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Adv Rudra varshney
इक छोटी सी मै ने सब कुछ छिन लिया और फिर किसी की बातो मे फिर मै को देख लिया फिर सब कुछ छिन सा रहा हे जैसे की आपने ©rudra varshney इक छोटी सी #मै ने सब कुछ छिन लिया और फिर किसी की बातो मे फिर मै को देख लिया फिर सब कुछ #छिन सा रहा हे जैसे की आपने #varshneyrudra #rudrap #thought #Love #Zindagi #Nojoto #India #alone
Manjeet Sharma 'Meera'
छिन गया बचपन कहां लाचारगी पूछे। हाथ में कश्कोल क्यों है मुफ़्लिसी पूछे। जिन लकीरों पे उसे इतना भरोसा था उन लकीरों ने दिया क्या ज़िंदगी पूछे। जो समंदर बीच रहकर भी रहा प्यासा आब की कीमत उसी से हर नदी पूछे। वो हवस का शह्र है उस ओर मत जाना जो गए वो खप गए क्यों दिल्लगी पूछे। क़ाफ़िया सुंदर था उसका बह्र भी कामिल फिर ग़ज़ल में दोष क्योंकर शायरी पूछे। पुर-ख़तर रस्तों में भी खुद पा गए मंज़िल मील का पत्थर कहाँ है आलसी पूछे। तुम कहां तक साथ मेरे जाओगी 'मीरा' इश्क़ में डूबी हुई दीवानगी पूछे। #छिन गया बचपन कहां 😓
ѕílєnt
#Pehlealfaaz #जिस #बज्म में #अंजाम ए #इश्क सुनाते थे #छिन गया वो #दर भी हमसे देखते #देखते ASK.........
Kamal Garg
Kamal Garg
Nasin Nishant
आज के दिन का वो हमला एक पुत्र से उसके पिता को छिन लेना एक बूढ़ी माँ से उसके अंतिम सहारे को छिन लेना। अगर यही तुम्हारी असली मर्दानगी है तो आओ कभी हिंदुस्तान तुम्हें दिखायेंगे हम हमारे दिलों में पाकिस्तान ! #NineEleven असली मर्द तो हिंदुस्तानी हैं जो पाकिस्तान की नापाक हरकतों के बावजूद उन्हें अपने दिलों में रखता है बशर्ते वो गलतियाँ न दोहराये ! #May_God_Keep_The_Families_Safe
Pushpinder Singh
प्राणी तेरे स्वासों का खेल है निराला जब तक आते जाते जप हरि माला मिट्टी का तन, तन में हरि आप हैं बाती है स्वास और लौ हरि ज्योत है जब तक तेल हरि नाम का जले स्वासों की डोर निरंतर चले देख हरि नाम से न हो खाली प्याला प्रथम बाल्यवस्था फिर है जोबन आगे दुख दाई बुढ़ापा स्वासों का घड़ा छिन छिन रिस्ता समय पंख लगा कर उड़ता आज अभी से हरि ध्यान लगा ले हरि सुमिरन की पहन हरि माला सुमिरन
Aniket Kourav
शायरी माँ-बाप सांसे तो चल रई है मेरी पर जीने की वजह मुझसे छिन गई रोता रहता हू हर पल उनकी यादों में क्योंकि उन्के जैसे प्यार करने बाले मुझसे छिन गये लगी तो रह्ती है तस्वीर दीवरों पर पर उन्की तरह बेटा कहने बाले बह आज मुझसे छिन गये every person love for mother and father
प्रतिहार
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! हां मगर, आजादी की बधाई हमें रास न आई!! लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई