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Deepak Kumar Katariya
B Pawar
हम बड़ है #पीपल है हरदम जीवट है हमसे ही वन है हमसे उपवन हैं। पक्षियों के उदर तले बीजरूप हम हैं जलाऊं हैं इमारती है भोजन में हम हैं। अदृष्ट ज्ञान भांति जड़ मूल हम हैं और कभी यज्ञ की आहुति रूप हम हैं। शिलाओं पर उग जाए हम हठयोगी हैं यदाकदा दरारों में भी अपना अस्तित्व है। विस्तार कर जाए तो चहुओर वन है उखाड़े जाए तो खतम सजीवन है। #सरस #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #tree #पीपल_बरगद_की_छाया #पीपल All original ©whosmi B Pawar 🌐www.whosmi.wordpress.com
Asif Hindustani Official
छोड़कर तेरे शहर को , पीपल की छांव चलते हैं शहर से जी भर गया, चलो अब गांव चलते हैं !! ©ᴀꜱɪꜰ ʜɪɴᴅᴜꜱᴛᴀɴɪ ᴏꜰꜰɪᴄɪᴀʟ छोड़कर तेरे शहर को , पीपल की छांव चलते हैं शहर से जी भर गया, चलो अब गांव चलते हैं !! © Asif Hindustani #village #City #AsifHindustani #Truth #पीपल #छांव #छोड़कर #शहर #गांव #Nojoto2liner जादूगर Anshu writer Arfa Priya Gour ruh e Naaz Aj Stories ANOOP PANDEY Mahi sana naaz **__ Seema Agnihotri __**
vishnu prabhakar singh
पीपल के थान पर एक सिद्ध योगी ग्राम देवता का अनुभूति पा ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ सुख के ग्राम में ग्राम देवता का प्रसन्नचित्त में यह आमंत्रण; कदाचित ग्राम का संबोधन बना बाबा फलहारी ने योग स्थल चुना कोशी की सखी हो या बहना सबके स्वभाव एक जैसे हैं स्थल था, सुरसर नदी का तट बाबा फलहारी कर्मयोगी रहे होंगे उनकी विशुद्ध चर्चा जीवित है तीर पर विराजमान बाबा फलहारी पुनः महामारी से सुख का रक्षा करेंगे! वृक्ष पूजा... ग्रामीण विरासत है... एक सिद्ध योगी ग्राम देवता का अनुभूति पा ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ
Munmun Dhali
पुरानी किताब के पन्नों के बीच मिली पीपल का वो पत्ता़ ,बरसों पहले रखा था क्यों,कब कुछ याद नहीं अजीब सी मुस्कान छा गयी,याद अाया वही बूढ़े पीपल का पत्ता है पर ,वो बूढ़ा तो नहीं मेरे पन्नो के बीच,तो अमर हैं।।।। #पीपल #yqdidi #collab
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। अश्वत्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता । अश्वत्थ ( पीपल के वृक्ष ) पर तुम्हारी बैठना है ,पत्ता तुम्हारा वसति:-वास है । You are sitting on peepal tree and live on the leaves. ( यजुर्वेद ३५.४ ) #यजुर्वेद #वेद #पीपल
Jay Krishan Kumar
सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । अल्हड़ बलखाती मद्धम पवन , छू जाती है नाजुकता इसकी अन्तर्मन । ये हर ओर पक्षियों का कलरव , गाय भेड़ बकरियों के गले की घंटियों की रूनझुन । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । सूख चुकी मगर अपनी उपस्थिति दर्ज करता , वह कुंआ आज भी हमें लुभाता है । वो मिट्टी की पगडंडियाँ आज भी मुस्काती हैं , हमें आगे बढ़ने की राह दिखाती है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । शहरों की भागमभाग से परे , सुकूं का अहसास कराता है । कम संसाधनों में भी हंसकर जीना सिखाता है । यह सरल सा जीवन यहां , सरलता की पाठ हमें सिखाता है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । स्वछंद विचरती तितलियाँ और भौरों की भन्नाहट , वायु की निर्मलता दिखलाती है । ये हरे पेड़ और सर्वत्र बिखरी बिखरी हरियाली , आंखों को बड़ा लुभाती है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव । हालांकि कुछ तो अवश्य बदले हैं हालात , बदल गए हैं थोड़े यहां के भी जज्बात । पर अब भी बहुत कुछ बांकी है , हाँ थोड़ा कम ही सही पर अब भी गांव हमारा बांकी , चबूतरो पर बरगद और पीपल की छाँव अब भी बांकी है । अब भी लोग होते हैं शरीक बिन बुलाए ही खुशी और गम में , एक - दूसरे के लिए ये मानवीय अहसास अभी बांकी है । सुनहरी धूप और पीपल की छाँव , मनभावन लगता है बहुत अपना प्यारा गांव ॥ #ManbhawanHaiBahutPyaraGaonApna