत्र को
Anuradha T Gautam 6280
Divyanshu Pathak
मेरे प्यारे साथियो आप सभी को 'गुरुपूर्णिमा' की हार्दिक शुभकामनाएं। माता -पिता जीवन में प्रथम गुरु के रूप में पूज्य हैं।वे जीवन देते हैं और जीवन को मूल्यवान बनाने के क्रम में कड़ी बनते हैं। हमारी संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा सबसे प्राचीन और व्यवस्थित है।जीवन के दो पहलू तय किये 1. भौतिक, 2. आध्यात्मिक इन दोनों के विकास के लिए गुरुकुल परिपाठी और आश्रम स्थापित किये गए। भगवान श्री कृष्ण के गुरु संदीपन ऋषि आश्रम व्यवस्था और आध्यात्मिक पहलू की उन्नति के आचार्य थे इसीलिए वे कान्हा को योगेश्वर श्री कृष्ण बना दिये। भगवान राम गुरुकुल परम्परा में प्रशिक्षित किये गए और वे बेहतरीन मर्यादा पुरुष पुरुषोत्तम बनकर प्रतिष्ठित हुए। गुरु और शिष्य परम्परा की ये धरोहर हम आज भी उत्सव और पर्व के रूप में मनाते आ रहे हैं आओ हम उन सभी गुरुओं को नमन करते हैं जिन्होंने समाज और राष्ट्र की उन्नति के साथ जीवन को सहज बनाने में अपना जीवन लगा दिया। मेरे प्यारे साथियो आप सभी को 'गुरुपूर्णिमा' की हार्दिक शुभकामनाएं। माता -पिता जीवन में प्रथम गुरु के रूप में पूज्य हैं।वे जीवन देते हैं और जीवन को मूल्यवान बनाने के क्रम में कड़ी बनते हैं। हमारी संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा सबसे प्राचीन और व्यवस्थित है।जीवन के दो पहलू तय किये 1. भौतिक, 2. आध्यात्मिक इन दोनों के विकास के लिए गुरुकुल परिपाठी और आश्रम स्थापित किये गए। भगवान श्री कृष्ण के गुरु संदीपन ऋषि आश्रम व्यवस्था और आध्यात्मिक उन्नति के आचार्य थे इसीलिए वे कान्हा को योगेश्वर श्री कृष्ण बन
Abhishek Tiwariz
इतने लोगों के होते हुए भी, भीड़ में वो भूखी थी, बेजुबान थी वोह इसलिए , उस से दूर रोटी थी, अपनी मां को जो रोटी ना खिला सका वह, अनाथ -आश्रम,वृद्धा-आश्रम, जा रोटी खिलता है, फ़िर तस्वीरें खिंचवा के, सोशल मीडिया पे चढ़ाता है, दिखावे की दुनियां है साहब, यहां लोग दिखावा करते हैं, अपनों के होते हुए भी अपने, दो वक़्त की रोटी को तरसते हैं Abhishekism 💕 Follow more such stories on @Nojotoapp @Nojotoapp @abhishekism #abhimantra #poem #poet #quote #poeticatma
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि ✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
Brajesh Trivedi
" Spiritual " प्राचीन काल में सामाजिक व्यवस्था के दो स्तंभ थे - वर्ण और आश्रम मनुष्य की प्रकृति-गुण, कर्म और स्वभाव-के आधार पर मानवमात्र के कल्याण के लीये चार आश्रमों की व्यवस्था की गई :- (१) ब्रह्मचर्य, (२) ग्रहस्थ, (३) वानप्रस्थ और (४) संन्यास लेकिन " वृद्धा आश्रम की व्यवस्था नही हैं " । ______________ #पृकृति#दर्शन#सत्य#अनुभव
Tàñúj
ख़ूबसूरत एक बात हमेशा याद रखना ! मंदिर बनाना, मस्जिद बनाना, अनाथ आश्रम बनाना, अस्पताल बनाना, गुरुद्वारा बनाना, चर्च बनाना, स्कूल बनाना पर कभी वृद्धा आश्रम मत बनाना। अपने माता पिता को हमेशा दिल से लगाकर रखना। khubsurat line
Rehan Fazal
"वृद्ध और आश्रम" जिन्दगी के हर मोड़ पर उनको ख्वाब बदलते देखा है, वो ज़रा ज़ईफ(बूढ़े)क्या हुए उनके औलाद बदलते देखा है। खर्च कर दी जिसने जिंदगी और उम्र भर की कमाई, कभी मालिक की घुड़कियां सुनते, कहीं मंदिर-मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठ बिलखते उस भगवान को देखा है। आश्रम के दरवाजे पर Benz, Audi, Skoda जैसी कार रुकते भी देखा है, व्यापार के लोभ में ज़िंदा लाशों को जलते देखा है। सच कहूं, इंसान रूपी संतानों को हैवान बदलते देखा है, ज़रा ज़ईफ क्या हुए उनकी औलाद बदलते देखा है। -Rehan Fazal....
Dheer
#OpenPoetry बेटे ने रुलायी है वृद्धा आश्रम को भगायी है वृद्धा। मन में सुकून है फिर भी दिल में खून है। दो दिन के रिश्ते के खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा। ख़ुशी में साथी को करके दिल से रोया वो खुद भी है क्योंकि वो बुजदिल भी है। सोच दिल को सता रही है माँ ये वक़्त कैसे बिता रही है मन को खुश रखने की खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा। आश्रम को भगायी है वृद्धा।। रो रहा है दिल अब उसका जा रहा है वृद्धा से मिलने उस सख्स की मर्ज़ी के खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा आश्रम को भगायी है वृद्धा। अब तू रो और रो दिल मे ओर खो मन को करके खुश दिल से तू ओर रो। #OpenPoetry Sahiba Sridhar Sobhya Gupta Payal Singh Palvi Chalana Chief of Staff