Find the Best धुल Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutधुलाई क्या है, धुलियान पैसेंजर कहां है, धुलवा meaning in hindi, धुलेट का मौसम, धुलना का मतलब,
Anita Najrubhai
धुल की तरह उड़ जाती हु बारिश की तरह गीर जाती हु तेरे इश्क में प्यार ही प्यार है मेरे आंखों का काजल हो तुम मेरे सांस में हवा की लहेर हो तुम मेरी शायरी के प्यारे अल्फाज़ हो तुम ©Anita Najrubhai #Time #धुल
@Devidkurre
चरणों की धूल चरणों का धूल मुझसे हुई क्या भूल जो माथे पर तुझे लगाऊं तो तू क्यों उड़ जाती फुर हे चरणों के धुले पार मै कर पाऊ सभी के आदर्शो का पुल सहज पांव रख के चलेने से उपजे हे धुल फिर क्यु हवा के झोंके मिटा देते हैं तुम्हें फुर चलो कोई बात नहीं मिट गये तेरे धुल बन उठ एक बार और जिससे मै लगा सकु अपने माथे पर उन महानो के चरणो के धुल अब तो बता दो हे चरणों के धुल कि हुआ क्या है छोटी या बड़ी मुझसे भूल #Pooja
Komal Giri Goswami
चरणों की धूल काश मे कह पाता खुद को, आपके चरणो की धुल पर ये तो अपमान होता । कोई आपकी पर्वरिश पर सवाल उठाये ये सहना कहा असान होता । माँ काश मे आपके चरणों की धुल होता । फिर जो चाहे जहा हसते हसते कबूल होता ।। :- कोमल गिरि गोस्वामी #poem #poetry #love #कविता #new #shayari #quotes #stories #shayari #quotes #new #food #cricket #neture #trending #meme #food #माँ #maa #nojotoquotes #nojoto #nojotopoem
राखी रायकवार "khushi"
#OpenPoetry यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , बरसों की यादों को पलों में समेटना था, जो तोड़ना चाहा लमहों को यादों में गांठ पड़ गईं , यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , जो बीत गईं घडियां वापिस ना आएंगी, वो बर्फ की चादर थीं कब की पिघल गईं, यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , बीता वक्त तो हमारी मुट्ठी में कैद था, पर घड़ियां रेत थी पल में फिसल गईं, यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , #OpenPoetry
Ajay Amitabh Suman
लौट के गाँधी आये दिल्ली आज के राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में गांधीजी अगर हिंदुस्तान आते तो उनका अनुभव कैसा होता, इस काल्पनिक लघु कथा में यही दिखाने की कोशिश की गई है. दरअसल ये कहानी आज के राजनैतिक अवसरवादिता पे एक व्ययंग है. 15 अगस्त 2018,
लौट के गाँधी आये दिल्ली आज के राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में गांधीजी अगर हिंदुस्तान आते तो उनका अनुभव कैसा होता, इस काल्पनिक लघु कथा में यही दिखाने की कोशिश की गई है. दरअसल ये कहानी आज के राजनैतिक अवसरवादिता पे एक व्ययंग है. 15 अगस्त 2018,
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