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vishwadeepak
#Mysteriesriverstory #नदियों का बहता पानी, कलकल है, इसकी वानी, शीतल करता तन और मन को, जीवन में भरता नौजवानी, नदियों का बहता पानी, सदियों से यही कहानी,
read moreSaurav Das
नदियों की लहरों सी बन जाओ! किनारे रुक गए तो नकारे जाओगे!! ©Saurav Das #नदियों #लहरों #किनारे #रुक #नकार #seaside
Bhupendra Rawat
तेरे इश्क़ की नदियों में बहता जा रहा हूँ हर मोड़ पर राह बदलता जा रहा हूँ अब मन्ज़िल की तलाश है, बस मैं खुद से ही दूर होता जा रहा हूँ भूपेंद्र रावत 21।04।2020 #तेरे #इश्क़#की#नदियों में बहता जा रहा हूँ##
J P Lodhi.
नदियों की महिमा नदी गौरवशाली संस्कृति का बड़ा हिस्सा, वेद ग्रंथों में वर्णित मिलता इनका किस्सा। सभ्य सभ्यता में नदियों को पूजा जाता है, मानवता का नदियों से जीवन का नाता है। भूलें गए हम नदियों की महान संस्कृति को, प्रदूषण कर बदला पावन सी प्रकृति को। मां सी पावन निश्छल ममता मयी नदियां, जीवों की सेवा करते बीत गई कई सदियां। अमृत सा पावन जल बहता रहता प्रतिपल, प्यास बुझाकर के मन को कर देता शीतल। धारा पे नदियों से फैला सौंदर्य हरियाली है, नदियों के बिना धरती बंजर बन जानी है। भाग्यवान है वे मानव जो बसे नदी किनारे, बीत जाता जीवन सुखमय इन्हीं के सहारे। फिरसे नदियों की महिमा का गुणगान करे, वक्त आ गया अब ना इनका अपमान करे। हम संकल्प लेकर नदियों का उत्थान करें, प्रदूषण से मुक्त कर खुद पर उपकार करे। #नदियों की महिमा
#नदियों की महिमा
read moreRV Chittrangad Mishra
तलवारों पे सर वार दिए अंगारों में जिस्म जलाया है तब जाके कहीं हमने सर पे ये केसरी रंग सजाया है ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे पीका ना पड़े कभी रंग तेरा जिस्म से निकल के खून कहे तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू वो ओ.. सरसों से भरे खलिहान मेरे जहाँ झूम के भांगड़ा पा न सका आबाद रहे वो गाँव मेरा जहाँ लौट के बापस जा न सका ओ वतना वे मेरे वतना वे तेरा मेरा प्यार निराला था कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे मैं कितना नसीबों वाला था तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू ओ हीर मेरी तू हंसती रहे तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो ओ माई मेरे क्या फिकर तुझे क्यूँ आँख से दरिया बहता है तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे फसलों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी मिट्टी में मिल जावां
तेरी मिट्टी में मिल जावां
read moreMukesh Poonia
मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। तुम मुझको कब तक रोकोगे... - Motivational poem by Amitabh Bachchan मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। तुम मुझको कब तक रोकोगे..। में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | शीशे से कब त
मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं | दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं... कुछ कर जाएं | सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे। अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..। तुम मुझको कब तक रोकोगे..। में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है.. बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा है मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ... मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ | शीशे से कब त
read moreManaswin Manu
है अधूरा सा जीवन, अंत भी दूर है मुस्कुराने को हम, फिर भी मजबूर हैं मन मेरा चाहता, सिर्फ वनवास है मेरी तृष्णा का हल, नदियों के पास है मोह के सारे बंधन, हैं मनोहर बहुत मेरा चैन पर, पूर्ण सन्यास है ** पर न अपनो को मेरे, ये एहसास है अर्थ, पद और सुरक्षा ही, उन्हें खास है सांस में है पहाड़ों की ठंडी हवा मन में मेरे, मैं नदियों की कल-कल भी हूँ ** पर पराये से स्वप्नों में घुटता हुआ एक पुराना सा, मुर्दा सा दलदल भी हूँ #nojotohindi #bechaini #sanyaas #moh #daldal #parvat #nadi #me
durgesh nandini
वो नदियों का पानी वो शांत नज़ारा वो ढंडी हवायें वो तेरी सारी यादें न जाने कब -कब मेरी पलकें भिगोये !! वो नदियों का पानी वो शांत नजारा वो तेरी आने की आहट न जाने कितने बार किया मेरे दिल को घायल!! ...@नंdini #nojoto#nojotohindi#nojotocollab#poetry#quotes
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read moreAnshul Singh
लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा , हर नदी मिल के यूँही गुम हो जाती है , चाहतों से लिपटा पड़ा है मन मेरा , हर रात जगकर कुछ सपने देखता हूँ , तुमने कभी देखा है वो रातों का मंज़र मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । आँसुओ को मैं ज्यादा तरजीह नहीं देता , कुछ बूँद ख़्वाहिशों की निकल जाती है , ये राहें काँटो से भरी कुछ गालियाँ हैं , तभी मेरे पैरों से बहता है लहू मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । यूँ ही खुद से लड़कर बना हूँ मैं काफ़िर , फिर भी ज़िंदगी की समझ रखता हूँ , हर रोज़ जहाँ सुकूँ के लिए आता हूँ , वो भी किराये पे ही है घर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । राहें तो पहले से अंजान थी मेरी , अब तो मंज़िल भी बेखबर लगती है , तुम्हारे साये में पनाह चाही थी , देखो क्या कर दिया तुमने हशर मेरा , लाख नदियों से पटा पड़ा है समंदर मेरा । #NojotoQuote काफ़िर #Astitva#Nozoto
Choubey_Jii
प्रकृति तुझे नमन करूँ और सौ बार वंदन करूँ तेरी त्यागपूर्ण प्रकृति का मैं हृदय से अभिनंदन करूँ तूने प्रेम से हमको पाला है, नित नित हमें संभाला है तेरे सजदे में यूँ झुका रहूँ या थाम तुझे आलिंगन करूँ दरख़्तो का उपकार हैं जो ये जीवन है संसार है लेकिन इनकी घटती आबादी का कैसे मैं प्रबंधन करूँ नदियों ने बचपन तैराया, निरंतर पानी पिलवाया अब जहर घुला उन नदियों में भला कैसे अमृतपान करूँ चंचल पंछी मंडराते थे छत पर और घर आंगन में फिर से आए वो मेरे आंगन तो थाम उसे मैं चुंबन करूँ तू हरदम प्यार लुटाती है और सहनशील बन जाती है मैं आपदा को निमंत्रण देकर खुद ही आपदा प्रबंधन करूँ #चौबेजी