Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best टिकट Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best टिकट Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about रसीदी टिकट क्या है, उड़ानों के टिकट, ने को टिकट, टिकट का मतलब, टिकट का मीनिंग,

  • 19 Followers
  • 152 Stories
    PopularLatestVideo

Ganesh Din Pal

#टिकट वाली बकरी... #जानकारी

read more
mute video

Balwant Mehta

mute video

LOL

पहुँचने के तुम तलक 
वो छः सौ अस्सी रूपए के कई टिकट
जो बरसों से जमा किए हैं
जैसे पाण्डुलिपियां हैं प्रेम की
सोख रखी हैं इन्होंने यादें कई
और वो पल भी जो छलक जाया करते थे
बस के सफर में 
तुमसे झगड़ कर लिए हेडफोन से
तुम्हारा पंसदीदा गीत सुनते हुए
ये सोचते हुए कि मिलूंगा तो
क्या कहूँगा तुम्हें?
या सीधा गले लगा लूँगा तुमको
तुम्हारी इजाजत के बिना!
कितना सुकूं होगा उस पल में
जो गुजरेगा तुम्हारे गेसुओं के साए में
कितना भारी होगा फिर
यूँ मिलकर लौट जाना..
ये टिकट भी जैसे सफर हैं
तुम्हारा और मेरा
सुना है अब टिकट का दाम बढ़ गया है
महँगा हो गया है तुमसे मिलना
प्रेम में डूबे हम दोनों के
भाव भी तो बढ़ गए हैं एक दूसरे के प्रति
फर्क सिर्फ इतना है 
वो खरीदे नहीं जा सकते
अनमोल हैं!!
©KaushalAlmora

 #टिकट #प्रेम 
#love  
#poetry 
#yqpoetry 
#life 
#पांडुलिपी 
#yqdidi

Preeti Karn

सफर अंत होने का अहसास है अब
 न मालूम किसी  दिन टिकट  भेज दे रब ।
        
                                   प्रीति. #टिकट#life#journey#yqbaba#yqdidi

CalmKrishna

.................

©CalmKrishna ये बात याद रखो ।

#हम #यात्री #वापसी #टिकट #जीवन #सच #मृत्यु #मौत

@Devidkurre

वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला #बाबा_नागार्जुन

read more
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है 
उसी की जनवरी छब्बीस 
उसीका पन्द्रह अगस्त है 
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है 
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है 
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है 
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा 
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है 
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है 
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! 
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है 
गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है 
धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं 
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है 
कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! 
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है 
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है 
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है।

#बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

Dr.Laxmi Kant trivedi (lucky)

Train

read more
मेरे दिल के अंदर धकडम पकड़म होई 
कि अब का होई, कि अब का होई, 
जब हम से नजर मिलाई, कहि कोने माँ घुस जाई, इज्जत के  फालूदा अब हम कैसे लैई बचाए
 कि जियरा धकड़म पकडम होई 
जनरल बोगी से काले कोट मै ज़ुल्मी आया, 
तब मैं तो बहुत सकुचाई, और ये भी बहुत घबराया, कि दीन्हा हाथ टिकट पकडाई 
कि जियरा.
उहमरी सकल देख के बोला कहा घूम रहे हो मनडोला, 
जनरल के टिकट संभाले, हऊ एसी मै डेरा डाले, तूमका होई है पक्का जेल
 कि जियरा... Train

Gopal Krishan

टिकट के बहाने.....

read more
टिकट के बहाने गीला हुआ मन आज, 
   कि भीग गई पलके दोनों की टिकट के बहाने, 
         कि दूर हुए गीले शिकवे और मिट गई दूरियाँ मन की, टिकट के बहाने अश्क बनकर बह गया दर्द ।

तेरी याद........ #NojotoQuote टिकट के बहाने.....

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ।।श्री हरिः।। 14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते 'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था। 'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

।।श्री हरिः।।
14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते

'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था।

'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

Himanshu garg

सैकड़ो चेहरे एक दूसरे से अनजान बस स्टॉप पर खड़े हुए
पूछ रहे है कि ये बस कहाँ तक जाएगी
और जाएगी भी तो कब तक पहुंचाएगी
इस जद्दोजहद में एक बस जा चुकी है
कोई ना ये नही कोई दूसरी तो आयगी
लेकिन सच कहूँ तो गलतफहमी में है सारे
कि वो आने वाली बस उन्हें मन्ज़िल से मिलाएगी
किसी अपने की बाहें उन्हें छाती पर लिपटी पाएगी
भूल गए है कि ज़िन्दगी की मंज़िल बस मौत ही तो है
अब ये बस तो बस एक बस स्टॉप पर डेरा जमायेगी
इसी बीच एक बस का हॉर्न बजता है
कंडक्टर चिल्लाता है गन्तव्यो ने नामो को...
फिर क्या एक आपाधापी सी मचती है यात्रियों में
किसी को कोने की सीट चाहिए किसी को आगे की
बमुश्किल 2 मिनट के समय में बस भर जाती है
और ये भीड़ कंडक्टर के चेहरे पर सुकून लाती है
वो भी वहम में जी रहा है शायद अभी तक
वहम कि अब वो भी चैन से घर जाएगा
अपनी कमाई से घर को सजाएगा
बस चन्द घण्टो की ही बात तो है
आखिर वो भी सफर को अंजाम दे पाएगा।
इस ख्याली पुलाब के बीच आवाज आती है टिकट टिकट
और वो काम में लग जाता है।
बस बस चल पड़ती है कई उम्मीद लिए सवारी चढ़ती रहती है
लेकिन मंज़िल तो सबकी वही है फिर चाहे वी ड्राइवर हो या सवार
इसी बीच चालक की आंख लगती है और उसे मंज़िल दिखती है
जी हां बस टकराती है जोरो से और सारे सपने और ख्वाब बस ख्वाब बनकर रह जाते है
लोग खुद को बस बेबस और लाचार पाते है
मौत गले लगाने को आ रही होती है
ऐसे मे कुछ खिड़की तोड़कर जान बचाते है
जो भ8 हो
अब आगे लिखना मुनासिब नही होगा
क्योंकि भला एक कहानी की भी मंज़िल थोड़े ही होती है।
#काफ़िर #story
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile