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Suditi Jha
जिंदगी रेलगाड़ी सी हो गयी है चढ़ना तो सब चाहते है दिल के डिब्बे में बैठना कोई नही चाहता feeling #qsstichonpic2049 #रेलगाड़ी #डिब्बे #yqdidi #yqrz #yqrestzone #yqlove
Jp arya
यदि आप पति हो और कभी एकदम सुबह 4.00 बजे जाग जाओ, और चाय पीने की इच्छा हो जाए, जो कि......स्वाभाविक है, तो आप सोचेंगे कि.....चाय खुद ही बनाऊँ या प्रिय अर्धांगिनी को जगाने का दुस्साहस करूँ.....? दोनों ही स्थितियों में आपको निम्नलिखित भयंकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है... और आप कुछ भी करो, आपको..."चार बातें"...तो सुननी ही है, जो कि वास्तव में 40-50 कम नहीं होती हैं...!! ... ... ● पहली परिस्थिति:--- आपने खुद ही चाय बनाई...!! आपने यदि खुद चाय बना ली, तो सुबह-सुबह ब्रह्म- मुहूर्त में आठ बजे जब भार्या जागेगी तब, आपको सुनना ही है:---- क्या ज़रूरत थी खुद बनाने की, मुझे जगा देते, पूरी पतीली "जला कर", रख दी, और वह "दूध की पतीली" थी, "चाय वाली" नीचे रखी है "दाल भरकर"....!! ... ... विश्लेषण:---- चाय खुद बनाने से पत्नी दुखी हुई / शर्मिंदा हुई / अपने अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ से भयाक्रांत हुई / या कुछ और, आप कभी भी समझ नहीं पाएंगे, दूसरा ये कि......"दूध की पतीली" में "चाय" बनाना तो गुनाह है, लेकिन "चाय की पतीली" में "दाल" भरकर रखी जा सकती है....??😉 ... ... ● दूसरी परिस्थिति:--- आपने पत्नि को चाय बनाने के लिए जगा दिया...!! यदि आपने गलती से भी पत्नी को जगा दिया तो, आप सुनने के लिए तैयार रहिये:---- "मेरी तो किस्मत ही ख़राब है, एक काम नहीं आता इस आदमी को, पिताजी ने जाने क्या देखा था इसमें, आधी रात को चाय चाहिए इन्हें....अभी अभी तो, पीठ सीधी की थी और इनकी फरमाइशें हैं कि ख़त्म ही नहीं हो रही हैं, न दिन देखते हैं, न रात....??😢🤦♀ चाय बनकर, पी कर ख़त्म भी हो जाएगी पर 'श्लोक-सरिता' का प्रवाह अनवरत, अविरल चलता ही रहेगा...!! ... ... ● तीसरी परिस्थिति:--- एक अन्य विचित्र परिस्थिति....!! यदि आप चाय खुद बना रहे हैं.......और शक्कर के डिब्बे में शक्कर आधा चम्मच बची है, तो आपके दिमाग में विचार आएगा ही कि बड़े डिब्बे से निकालकर इसमें टॉप-अप कर देता हूँ, यदि आपने ऐसा किया तो पता है क्या सुनोगे....?? शायद आप सोच रहे होंगे कि, आपने बहुत शाबाशी वाला काम किया, नहीं बल्कि आपको....शर्तिया ये सुनना पड़ेगा -- "किसने कहा था शक्कर निकालने को ? मुझे वह डिब्बा, आज मँजवाना था"😏 ... ... निष्कर्ष:---- संसार में पत्नी की नजरों में पति नाम का जो जीव होता है, उसमे अक्ल का बिल्कुल ही अभाव होता है...!! "सर्व-गुण-संपन्न"......तो उसके "पापा" और भाई होते हैं, और या फिर "वो....वाले-जीजाजी"....??? इसलिए सभी पतिओं को, मेरी सलाह है कि, कभी सुबह-सुबह नींद खुल जाए, तो वापस मुँह ढक कर सो जाएं, उसी में भलाई है...!! #MeraShehar
Er.Shivampandit
#रेल_बनना_मुश्किल.... सड़क हर वक्त भारी रहती है ट्रैफिक जाम हो जाता है.. रेल की पटरियों पर ट्रैफिक नहीं देखा कभी.. रेल तो इक्की दुक्की ही गुजरती है.. ट्रैफिक होगा भी कैसे... पर रेल बनना बड़ा मुश्किल है लोहे के पहिए लगते हैं.. गाड़ियों की तरह नहीं कि एक कील चुभी और हवा निकल गई.. लोहे के पहिए हैं, हवा नहीं हौसले पर चलते हैं.. ख़्वाबों का इंजन लगता है खींचने के लिए... कहानी दर कहानी डिब्बे जुड़ते जाते हैं और रेल लंबी हो जाती है.. शुरुआत ख़्वाब करते हैं, पर राह में जुटाए अनुभव के डिब्बे रेल को पूरा करते हैं...!! #रेल #इंजन #इंसान #प्यार #nojoto #Sayari #poem #Story #quotes Bhuvnesh Tiwari Shivangi Mishra Pratibha Tiwari(smile)🙂 Komal Kanujiya Shikha Singh
Abhishek Shukla
मेरी उससे पहली मुलाकात वो अपने एक सहेली के साथ रेलगाड़ी की एक डिब्बे में बैठी हुई घर जा रही थी मैं भी एक दोस्तक साथ स्टेशन पे उसी डिब्बे में आ गया वो हमारी पहली मुलाकात थी, हम एक दूसरे के सामने ही बैठे थे उसकी सहेली और मेरा दोस्त एक दूसरे को पहले से ही जानते थे इस वजह से उनकी आपस मे कोई बात हो रही थी मैं उनकी बात को सुन रहा था उनकी बातों पे मैंने एक कॉमेंट किया जो शायद उसे पसंद नहीं आया और हमारी आपस मे। लड़ाई हो गई और ऐसी दौरान मैने उसका नम्बर ले लिया और यही से शुरू हुआ हमारी बातों और मुलाकातों का दौरा।।। तन्हा दिल 9792931113😔😔
Aman Singh
कोई तुम्हें न बदले उससे बेहतर क्या है, कोई तुम्हें तुम हीं रहने दे उससे बेहतर क्या है !! उसे आईलाइनर पसंद था, मुझे काजल। वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी, और मैं अदरक की चाय पे। उसे नाइट क्लब पसंद थे, मुझे रात की शांत सड़कें। उसे शांत लोग मरे हुए लगते थे। मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद था। राइटर बोरिंग लगते थे उसे, पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता। वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में शॉपिंग के सपने देखती थी, मैं असम चाय के बागानों में खोना चाहता था। मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था। उसकी बातों में महँगे शहर थे, और मेरा तो पूरा श
Anil Siwach
Anil Siwach
Sumit Chourey
डाक के उस लाल डिब्बे मे जब बारिश की पहली बूंद गयी तो डिब्बे ने पूछा तुम यहाँ क्यो आई हो यहाँ तो अब कोई नही आता...,बूँद ने मासूमियत से कहा अब मेरे लिए भी कौन अपनी हथेली फैलाता है....!! मेरी अधूरी कहानी....!! ये वो बीते दिनो की बीती बाते...!!
Aditya Rai
Neha Mittal