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स्मृति.... Monika

#यह कविता 2002में लिखी गई, शीर्षक है - #तव स्मृति, अनुकृति हूँ मैं ✍️

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 #यह कविता 2002में लिखी गई, शीर्षक है -
#तव स्मृति, अनुकृति हूँ मैं ✍️

स्मृति.... Monika

Happy Birthday #Mahatma Gandhi ji

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हे महात्मा !                                                                                  तुम महान आत्मा,                                                                        सत्य, अहिंसा ही थे तव जीवन आधार,                                          जिनसे करते थे तुम असीम प्रेम व्यवहार,                                        'करो या मरो 'की भावना का देते थे उदगार |                                   और सफल होते गए सदा, कभी न मानी हार,                                   भारत माँ की रक्षा हेतु सहे अगणित पीड़ा -प्रहार,                           होकर घृणा से विलग जग में बाँटा प्यार ही प्यार |                                           एक ही आदर्श था जीवन में "सादा जीवन  उच्च  विचार,                    थी एक ही अभिलाषा "राम -राज्य "का स्वप्न होवें साकार,                 यही अभिलाषा लिए ह्रदय में तज दिया निज जीवन प्राण |                हे भारत के योगी किशन !अब कब लोगे भारत में अवतार,                   कर रही जनता जनार्दन बस                                                            तव आगमन का इंतजार, बस तव आगमन का इंतजार |||| Happy Birthday #Mahatma Gandhi ji

Poetry with Avdhesh Kanojia

हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।।

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मेरे शिक्षक हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें।
सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।।

शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया।
जीवन का सच्चा अर्थ दिया।।

मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप।
तप की सजीव मूरत हैं आप।।

पद कमल आपके नमन करूँ।
तव ज्ञान दान से झोली भरूँ।।

मुझ ज्ञानक्षीण पर करी कृपा।
प्रगटाया वह जो मुझमे छिपा।।

जैसे इक क्षीर में उत्पाद बहुत।
माखन दधि और मलाई घृत।।

वैसे एक आप में गुण हैं अनेक।
तव चरणों का करूँ अभिषेक।।

रहे वरद हस्त मेरे सिर पर।
इतनी करुणा करना मुझ पर।।

आज्ञा हो साधारण या विशेष।
प्रस्तुत है तव सेवक अवधेश।।

✍️अवधेश कनौजिया हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें।
सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।।

शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया।
जीवन का सच्चा अर्थ दिया।।

मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप।
तप की सजीव मूरत हैं आप।।

Poetry with Avdhesh Kanojia

गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी

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गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहरण।
जय जय असुरारी जय भयहारी 
जय मंगलमय कल्याणकरण।।

जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
परम शांत जय गणनायक।
अतुलनीय छवि भालचन्द्र जय
स्कलपूज्य जय वरदायक।।

अभय प्रदाता जय सुख दाता
जय परब्रह्म जय अविनाशी ।
परम शान्त सुखराशि गजानन
एकदंत सब घट वासी।।

जय चर्चित चंदन प्रभु तव वन्दन
धूम्रवर्ण जय पाप शमन।
सकल जीव तव सुत शिवनंदन
चरण कमल शत कोटि नमन।।

✍️अवधेश कनौजिया© गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहरण।
जय जय असुरारी जय भयहारी 
जय मंगलमय कल्याणकरण।।

जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी

Poetry with Avdhesh Kanojia

#श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण रसामृत ..................... प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल। प्रभु तव चरण मम वन्दन हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।

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Happy Janmashtami हे कृष्णा श्रीकृष्ण रसामृत

प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तुम वर्षा हम चातक
प्रभु तुम ही सबके पालक।

बस जाऊँ मैं हे मुरारी चरणों में आपके
हूँ सन्मुख नतमस्तक आपके प्रताप के।
रंग चुका हूँ रंग में मैं हे माधव आपके
चिन्ह मुझपे दिखते हैं आपकी ही छाप के।
तुम सम दाता नहीं कोई भी
मैं तव द्वारे एक याचक।
प्रभु तुम वर्षा हम चातक
प्रभु तुम ही सबके पालक।

प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तुम वर्षा हम चातक
प्रभु तुम ही सबके पालक।

आपमें में राधा श्याम आप भी हो राधा में
आप सर्वमुक्त प्रभु बंधते नहीं बाधा में।
आप पूर्ण पुरुषोत्तम हर विधि हूँ आधा मैं
पर सुध बुध खो जाती है नाम कृष्ण राधा में।
है नाम तव एक सायक
मोह माया मुक्ति दायक।
प्रभु तुम वर्षा हम चातक
प्रभु तुम ही सबके पालक।

प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तुम वर्षा हम चातक
प्रभु तुम ही सबके पालक। #श्रीकृष्ण 
श्रीकृष्ण रसामृत
.....................

प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।
प्रभु तव चरण मम वन्दन
हे प्रभु पुरुषोत्तम गोपाल।

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