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Shalini Nigam

~मेहनत से पेट भरता,
~तिजोरी नहीं,

©Shalini Nigam #मेहनत #तिजोरी #yqdidi #yqbaba #Love #Life #Nojoto #Shayari

puja udeshi

#Body #तिजोरी #pujaudeshi Self Made Shayar Rajesh rajput KAILASH RATHOD Sathish Kumar Avdhesh Rajpoot Tsbist SIDDHARTH.SHENDE.sid Sandip Sk vkyadav Niaz (Harf) Mr RN SINGH sonam वंदना .... Jashvant Bhardwaj Only Budana Mili Saha heartlessrj1297 Anshu writer Arshad Siddiqui

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Suresh Kumar

Ashok Topno

Anamika Nautiyal

अपनी यादों की तिजोरी कभी खोल कर देखो पिछली भूली हुई सब बातें आँखों के सामने आने लगती हैं। कुछ यार दोस्त जो अब साथ नहीं उनकी बातें बचपन में बिताए हुए लम्हे सब आँखों के सामने घूमने लगते हैं। लगता है मानो हम उसी दुनिया में वापस चले गए हो कुछ पुरानी यादें कुछ सामान जो हमारे पास पड़ा रहता है केवल यादों के रूप में। कभी उसे यूँ ही खँगालें, उस खुशबू को महसूस करें, जो दफ़न है कई परतों के अंदर। कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ जो हमारे साथ गुज़री हुई होती हैं, जो शायद नहीं होनी चाहिए, कभी फुर्सत मे

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 कुछ अनकही....                 अपनी यादों की तिजोरी कभी खोल कर देखो पिछली भूली हुई सब बातें आँखों के सामने आने लगती हैं। कुछ यार दोस्त जो अब साथ नहीं उनकी बातें बचपन में बिताए हुए लम्हे सब आँखों के सामने घूमने लगते हैं।
लगता है मानो हम उसी दुनिया में वापस चले गए हो कुछ पुरानी यादें कुछ सामान जो हमारे पास पड़ा रहता है केवल यादों के रूप में। कभी उसे यूँ ही खँगालें, उस खुशबू को महसूस करें, जो दफ़न है कई परतों के अंदर।

कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ जो हमारे साथ गुज़री हुई होती हैं, जो शायद नहीं होनी चाहिए, कभी फुर्सत मे

Akki Agarwal

nojoto#nojotowriters#mywords#Poetry आज फिर मै उड़ना चाहती हूं अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हूं निडर अपने फैसले लेना चाहती हूं कब तलक रखू बंद इन्हें तिजोरी में अब यह भी फडफड़ा रहे तिजोरी में बाहर आ अपने पंख फैलाना चाहती हूं आज फिर मै उड़ना चाहती हूं

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#2YearsOfNojoto आज फिर मै उड़ना चाहती हूं
अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हूं
निडर अपने फैसले लेना चाहती हूं
कब तलक रखू बंद इन्हें तिजोरी में
अब यह भी फडफड़ा रहे तिजोरी में
बाहर आ अपने पंख फैलाना चाहती हूं
आज फिर मै उड़ना चाहती हूं
बेखौफ सपनों को मुकम्मल करना चाहती हूं
अपने सपनों की बेचैनी खत्म कर
इन्हें आसमान से मिलाना चाहती हूं
आज अपने सपनों को मुकाम देना चाहती हूं 
मंजिल अपने सपनों की पाना चाहती हूं
एक उड़ान अपनी भरना चाहती हूं
आज फिर में उड़ना चाहती हूं
नहीं डरना अब ऊंचाइयों से
अपने पांव की बेचैनी खत्म कर
बेड़ियों को तोड़ना चाहती हूं
आज फिर मैं उड़ना चाहती हूं #nojoto#nojotowriters#mywords#poetry
आज फिर मै उड़ना चाहती हूं
अपने सपनों को उड़ान देना चाहती हूं
निडर अपने फैसले लेना चाहती हूं
कब तलक रखू बंद इन्हें तिजोरी में
अब यह भी फडफड़ा रहे तिजोरी में
बाहर आ अपने पंख फैलाना चाहती हूं
आज फिर मै उड़ना चाहती हूं

Muawiya Zafar Ghazali Mustafai

Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì

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खुदा से देखो कितना डर रहा हूं मै,
तिजोरी जेब दोनों भर रहा हूं मै,

मेरा भाई भूखा है तीसरे दिन का,
ओर चोथी बार उमरा कर रहा हूं मै,

नमाज़ी हूं में पांचों वक़्त का ,
मगर झूठा कारोबार कर रहा हूं मै,

मस्जिद संगे मर्मर की बना कर,
पड़ोसी को मगर तंग कर रहा हूं मै,

इमान की हिफाज़त मेरा मकसद,
ग़ैर–इमान वालो के तरीको पर मगर चल रहा हूं मै,

विरासत बहन की चुपके से खाकर,
माफ़ी की इल्तेजा कर रहा हूं मै,

ये चाहता हूं कि गैर–इमान वाले हो मुसलमान,
शरीयत से मगर खुद डर रहा हूं मै,

सुन्नत के खिलाफ सारे काम करके,
मगर नबी से मोहब्बत का दम भर रहा हूं में,

मुझे अल्लाह से उम्मीद ए रहमत,
मगर दिन रात चोरी कर रहा हूं में,

खुदा से देखो कितना डर रहा हूं मै,
तिजोरी जेब दोनों भर रहा हूं मै
#Gazali #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì

Annu Bhayana

#हीरा और #काँच एक राजा का दरबार लगा हुआ था, क्योंकि सर्दी का दिन था इसलिये राजा का दरवार खुले मे लगा हुआ था. पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थी .. महाराज के सिंहासन के सामने… एक शाही मेज थी… और उस पर कुछ कीमती चीजें रखी थीं.

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#हीरा और #काँच 
 एक राजा का दरबार लगा हुआ था,
क्योंकि सर्दी का दिन था इसलिये
राजा का दरवार खुले मे लगा हुआ था.
पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थी ..
महाराज के सिंहासन के सामने…
एक शाही मेज थी…
और उस पर कुछ कीमती चीजें रखी थीं.

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