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Best दफ्तर Shayari, Status, Quotes, Stories

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Kalpana Srivastava

#दफ्तर Alpha_Infinity Poonam vineetapanchal kittu indu singh

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मेरे हुजूर को थोड़ा सा 
गुरूर आ रहा है ,
मेरा साथ पाकर थोड़ा
सुरूर छा रहा है ,
थोड़ा सा होश में तो आइए जनाब 
दफ्तर जाने का वक्त बीता जा रहा है।
🤣🤣🤣🤣

©Kalpana Srivastava #दफ्तर Alpha_Infinity Poonam vineetapanchal kittu indu singh

कवि मनोज कुमार मंजू

जब यौवन घनघोर निराशाओं में डूबा रहता है|
दफ्तर के चक्कर दुनिया के ताने सहता रहता है||
कोई युवा बेवशी में जब राह भटकने लगता है|
तब कवि हृदय हुकूमत के प्रति जहर उगलने लगता है||

©कवि मनोज कुमार मंजू #यौवन 
#निराशा 
#दफ्तर 
#दुनिया
#ताने 
#युवा 
#बेबसी 
#मनोज_कुमार_मंजू

Aditya Fogat

आंखों पे बंधी पट्टी हमारी भी खुली 
जिनसे समझ बैठे से दोस्ती ,
उनसे तो सिर्फ पहचान निकली 
पर आखिर सच्चाई तो दफ्तर छोड़ने पर पता लगी । #दोस्ती #दफ्तर

Dr Jayanti Pandey

यह हर दफ्तर का हिस्सा है बस नौ से पांच का क़िस्सा है। जो दफ्तर में अकड़े अकड़े से हैं वो अपनी ही कुंठा में जकड़े से हैं। कुछ मकरंद सूंघते "भंवरे" हैं हर फूल फूल पर "ठहरे" हैं।

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यह हर दफ्तर का हिस्सा है 
बस नौ से पांच का क़िस्सा है।



 यह हर दफ्तर का हिस्सा है 
बस नौ से पांच का क़िस्सा है।

जो दफ्तर में अकड़े अकड़े से हैं 
वो अपनी ही कुंठा में जकड़े से हैं।

कुछ मकरंद सूंघते "भंवरे" हैं 
हर फूल फूल पर "ठहरे"  हैं।

Aashish Vyas

जासूस पत्नी बेचारा पति WOD #wife #पत्नी nojoto #nojotohindi #writer ##hindiwriter #Poet #poemwriter #aashishvyas #CTL #Pyar #Love #kavi #kavita #Poet #poem #Poetry #poemwriter

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हर कर्म में मेरे उसे संदेह का आभाश है
दिन के उजाले से रात के अंधेरे तक
मेरे चेहरे से लेकर दफ्तर बैग तक शायद
उसे किसी अनजान चीज़ की तलाश है

मेडम का दफ्तर से आते ही पाकघर को निहारना
गंदे बर्तन और चाय के पतीले का
बीते आंठ घंटे की कहानी को
क्षणों में चलचित्र की भांति विस्तार से दिखाना

कदम बढ़ाकर उसका
मुख्य द्वार से होकर गुजरना
जूतों और चप्पलों का अपने
भ्रमण की कहानी दर्शाना

यही तक काफी होता तो ठीक था पर अब
उसका कचरा पात्र को पैनी नज़र से टटोलना
मैनें क्या क्या खाया क्या क्या फैका
उसका ब्यौरा कचरापात्र से निकलवाना

मैं भी किसी व्योमकेश से कम नहीं हूँ
हर बात को उसकी भली भांति जानता हूँ
अपने हर जुर्म के लिए, पकड़ा जाऊ इसलिए
हर जुर्म के बाद सबूत अवश्य छोड़ता हूँ

वो दिल की अच्छी है इसका आभाश है मुझे
हर टोक में मंद मंद हँसी का आभाश है मुझे
गर में गलतियाँ ना करूँ तो रिश्ते में रह ही क्या जाएगा
और किसी दिन वो मुझे ना टोके
तो शायद मेरा ये दिल धड़कना रुक जाएगा
तो शायद मेरा ये दिल धड़कना रुक जाएगा जासूस पत्नी बेचारा पति
#WOD #WIFE #पत्नी #nojoto #nojotohindi #writer ##hindiwriter #poet #poemwriter #aashishvyas #CTL  
#pyar #love #kavi #kavita #poet #poem #poetry #poemwriter

Brijendra Dubey 'Bawra,

#कर्तव्यनिष्ठा मेरे शेरो- शायरी और काव्य रचनाओं को मिले आप के अपार स्नेह की बदौलत आज हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे अपनी प्रथम गद्य-रचना शीर्षक है #कर्तव्यनिष्ठा यही तकरीबन आज से सात-आठ वर्ष पहले की बात है, पिताजी सुबह स्नान करते ही एक कागज़ात हमें दिये और बोले ये ले जाओ, इस पर मिश्रा जी से दस्तख़त करवाना है और खुद पूजा की थाल लेकर मंदिर की तरफ चले गये, मैं भी कागज समेटा और बाइक लेकर मिश्रा जी के घर की तरफ चल दिया, मिश्रा जी हमारे तहसील के अधिकारी थे और पिता जी के मित्र भी थे तो हमे पता था कि इनके

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"कर्तव्यनिष्ठा'' 
शीर्षक पूरी कहानी नीचे पढ़े......
@Brijendra 'Bawra, #NojotoQuote #कर्तव्यनिष्ठा
मेरे शेरो- शायरी और काव्य रचनाओं को मिले आप के अपार स्नेह की बदौलत आज हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे अपनी प्रथम गद्य-रचना शीर्षक है #कर्तव्यनिष्ठा

