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savita singh Meera

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Amit Saini

#यम और नियम #Worldanimalday

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ऊपर आकाश में
जो बेठे है
वो यम है
नीचे इस भूमि पर
वो नियम है

©Amit Saini #यम और नियम

#Worldanimalday

Jaydeep Yadav

कृपया पुरा पढें 🕯🕯 अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है। 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ; कोटि = प्रकार । देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं । #nojotophoto

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 कृपया पुरा पढें 🕯🕯
#अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है।

33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ;

कोटि = प्रकार । 
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते हैं ।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Manish Rohit Garai

मुझे  तेरी  जुदाई  का  अगर  जो  ग़म नहीं होता
मिरे आँखों मे आंसू का  ये खारा यम  नहीं  होता

बेमतलब  मुस्कुराने  की, है आदत डाल ली हमने 
किसी के ग़म मे  रोने से, मिरा ग़म कम नहीं होता 

दुआएं  काम आती  है, दवा  जब  साथ ना  दे तो 
दिलों के ज़ख़्म की खातिर यहाँ मरहम नहीं होता 

सभी रिश्ते निभाता हूँ,  मुहब्बत से,  तसल्ली  से 
छला फिर भी गया  हूँ मैं, सभी हमदम नहीं होता 

वफ़ा, नेकी, मुहब्बत  औ  इबादत  रोज़  मरती है
यक़ीनन  मौत  पे  इनके  कभी  मातम नहीं होता

"गराई" के सुख़न पे बज़्म का  रोना है जायज़ पर 
ये झूठा  सिलसिला  हर शाम  को पैहम नहीं होता  

यम - sea/समुंद्र
पैहम - Continuous/लगातार #ग़ज़ल #nojoto #nojotohindi #nojotoghazal #MrgGhazal #mrwrites

Vijay tomar

एक बाबा की सारी जिंदगी कोर्ट के चक्कर लगाने में गुजरी। जमीन जायदाद की हो बात या किसी भी प्रकार की हो बात । बाबा बात पे कहते थे I will see u in Cort।। जब बाबा की जाने लगी जान ,तो सब लोग थे हैरान । समस्या ये थी की बाबा को कोर्ट में जलाया जाए या समसान । लोगो ने निकाला इस बात का समाधान । बाबा को लेकर जाने लगे समसान। बाबा को चार कंधो पर ले जाने वाले लोग भी थे अंजान।

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एक बाबा की सारी जिंदगी कोर्ट के चक्कर लगाने में गुजरी।
जमीन जायदाद की हो बात या किसी भी प्रकार की हो बात ।
बाबा बात पे कहते थे I will see u in Cort।।
जब बाबा की जाने लगी जान ,तो सब लोग थे हैरान ।
समस्या ये थी की बाबा को कोर्ट में जलाया जाए या समसान ।
लोगो ने निकाला इस बात का समाधान ।
बाबा को लेकर जाने लगे समसान।
बाबा को चार कंधो पर ले जाने वाले लोग भी थे अंजान।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 9 - देखे सकल देव 'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ। 'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
9 - देखे सकल देव

'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ।

'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Gohil Ajay

follow and like एक आम मृत्यु और एक बलिदान मे क्या फर्क है एक आर्मी वाला सहिद होता होगा तो अपनी माँ को जवाब देता होगा मे एक कविता में आर्मी वाले की बात रखता हूं।। पढ़िए आर्मी वाला क्या कहेता है। ना आस ही बची थी माँ ना सास ही बची थी माँ ना खून ही बचा था माँ ना जूनन ही बचा था माँ

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एक आम मृत्यु और एक बलिदान मे क्या फर्क है एक आर्मी वाला सहिद होता होगा तो अपनी माँ को जवाब देता होगा मे एक कविता में आर्मी वाले की बात रखता हूं।।
पढ़िए आर्मी वाला क्या कहेता है।

ना आस ही बची  थी माँ
ना सास ही बची थी माँ
ना खून ही बचा था माँ
ना जूनन ही बचा था माँ

Nilmani

चीखती संवेदना स्तब्ध सारी खड़ी रही यज्ञ की अग्नियों में मनुजता मानों जलती रही जंग से भारी थी वो घड़ियाँ सहमी सी ठिठकी कोने में खुशियाँ, आशाएँ जीवन की पल-पल छीजती रही, चीथड़ों में लिपटी जैसे वसुंधरा लथपथ रक्त से कराहती रही। भीषण काल ये विकराल यूँ विदित हुआ, सूर्य मोद का दोपहर में अदृश्य हुआ। घिरी कालिमा नभ में,चला पाश यम का मानों #Poetry

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चीखती संवेदना स्तब्ध सारी खड़ी रही
    यज्ञ की अग्नियों में मनुजता मानों जलती रही
जंग से भारी थी वो घड़ियाँ सहमी सी ठिठकी कोने में खुशियाँ,
     आशाएँ जीवन की पल-पल छीजती रही,
चीथड़ों में लिपटी जैसे वसुंधरा लथपथ रक्त से कराहती रही।
  भीषण काल ये विकराल यूँ विदित हुआ,
सूर्य मोद का दोपहर में अदृश्य हुआ।
    घिरी कालिमा नभ में,चला पाश यम का मानों
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