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~anshul
तुम मुझे अपनी आवाज़ में बुलाना मुंकिन हो कि मैं वापस आ जाऊ... क्यूंकि मैं वक्त नहीं जो फिर न आ सकूं!! ©anshul #tum #बुलाना RJ_Keshvi I.A.S Albab Quddusi Priya Pandey jaya_uncaptured दुर्लभ "दर्शन"
Sangam Ki Sargam
मेरे बुलाने पर ही तुम्हारा आना हुआ...... बताओ भला ये भी कोई आना हुआ। ....... #hearts #बुलाना #आना
Sheetal Shekhar
#DaughtersDay बेटी क्यों कहते हो, मुझे पराया 'मां'? तेरे आंगन की फुलवारी हूं। क्यों नहीं है, पापा यह घर मेरा? मेरे बचपन की यह कियारी है। क्यों छोड़ते हो, मेरा साथ भाई? तेरे बचपन की मैं साथी हूं। ऐसे ना छोड़ो अकेला कभी, मुझ पर भी तुम्हारा अधिकार है। जाना तो एक दिन है मुझे मां, पर पराया कह कर न चिढाओ मुझे। रह नहीं सकती हूं तुम बिन, तुम ही तो मेरा पहला परिवार हो। याद करके तुम मुझे रोना नहीं, याद आने पर तुम बुलाना। चली आऊंगी दौड़कर में, तुम चाहे कभी भी बुलाना। दिल की तरह ही घर में जगा देना, मेरा भविष्य हो तुम मुझे सवारना।। -शीतल शेखर "अनमोल रतन होती हैं बेटियां"
SANDEEP SAXENA
बेख़ुदी के मुहल्ले में फ़कीरी का काम रखते हैं दिल ही बेचते हैं जनाब हम दिल ही दाम रख़ते हैं जो आसमा में रहता है उतरता नहीं हमारे आंगन हम हर रात अर्श से फ़र्श तलक बाम रखते हैं मुहब्बत कीजिये तो कायदे भी तो सीखिये हुज़ूर दुआ ख़ुद करते हैं पर असर उसके नाम रखते हैं तक़सीम करता है वो मगर ठीक से नहीं करता ग़रीब को ग़म मिलते हैं अमीर आराम रख़ते छोटी सोच हो जिसकी उसे छोटा मत कहियेगा ऐसे लोग सुना है के छोटे छोटे इन्तकाम रख़ते हैं न बुलाना चाहो बज़्म में तो न बुलाना तुम हमको ऐसे सामयीन ऐसी बज़्में हम सुबह शाम रख़ते हैं Sandeep Saxena #RDV19
Akash Verma
पास बुलाना तो सब जानतें हैं, हम रिश्ते निभाना कम जानते हैं, दूर हैं हम तो हमे दूर ही रहने दो, हम दिल दुखाना बहुत जानते हैं, चलना तो मूझे आजतक आया नहीं, हम रास्तौ पर बस गिरना जानते हैं, मोहब्बत करने को तो करली हमने, हम प्यार निभाना नहीं जानते हैं, लिखना चाहूं तो बस कम ही लिखता हूं, हम खुशियों से जिंदगी बिताना कम जानते हैं, तुम आए और पल-भर में चले गए, हम लोगों को बुलाना कम जानते हैं, अगर तुम गम मे होतो बता देना, हम दिल खुश करना बहुत जानते है, हादसों से भरी है जिंदगी हम सबकी, हम चोटों पर मरहम लगाना कम जानते हैं। Shayari♥️ #nojoto #nojotoenglish #nojotohindi #shayari #poem #love #
Utkarsh Jain
हम तुम्हें चाय में बुलाते हैं तुम हमें कभी पकोड़े में बुलाना हम तुम्हें खुशियों में बुलाएंगे तुम हमें जरूर गम में बुलाना चाय से मोहब्बत
Barnwal Chhoti
