Find the Best चिन्ता Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about चिन्ता का अर्थ, चिन्ता meaning in english, चाह गयी चिन्ता मिटी, चिन्ता पर्यायवाची, चिन्ता नगर्नुहोस्,
kishan mahant
कोई अपने का कॉल अचानक से आ जाता है तो मेरा दिल घबरा जाता है बातें करते करते उन्की बातों में मुझें नमी सी महसूस होने लगता है वो मेरे लिए चिन्ता कर रहे है ऐसा उन्की बातों से मुझें लगता है मैं खुशनसीब हू के कोई मेरे लिए भी चिन्ता कर रहा है चिन्ता एक दूसरे के प्रेम को दर्शाता है ©kishan mahant #चिन्ता एक दूसरे के प्रेम को दर्शाता है
Ruchika
क्या बात है, जो नींद नही आ रही है, आँखें है बंद, पर नींद दूर खड़ी मुस्कुरा रही है। क्या बीते कल की यादें सता रही हैं, या आने वाले कल की चिन्ता शोक जता रही है। 'क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या होगा', प्रश्नों की बौछार, बेचैनी बढ़ा रही है। जीना है जब आज में, तो क्यों ये बातें बेवक्त ज़हन में आ, दिल को जला रही हैं। #नींद#चिन्ता
अजय जादौन अर्पण
*//मुक्तक//* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ डटे हैं देश रक्षा में नहीं आराम की चिन्ता। वतन का नाम ऊँचा हो, न अपने नाम की चिन्ता। जमे हैं बर्फ पर हँस के मगर वे उफ नहीं करते, बढ़े जाते हैं आगे ही नहीं अंजाम की चिन्ता। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *//अजय जादौन अर्पण//* सैनिक
sunil Shrimali
हमें चिन्ता नहीं, उसे चिन्ता हमारी है हमारी नाव का खेवट सुदर्शन चक्रधारी है
माधव झा
जैसे जैसे होती मेरी बिटिया सयानी क्षण क्षण बढ़ती चिन्ता मेरी कैसे इसका ब्याह रचाऊं, हो रही दहेजों की मांग भारी जैसे जैसे होती। जीवन अपने जो भी कमाया, सारी इनकी परवरिश में है लगाया। अब कहां से लाऊं इतना धन, जिससे बनेगी मेरी बिटिया दुल्हन। जैसे जैसे होती मेरी.......... देखकर दुनिया की जालिम रीति प्रण किया मैंने न करूंगा इन संग प्रीत चाहे रहे जीवन भर मेरी बिटिया कुंवारी मांगूंगा ना कभी धन की भीख जैसे जैसे होती मेरी ... क्षण क्षण बढ़ती चिन्ता मेरी शर्म करो ऐ बेटों वालों कैसी ये मांग तुम्हारी वंश बढ़ेगा जिससे तुम्हारा उस से क्यों करते लेनदारी जैसे जैसे होती . . . #RDV19
Sôñù Shármä
चरित्र आप एक संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति हैं। जीवन की कठनाइयों का आप पर अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा प्रभाव पड़ता है परिणामस्वरूप आप जीवन के कुछ सुखद पल खो देते हैं। दूसरों द्वार कही गयीं बातों को आप दिल पर ले लेते हैं। अतः कुछ एसी बातें है जो आपको दुःख देती हैं परन्तु उस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये।आपके कार्य करने का तरीका शान्तिपूर्ण है,परिणामस्वरूप आप अपने सहकर्मियों की नजर में मजबूत इच्छाशक्ति एवं दृढ-निश्चयी वाले व्यक्ति प्रतीत होते हैं। आपकी यह प्रवृत्ति आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने
Vedha Singh
#चिन्ता होती है सदा, एक मृत्यु का द्वार। तिल-तिल कर ये मारता ,एसा है ये ज्वार।। वेधा सिंह
Anil Siwach
Ravi Kumar
