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Prabhat Kumar
महका दूँगा आज की रात तुम्हारी ज़िन्दगी गुलाबों से करूँगा तुमसे इतना प्यार मुस्कुराएगा तुम्हारा मन बार-बार रंग-बिरंगे गुलाबों से सजाऊँगा ज़िन्दगी हम आज की रात बहुत ख़ूबसूरत है अपनी ये आज की रात हमारी तुम्हारी मिलन की कितनी पुरानी है ये आज की रात ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
उनकी ख़ुशबू ही कुछ ऐसी थी उनके दीवाने हम हो गए थे भूलकर सारी बातें उनके पीछे हो चले थे उनको भी कुछ समझ ना आया हम क्यों हो रहे हैं उनके दीवाने हमको तो लग रहा था सदियों से है उनका हमारा ये रिश्ता बातें पुरानी याद करने की कोशिश मैं करता रहा पर कुछ भी याद मुझको ना आया न जाने क्या राज़ था क्यों मैं उनका दीवाना हो रहा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
दूर बहुत दूर चले गए सब छोड़ कर मुझको तन्हा अकेला मैं यहाँ से कहीं जा ना सका तन्हा अकेला यहीं पर पड़ा रहा इंतज़ार बस इंतज़ार कर रहा हूँ कोई आएगा फिर पास मेरे मेरे छांव में बैठकर कुछ पल आराम फरमाएगा मेरे डालों से लिपटकर खेलेगा फल खाने को मुझ पर एकाद पत्थर फिर से फेंकेगा वो दिन बहुत जल्द फिर आएगा प्रकृति फिर से हरा भरा हो जाएगा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
रात भर आती रही तेरे भेजे फूलों की ख़ुशबू तन मन मेरा बेकाबू हो रहा था साथ तुम्हारा ख़ोज रहा था दिल कह रहा था चला जाऊँ पास तेरे तू अगर रहती पास मेरे दिल की सारी बातें कह देता तुमसे ये ठंडी हवा का झोंका फिर मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता ये ख़ुशबू फिर मुझे बेकाबू ना करता ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
कितने दिनों के बाद खुली है खिड़की आज मेरे सामने वाली आ रही है उधर से ये कैसी ख़ुशबू मदहोश मुझको करने लगी है चेहरा तो नहीं उसकी परछाई कुछ-कुछ नज़र आने लगी है ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
खो गया है दिल मेरा ना जाने कहाँ है किसी को अगर पता बता देना ज़रा मुझको यहाँ लिख लो मेरा पता जो बता तुम दोगे होठों पर मुस्कान दूँगा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White है कुछ बात पुरानी जानी पहचानी ये कहानी मुश्किल में थी साँसें हमारी प्यार की थी अजब दास्तां छोड़ गए थे सबकुछ जिनके लिए वो लौट कर आई थी पास मेरे करने के लिए प्यार नहीं बस चाहत उनकी इतनी थी मैं छोड़ दूँ ये दुनिया उनके लिए मैं अब भी सोच रहा हूँ क्या उसके दिल की ये बात है या है किसी के लिए उसकी कुर्बानी ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White ज़रूरत है मुझे आपका साथ छोड़िए ना मेरा हाथ ज़िन्दगी में मुस्कुराना चाहता हूँ कुछ पाना चाहता हूँ आप रहेंगे जब साथ मेरे तब ही मैं कुछ पाऊँगा ज़िन्दगी में आगे बढूँगा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
डायरी के बिखरे पन्नों को समेट कर पुरानी यादों में खो गया हूँ चलते चलते जब थक जाता था वृक्षों के नीचे जाकर बैठ जाता था तेज धूप में भी सुकून पाता था उस समय चाय भी कहाँ सड़कों के किनारे मिल पाता था फिर भी दिल को बहुत सुकून आता था आज न जाने वो सुकून कहाँ खो गया है अपने अब अपने कहाँ रहे वक़्त ने सब बर्बाद कर दिया है ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White देख कर ये नज़ारे कुछ याद आ रही है हाँ तेरी याद आ रही है तेरे दूर जाने के बाद तन्हा अकेला रह गया मैं कितनी दुआएं की मैंने उस ख़ुदा से कि एक बार फिर से मिला दे हमको तुमसे उम्मीद अब भी कायम है आज नहीं तो कल फिर मिलेंगे हम और तुम ©Prabhat Kumar #प्रभात