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@..kajal..@

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #romance #कविता

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river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #कविता

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सामने तू, पीछे मैं और
बीच दोनों के, स्वरलहरियां ध्वनियों की, 
करटेन-सा लहराकर मोड़ती अपना रूख उधर, 
वही शहर,
वो पुराना सिनमा हॉल शहर का
'मित्रो टॉकीज!'
सामने, जीने से चढ़कर 'संगीत सदन'
के रेलिंग पर
'गुरुजी' के सबक के इंतजार में खड़े हम
और हमें तकते राहगीरों की बातें अफसानें, घंटों बेखबर हम!
किस तरह, दरम्यान हमारे सिन्क्रो का वही लहर
गपियाते-बतियाते मुंडेर पर
कबूतर के उस जोड़े के 'गुंटर-गूं' में जैसे
हो जाता विलीन...हाँ, यूं हुआ तल्लीन।
tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #कविता

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कि दिल के किसी कोने में, यादों का वहीं मंजर-
नाच उठती उँगलियाँ मेरी
पियानो के रीड पर
और
थिरकती
मदमस्त थाप,
गुलाबो! तुम्हारे पैरों की -
खचाखच भरे तेरे चाहनेवालों की आवारगी
को छेड़ती, उकसाती
थप थप! थपाथप! स्टेज पर...

tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #कविता

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लरजते लबों की सुन,
अनसुनी पुकार कहीं, पिघलता मैं...
हाँ, जमा मैं ही।
वेदना विरह की लिये औ' ज्वाला मिलन की
बिखरे गेसू-सा व्योम का फैलाव ही
भरा-भरा आलिंगन
फैलाए आँचल, बाहें पसार जब पुकारती, हाँ पुकारती
सजल चक्षुओं में हृदय की हूक तभी
उमर-घुमर घटाओं-सा
हैं बरसती, 
बरसती हैं...घटाटोप!

tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #Forest #कविता

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आभा वही सूरज की
अल्ट्रासोनिक वाइब्रेशन में होकर तब्दील
गहरे गंदला पानी में, आवाजों, 
सदाओं का अपना ही भरता, सरसराता जंगल!
कि बज उठे कान बज़र से
सुन्न शिथिल मनोमस्तिष्क मेरा
टटोल ठहराव इस तलहटी में 
खुद अपने ही वजूद का 
सरकता ज्यों ऊपर ऊपर
जम सा गया 
हिमखण्ड!
रूपांतरण...
मेरा, पत्थर पाषाण !
tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

#Forest

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #कविता

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हाँ, लकीरें- आड़ी तिरछी
थककर, झुंझलाहट भरे मेरे हाथों से निकल
परछाईयाँ ये बीते सालों की, तुम्हारा ही वो शक्लोसूरत!
तार-तार छिन्नी-छिन्नी 
बेजान कतरनें महज कागज की
गल गल सी जाती, और
जा जाकर होती हैं जमा
काईयों-सा किनारे किनारे, फटेहाल
हैं हिलती-डुलती रह-रहकर मेरे मनस्सरोवर में

tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #Hopeless #कविता

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तुम आयी हो,
आने की तेरे, खबरी हवा के झोंके से
हृदय के ताल पर अक्श तेरा, फैलकर हुआ विकीर्ण 
- सबकुछ धुंधला।
बीते सालों की परछाईयाँ, तेरे शक्लोसूरत की - 
आड़ी तिरछी, एक-दूसरे को काटती,
बस काटती ही जाती, बेतहाशा.. 
सादा कोई पन्ने पर, ज्यों
कलम उठाकर बिला वजह, बेमन खींचते ही जाना... 
सिरफ लकीरें।

#tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar

#Hopeless

river_of_thoughts

तुम आयी हो, फिर से
इश्तेहार तुम्हारे आने का, है हर तरफ छाया
जैसे, उन दिनों सुना करता शहर सारा
खगड़ा मेला में गुलाब थेटर के 
आने की खबर -
"जी हाँ, हर साल की तरह , इस साल भी, आपके शहर..."
तुम आयी हो
फिर से तुम्हारा आना, 
सबकी नज़र में
मेरे दिल का भरमाना

#tum_aayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar
#lookingforhope

river_of_thoughts

#tum_aayee_ho © Ratan Kumar #allalone #कविता

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तुम आयी हो, 
फिर से तुम्हारा आना 
ठहर सा गए लम्हों के बीच
वक्त का ठहर जाना
तुम्हारा आना
गुजरता तो है निरंतर
ठीक,
समय के गुजरने जैसा...
जो गुजर कर भी गुजर नहीं जाता।

tuma_ayee_ho @manas_pratyay #tum_aayee_ho © Ratan Kumar
#allalone
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