यही तकरीबन आज से सात-आठ वर्ष पहले की बात है, पिताजी सुबह स्नान करते ही एक कागज़ात हमें दिये और बोले ये ले जाओ, इस पर मिश्रा जी से दस्तख़त करवाना है और खुद पूजा की थाल लेकर मंदिर की तरफ चले गये,
मैं भी कागज समेटा और बाइक लेकर मिश्रा जी के घर की तरफ चल दिया, मिश्रा जी हमारे तहसील के अधिकारी थे और पिता जी के मित्र भी थे तो हमे पता था कि इनके

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha फिल्म ‘तीसरी कसम’ जब मैंने देखी थी, तब मैं उसे ठीक से समझ नहीं पाया था। फिल्म एक बैलगाड़ी चलाने वाले की नौजवान की कहानी है। एक बार वो एक लड़की को अपनी गाड़ी में बिठाता है। रास्ते भर वो उसे अपनी कहानियां सुनाता है। बैलगाड़ी हांकते हुए वो कई यादों से गुज़रता है। वो याद करता है कि कैसे उसने एक बार एक चोर को अपनी गाड़ी में बिठाया था और फंस गया था। तब उसने कसम खाई थी कि कभी किसी चोर को अपनी गाड़ी में नहीं बिठाएगा। फिर एक बार वो बांस गाड़ी में लाद कर ले जा रहा होता है, अचानक उस

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Story of Sanjay Sinha 
 फिल्म ‘तीसरी कसम’ जब मैंने देखी थी, तब मैं उसे ठीक से समझ नहीं पाया था। फिल्म एक बैलगाड़ी चलाने वाले की नौजवान की कहानी है। एक बार वो एक लड़की को अपनी गाड़ी में बिठाता है। रास्ते भर वो उसे अपनी कहानियां सुनाता है। बैलगाड़ी हांकते हुए वो कई यादों से गुज़रता है। वो याद करता है कि कैसे उसने एक बार एक चोर को अपनी गाड़ी में बिठाया था और फंस गया था। तब उसने कसम खाई थी कि कभी किसी चोर को अपनी गाड़ी में नहीं बिठाएगा। फिर एक बार वो बांस गाड़ी में लाद कर ले जा रहा होता है, अचानक उस

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है। मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर कोई और सज़ा नहीं। संभव हुआ तो उन्हें वो कहानी भी सुनाऊंगा जिसे कुछ साल पहले मैंने जिया था। दिल्ली के पासपोर्ट दफ्तर में कार्यरत उस कर्मचारी की कहानी सुनाऊंगा,

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Story of Sanjay Sinha 
 मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है।
मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर कोई और सज़ा नहीं। संभव हुआ तो उन्हें वो कहानी भी सुनाऊंगा जिसे कुछ साल पहले मैंने जिया था। दिल्ली के पासपोर्ट दफ्तर में कार्यरत उस कर्मचारी की कहानी सुनाऊंगा,

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha आज जब आप ये पोस्ट पढ़ रहे होंगे, तब तक मैं कोलकाता के लिए उड़ चुका होऊंगा। एक तो मैं वैसे ही कम सोता हूं, पर कोलकाता जाने के लिए मैं आज सुबह और जल्दी जग गया। मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है।मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर को

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Story of Sanjay Sinha 
 आज जब आप ये पोस्ट पढ़ रहे होंगे, तब तक मैं कोलकाता के लिए उड़ चुका होऊंगा। एक तो मैं वैसे ही कम सोता हूं, पर कोलकाता जाने के लिए मैं आज सुबह और जल्दी जग गया।
मुझे कोलकाता बुलाया गया है बोलने के लिए। अपनी कहानी सुनाने के लिए। वहां माइक होगा, स्पीकर होंगे, लोग होंगे। मैं ढेरों लोगों को अपनी कहानी सुनाऊंगा। मैं सभी को ये बताऊंगा कि इस संसार में कोई भी अकेला नहीं रहना चाहता। हर किसी एक को किसी न किसी का साथ चाहिए होता है।मैं लोगों को बताऊंगा कि इस संसार मे तन्हाई से बढ़ कर को

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha ऐसा हो ही नहीं सकता है कि बैंगन के भर्ता से दामाद के स्वागत वाली कहानी मैंने आपको पहले न सुनाई हो। पर जब कभी मैं कहीं खाने जाता हूं या कोई मेरे घर खाने आता है तो मुझे ये वाली कहानी ज़रुर याद आ जाती है। मुझे लग रहा है कि ये कहानी मैंने आपको पहले भी सुनाई है, लेकिन कहानी का मर्म इतना बढ़िया है कि दुबारा सुन लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं। एक बार एक दामाद शादी के बाद पहली बार ससुराल गया। वहां सास ने दामाद के स्वागत में कई तरह के व्यंजन बनाए। मटर-पनीर की सब्जी, आलू-गोभी दम,

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Story of Sanjay Sinha 
 ऐसा हो ही नहीं सकता है कि बैंगन के भर्ता से दामाद के स्वागत वाली कहानी मैंने आपको पहले न सुनाई हो। पर जब कभी मैं कहीं खाने जाता हूं या कोई मेरे घर खाने आता है तो मुझे ये वाली कहानी ज़रुर याद आ जाती है। मुझे लग रहा है कि ये कहानी मैंने आपको पहले भी सुनाई है, लेकिन कहानी का मर्म इतना बढ़िया है कि दुबारा सुन लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं। एक बार एक दामाद शादी के बाद पहली बार ससुराल गया। वहां सास ने दामाद के स्वागत में कई तरह के व्यंजन बनाए। मटर-पनीर की सब्जी, आलू-गोभी दम,
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