मुझे नही आता ये रिश्ते निभाना, नही आता हर किसी को मनाना, नही आता बिखरे दोस्तों को वापस बुलाना, कैसे कह दु की याद नही आती, कैसे कह दु की सब ठीक है, किसी के रूठ जाने से, मुझे मनाना नही आता, किसी के दूर जाने से, पास बुलाना नही आता, सब छूट गए है, वो रिश्ते भी, जिसे बहुत खुशनसीबी समझती थी, सब बिखर स गया है, कुछ पीछे ही रह गया है, तकलीफ होती है,याद भी आती है लेकिन.. मुझे नही आता रिश्ते निभाना बस नही आता। बिखरे दोस्तों को वापस बुलाना। #कुछ #शब्द #नही #है
Suraj Yadav
राही तेरी राहों में कोई सहारा ना होगा 1 दिन वापस लौट के आना ही होगा चल रहा है जो इस संसार की कहानी एक दिन मौत को बुलाना ही होगा 1 दिन मौत को बुलाना ही होगा राही तेरी राहों का कोई सहारा ना हुआ
karan Choudhary
घर की यादें जो हम कभी भी भूल नहीं पाते याद आते हैं घर के सारे रिश्ते नाते.... वो दोस्तों के साथ बिताया हर लम्हा याद आता हैं जब भी याद आता हैं दिल को बहुत तड़पता हैं.... जब भी याद करता हु आँख मेरी भर आती हैं क्या करू घर की याद रोज़ आती हैं... वो माँ के हाथ का खाना ,जो बन गया हैं मेरे लिए एक सपना क्यूंकि अब हमें खाना है मेस का खाना.... दादीजी का लाड प्यार ,लगता था बेशुमार क्यूंकि घर मे पड़ती थी कभी कभी मार.... घर में पापा का बुलाना जैसे हर वक़्त दिल का घबराना.... पहले छोटी बहन के साथ लड़ाई फिर साथ मैं बैठ कर पढाई.... पापा का हर छोटी छोटी पे समझाना मम्मी का हाथ उठाना.... वो दादीजी के हाथ की टमाटर की सब्जी बना देती थी वो जब भी होती थी मेरी मर्ज़ी.... वो मम्मी के हाथ के छोले भठूरे जिनके बिना छुट्टी के दिन थे अधूरे.... वो पापा का रात को मिठाई लाना हमेशा दिल को खुश कर जाना.... वो ताईजी ताऊजी का आवाज़ लगाना जैसा उनका दिल से बुलाना... वो गर्मियों की छुट्टी मैं नानी के घर जाना वरना जाके दूकान पे बैठना.... सुबह सुबह कामवाली की सारे गली मोहल्ले की बाते जैसे हर कोई उसी को आके सारी बाते बताते.... वो बाइक पे घूमना चार दोस्तों के साथ मिल बैठना.... स्कूल मैं हमेशा मस्त रहना टीचर्स के साथ अच्छा व्हायवर बनाना.... रात को आइसक्रीम लाना ओर पुरे परिवार का साथ बैठ के खाना.... तारख मेहता का उल्टा चश्मा देखना ओर फिर पापा के साथ एक ही थाली मैं खाना खाना... मम्मी का यह रिश्ता देखना गुस्से मैं आके मेरा टीवी टीवी का रिमोट फेकना.... कभी कभी घर में अकेले रहना फ़ालतू मैं बैठ के बोर होना.... पापा का घर के बाहर से आवाज़ लगाना दिल को ख़ुशी मिलना.... दादीजी करती थी बालो मैं मालिश याद आती हैं घर की वो बारिश.... बारिश के टाइम गरमा गर्म पकोड़े बनाना और फिर पापा को बुलाना और सबका साथ मैं खाना.... मेहमानो का घर आना उनको बहार से सम्मान दिलाके लाना... जाते जाते उनका पैसे देके जाना और सर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद देना.... #poetry