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TARUN KUMAR VIMAL

जब आप एक ही #महजब मे #विश्वास करते हो, तो उसको सर्व #सक्तिशाली मानते हो, यदि आप #संसार के सभी मजहब पढ़ते हो, तो आप #प्रकृति को सक्तिशाली मानते हो, क्योकि #दुनिया के सभी महजब प्रकृति के #अनुसार ही बनाये गये है #tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal #Love

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जब आप एक ही #महजब मे #विश्वास करते हो, तो उसको सर्व #सक्तिशाली मानते हो, 
यदि आप #संसार के सभी मजहब पढ़ते हो,
तो आप #प्रकृति को सक्तिशाली मानते हो, 
क्योकि #दुनिया के सभी महजब प्रकृति के #अनुसार ही बनाये गये है 
#tarun_kumar_vimal जब आप एक ही #महजब मे #विश्वास करते हो, तो उसको सर्व #सक्तिशाली मानते हो, 
यदि आप #संसार के सभी मजहब पढ़ते हो,
तो आप #प्रकृति को सक्तिशाली मानते हो, 
क्योकि #दुनिया के सभी महजब प्रकृति के #अनुसार ही बनाये गये है 
#tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal #love

piyush arora

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इतनी मेहनत कर लो की जिससे आप चिजे आपने स्वाद के अनुसार खरिद सको अपने बजट के अनुसार नही.!

....mere vichar

piyush arora

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इतनी मेहनत कर लो की जिससे आप चिजे आपने स्वाद के अनुसार खरिद सको अपने बजट के अनुसार नही.!

....mere vichar

vaibhavdubey2312

“दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।” #Quote

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“दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक

 वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को

 बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के

 अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।” “दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।”

Inderpal Nayak Shyodanpura

नमक स्वाद अनुसार।
अकड औकात अनुसार।

अद्वैतवेदान्तसमीक्षा

पाप एवं पूण्य की शास्त्रीय परिभाषा

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दृष्टांत सहित शास्त्रों के संकेत

1. पुण्य का अवसर खो देना ही पाप है 

भारतीय षड्दर्शनों के पूर्वमीमांसा दर्शन के अनुसार भी संध्या, नित्यअग्निहोत्र आदि नित्य कर्मों का पूण्य नहीं लगता  परंतु संध्याकाल में संध्या आदि नहीं करने (ईश्वर का चिंतन छोड़कर प्रपंच का चिंतन करने)से पाप जरूर लगता है।
यहूदी धर्म में तालमुद ग्रंथ अनुसार भी  ईश्वर नहीं पूछेगा की  पाप क्या क्या किया है अपितु पता करेगा कि पूण्य क्या क्या नहीं किया अर्थात पूण्य के कितने अवसर गवां दिए उनका ही दंड देगा।

2.स्वस्थता का लक्षण ("मैं शरीर हुँ "इस भ्रम की निवृत्ति )

आयुर्वेद के अनुसार भी तनाव रहित शरीर इतना हल्का होता है कि शरीर का पता ही नही चलता ,को ही स्वास्थ्य माना गया है क्योंकि पैर में काटा चुभने पर पैर का एवं शिरदर्द होने पर शिर का पता चलता है। एवं दार्शनिकों के अनुसार तो व्यक्ति को मोक्ष जो व्यक्ति की वास्तविक अवस्था मानी गई है उसमें शरीर के साथ तादात्म्य  किसी के भी द्वारा माना ही नही  गया है। और तो और चार्वाक् दर्शन में भी शरीर छूटने को ही मोक्ष मानने से उपरोक्त लक्षण उनके सिद्धान्त में भी घटता है । पाप एवं पूण्य की शास्त्रीय परिभाषा

रघुनंदन पौत्र राज

#असली ज्ञान


ज़िन्दगी में मौसम के अनुसार बदलते और समय के अनुसार बढ़ते जाइये।

क्योंकि,

यहाँ रावण से भी ज्यादा चेहरे रखने वाले आपको खाने के लिए तैयार बैठे हैं....।


🙏🙏 #बेफिक्र_ज़िन्दगी

Ridhi Saxena

poemtruth

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जानती हूं....
अंत मेरा भी है
मेरे अस्तित्व का भी है
बस जो पल मेरे है 
जो अभी है
उन्हें भरपूर जीना है
उन्हें दुख या खेद में बर्बाद नही करना है
हर लम्हा महसूस कर गलत ओर सही 
की परिभाषा अपने अनुसार तोल कर
उसके अनुसार जीना है
हर हवा को हर झोके को
आत्मा को संतुष्ट कर 
जीना है
जानती हूं 
अंत मेरा भी है.... #poem#truth

Rounak

#Happiness

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दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है। #Happiness

Ankit Bahuguna

#Change #my thought

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Trust me “दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।” #change #my thought
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