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Sarfraj Alam Shayri
#दिलों में रहना सीखो जनाब #घरों में तो सब ही रहते हैं ©Sarfraj Alam #दिलों में रहना सीखो जनाब #घरों में तो सब ही रहते हैं
Pankaj Priyam
बुजुर्ग बड़ों की छत्रछाया से, घरों में प्यार है मिलता, पुरातन रीत रस्मों से, नया अधिकार है मिलता। उपेक्षित हों नहीं कोई, कभी आँसू नहीं निकले- बुजुर्गों से ही बच्चों को, सही संस्कार है मिलता।। ©पंकज प्रियम वृद्ध दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, अपने घर के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें, वे घरों की धरोहर हैं। बुजुर्ग दिवस
बुजुर्ग दिवस
read moreshailja ydv
एक बेटी का सवाल क्या जरूरत थी मुझे दो घरों की! जब दोनों घरों के लिए मैं परायी थी!! एक घर कहता है- "बेटी तू परायी है, तुझे पराये घर जाना है।" दूसरा घर कहेगा- "तू तो परायी है पराये घर से आई है!!" बेटी से पूरा परिवार है" ये बात भूल आज समाज ने ये रीत बनाई है। मेरी मान तो बेटी को बस "बेटी"मान इसी में सबकी भलाई है। शैलजा ydv एक बेटी का सवाल
एक बेटी का सवाल
read moreAanart Jha
आज बहुत बारिश हुई मन फिर मचला है जमीन का सीना चीर कर एक अंकुरित फिर फूटा है वो बचपन की नादानी वो घर के सामने से बहता पानी सब याद आया है वो तंग गलियां वो कच्चे मकान वो घरों में बनते बारिश के पकवान घरों की छतों से बहता पानी वो दादी वो नानी की कहानी #बारिश #वक्त #बचपन #कविता
बारिश वक्त बचपन कविता
read moreRAJAL THAKKAR
आखिर किस बात पर घरों में अंगारे बरस रहे थे? आखिर क्यों लोगों के घरों के साथ उनकी जिंदगी भी जल रही थी? आखिर क्यों दो देशों का बंटवारा हो रहा था? आखिर क्यों आजादी के जश्न के लिए मौत की बरसाते हो रही थी? आखिर क्यों हमारे मुल्कों के नामों को बदला जा रहा था? आखिर क्यों यार क्यों????? #akhir_kyu WRITER BY RAJAL THAKKAR 😎 😍😎😍 😘💕 ❤️
#akhir_kyu WRITER BY RAJAL THAKKAR 😎 😍😎😍 😘💕 ❤️
read moreSurya Mathur
घरों की रात फिर देखेंगे पहले ये देखना है..., घरों को सुख देने का इशारा कौन करता है..., कोई मौसम हो, सुख दुख में गुजारा कौन करता है..., परिंदों की तरह सब कुछ गवारा कौन करता है..., #nojoto #good #mrng #frnds
abhisri095
【मुफ्लिशी】 #NojotoQuote असल जिंदगी का नायाब चेहरा जब से जागा हूँ, सोया नही लगता मैं खुशनसीबी से,मुफ्लिशी में मुफ्लिशी नही लगता।। चरागे देहलीज़ पर जलाये रखना घरों में अँधेरा अच्छा नहीं लगता और जहाँ से लौटा खली हाथ था मैं
असल जिंदगी का नायाब चेहरा जब से जागा हूँ, सोया नही लगता मैं खुशनसीबी से,मुफ्लिशी में मुफ्लिशी नही लगता।। चरागे देहलीज़ पर जलाये रखना घरों में अँधेरा अच्छा नहीं लगता और जहाँ से लौटा खली हाथ था मैं
read morePreeti Singh rajput
काश इस दिवाली काश इस दिवाली कुछ ऐसा हो जाये की हम उन घरों तक रोशनी पहुंचा सके जिन घरों ने आज तक अंधेरों की सिवा कुछ नही देखा।