******कलियुग का लक्ष्मण******* विनम्र निवेदन:-एक बार पढियेगा जरूर,, 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------- " भैया, परसों नये मकान पे हवन है। छुट्टी (इतवार) का दिन है। आप सभी को आना है, मैं गाड़ी भेज दूँगा।" छोटे भाई लक्ष्मण ने बड़े भाई भरत से मोबाईल पर बात करते हुए कहा। " क्या छोटे, किराये के किसी दूसरे मकान में शिफ्ट हो रहे हो ?" " नहीं भैया, ये अपना मकान है, किराये का नहीं ।" " अपना मकान", भरपूर आश्चर्य के साथ भरत के मुँह से निकला। "छोटे तूने बताया भी नहीं कि तूने अपना मकान ले लिया है।" " बस भैया ", कहते हुए लक्ष्मण ने फोन काट दिया। " अपना मकान" , " बस भैया " ये शब्द भरत के दिमाग़ में हथौड़े की तरह बज रहे थे। भरत और लक्ष्मण, दो सगे भाई ,और उन दोनों में उम्र का अंतर था करीब पन्द्रह साल। लक्ष्मण जब करीब सात साल का था तभी उनके माँ-बाप की एक दुर्घटना में मौत हो गयी। अब लक्ष्मण के पालन-पोषण की सारी जिम्मेदारी भरत पर थी। इस चक्कर में उसने जल्द ही शादी कर ली, कि जिससे लक्ष्मण की देख-रेख ठीक से हो जाये। प्राईवेट कम्पनी में क्लर्क का काम करते भरत की तनख़्वाह का बड़ा हिस्सा दो कमरे के किराये के मकान और लक्ष्मण की पढ़ाई व रहन-सहन में खर्च हो जाता। इस चक्कर में शादी के कई साल बाद तक भी भरत ने बच्चे पैदा नहीं किये। जितना बड़ा परिवार उतना ज्यादा खर्चा। पढ़ाई पूरी होते ही लक्ष्मण की नौकरी एक अच्छी कम्पनी में लग गयी ,और फिर जल्द शादी भी हो गयी। बड़े भाई के साथ रहने की जगह कम पड़ने के कारण उसने एक दूसरा किराये का मकान ले लिया। वैसे भी अब भरत के पास भी दो बच्चे थे, लड़की बड़ी और लड़का छोटा। मकान लेने की बात जब भरत ने अपनी बीबी को बताई तो उसकी आँखों में आँसू आ गये। वो बोली , " देवर जी के लिये हमने क्या नहीं किया। कभी अपने बच्चों को बढ़िया नहीं पहनाया। कभी घर में महँगी सब्जी या महँगे फल नहीं आये। दुःख इस बात का नहीं कि उन्होंने अपना मकान ले लिया, दुःख इस बात का है कि ये बात उन्होंने हम से छिपा के रखी।" इतवार की सुबह लक्ष्मण द्वारा भेजी गाड़ी, भरत के परिवार को लेकर एक सुन्दर से मकान के आगे खड़ी हो गयी। मकान को देखकर भरत के मन में एक हूक सी उठी। मकान बाहर से जितना सुन्दर था अन्दर उससे भी ज्यादा सुन्दर। हर तरह की सुख-सुविधा का पूरा इन्तजाम। उस मकान के दो एक जैसे हिस्से देखकर भरत ने मन ही मन कहा, " देखो छोटे को अपने दोनों लड़कों की कितनी चिन्ता है। दोनों के लिये अभी से एक जैसे दो हिस्से (portion) तैयार कराये हैं। पूरा मकान सवा-डेढ़ करोड़ रूपयों से कम नहीं होगा। और एक मैं हूँ, जिसके पास जवान बेटी की शादी के लिये लाख-दो लाख रूपयों का इन्तजाम भी नहीं है।" मकान देखते समय भरत की आँखों में आँसू थे, जिन्हें उन्होंने बड़ी मुश्किल से बाहर आने से रोका। तभी पण्डित जी ने आवाज लगाई, " हवन का समय हो रहा है, मकान के स्वामी हवन के लिये अग्नि-कुण्ड के सामने बैठें।" लक्ष्मण के दोस्तों ने कहा, " पण्डित जी तुम्हें बुला रहे हैं।" यह सुन लक्ष्मण बोले, " इस मकान का स्वामी मैं अकेला नहीं, मेरे बड़े भाई भरत भी हैं। आज मैं जो भी हूँ सिर्फ और सिर्फ इनकी बदौलत। इस मकान के दो हिस्से हैं, एक उनका और एक मेरा।" हवन कुण्ड के सामने बैठते समय लक्ष्मण ने भरत के कान में फुसफुसाते हुए कहा, " भैया, बिटिया की शादी की चिन्ता बिल्कुल न करना। उसकी शादी हम दोनों मिलकर करेंगे ।" पूरे हवन के दौरान भरत अपनी आँखों से बहते पानी को पोंछ रहे थे, जबकि हवन की अग्नि में धुँए का नामोनिशान न था भरत जैसे आज भी मिल जाते हैं इन्सान पर लक्ष्मण जैसे बिरले ही मिलते इस जहान काश सभी को ऐसे भाई मिले। रिश्तों को संजो कर रखिये, याद रक्खिये, ये आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है, पैसे तो आते रहेंगे जाते रहेंगे लेकिन रिश्ता एक बार गया तो दोबारा नही आयेगा। #सुनील साहू # hiii......!