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BENAAM

*आज की कविता हर माँ के लिए....* वाह रे पौरुष तेरा..... माँ के दूध का कर्ज उसी के खून से चुकाते हो... दूध पीकर माँ का तुम उस दूध को ही लजाते हो... वाह रे पौरुष तेरा...तुम खुदको मर्द कहते हो... हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी... हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी... उस सीने में छुपी ममता कोई तुमको देख नहीं पाते हो.... #shayri #Mother #maa #poem #Mom #kavita #lovemom

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*आज की कविता हर माँ के लिए....*
वाह रे पौरुष तेरा..... 
माँ के दूध का कर्ज उसी के खून से चुकाते हो...
दूध पीकर माँ का तुम उस दूध को ही लजाते हो...
वाह रे पौरुष तेरा...तुम खुदको मर्द कहते हो...
हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी...
हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी...
उस सीने में छुपी ममता कोई तुमको देख नहीं पाते हो.... 
एक माँ ने जन्मा, पाला-पोसा है तुम्हे... 
एक माँ ने जन्मा, पाला-पोसा है तुम्हे.. 
बड़े होकर ये बात क्यू भूल जाते हो... 
तेरे हर एक आंसू पर अपनी हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती है वो... 
तेरे हर एक आंसू पर अपनी हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती है वो.... 
फिर एसा क्यू है की तुम उसके हज़ार आंसू भी नहीं देख पाते हो.... 
मंदिर में उसकी पूजा करते.. 
मंदिर में उसकी पूजा करते... 
घर में मर्यादा सिखाते हो... 
अरे उसे मर्यादा सिखाने वालों तुम्हे अपनी मर्यादा याद नहीं आती जब उसे अपने पैरों तले दबाते हो... 
वाह रे पौरुष तेरा... तुम खुदको पुरुष कहाते हो.... 
✍सर्वेश कु. दुबे *आज की कविता हर माँ के लिए....*
वाह रे पौरुष तेरा..... 
माँ के दूध का कर्ज उसी के खून से चुकाते हो...
दूध पीकर माँ का तुम उस दूध को ही लजाते हो...
वाह रे पौरुष तेरा...तुम खुदको मर्द कहते हो...
हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी...
हर वक्त उसके सीने पर नज़र होती है तुम्हारी...
उस सीने में छुपी ममता कोई तुमको देख नहीं पाते हो....

Parasram Arora

बुद्धत्व और रूदन

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किसी भी  आदमी का आंकलन करने  के लिए  जरूरी नहीं  ये जानना  वो कहा जन्मा  कब जन्मा  किस घर मे जन्मा ...... ... बल्कि  इस बात मे है क़ि  पैदा होते ही वो रोया  था या नहीं. क्योंकि  ऊसे  पैदा होने वाले दिन से  लेकर  मृत्युवाले दिन तक   रोते रहना है ये भी संभव   है  क़ि  ये रूदन  का  सतत  अभ्यास  उसे किसी दिन  बुद्धत्व  के दिव्यलोक तक   पहुंचा दे...... बुद्धत्व  और रूदन

Manish Rohit Garai

हमें आज़ाद करने को कहीं आज़ाद जन्मा था पचीसी मौत मरने को कहीं आज़ाद जन्मा था कि उसके खूँ के छींटे से हुआ था बाग भी पावन बधाई भारती माँ को यहीं आज़ाद जन्मा था ©मनीष रोहित गराई✍ #nojotohindi #शायरी #nojotophoto #Azad #मुक्तक #ChandraShekharAzad #MrgWrites #मनीष_के_मुक्तक

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 हमें आज़ाद करने को कहीं आज़ाद जन्मा था
पचीसी मौत मरने को कहीं आज़ाद जन्मा था
कि उसके खूँ के छींटे से हुआ था बाग भी पावन 
बधाई भारती माँ को यहीं आज़ाद जन्मा था

©मनीष रोहित गराई✍


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